भोपाल। IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2024, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप प्रोग्राम के दौरान कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की क्लास लगाई गई। जिसमें आईबीसी24 के एडिटर इन चीफ रविकांत मित्तल ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से कई विषयों पर सवाल पूछे और चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उनके साथ अपने कई रोचक अनुभव भी शेयर किया। सीएम ने कहा कि एमबीबीएस तो मैंने फर्स्ट ईयर में ही छोड़ दिया था।
आईबीसी24 के एडिटर इन चीफ रविकांत मित्तल के साथ चर्चा करते हुए डॉक्टर मोहन यादव ने कहा कि मैं एक बात की यह भी जानकारी दे दूं कि मेरा पॉलिटिकल साइंस से एमए है। डॉक्टर मोहन यादव ने कहा कि मैं पीएचडी का सब्जेक्ट भी बता देता हूं। आमतौर पर नेताओं की पढ़ाई लिखाई को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रहती हैं, लोग क्या-क्या कहते रहते हैं और इस आधार पर मैं बताना चाहता हूं कि इस पढ़ने के साथ दूसरी बात भी जुड़ी है। उन्होंने कहा कि पीएचडी सब्जेक्ट में ही भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती सरकारों को लेकर था। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। यह सौभाग्य की बात है, मैं सभी बच्चों से कहना चाहता हूं कि आप अलग-अलग कोई भी काम करिए लेकिन पढ़ाई भी साथ में चलना चाहिए।
IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2024 सीएम ने कहा कि कई बार लोग मेरी डिग्री गिन कर भी बोलते हैं कि पढ़ने के साथ ही आपने कुछ काम भी किया है या नहीं। तो मैं बता दूं कि मैंने काम भी किया। मैं काम भी करता गया और पड़ता गया। सीएम ने कहा कि मैने होटल चलाई, तो उस समय मैं बीएससी की। उसके बाद मैं खाने की होटल चलाई तब मेरी लॉ की शिक्षा हो रही थी। फिर मैं जब अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी का अध्यक्ष बना, तब मैंने ने एमए किया फिर मैं बाद में पीएचडी की। एमबीबीएस तो मैंने फर्स्ट ईयर में ही छोड़ दिया था। क्योंकि फिर से कॉलेज में चुनाव लड़ने की तैयारी हो गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक डिग्री के बाद, एक मुकाम हासिल के बाद ऐसा माना जाता है कि हमारा जीवन आनंद में बीतेगा। लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है हम उस देश के लोग हैं जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने 1923 में आईसीएस पास कर ली और पूरे एशिया में उनकी मेरिट लगी थी लेकिन उन्होंने डिग्री को लात मार दिया। क्योंकि उन्होंने कहा कि मेरा अपना जीवन पूरा देश के लिए रहेगा। हम उस देश के रहने वाले हैं और हम उनको आदर्श मानते हैं डिग्री हासिल कर लेना और डिग्री के आधार पर बहुत कुछ करना यह तो ठीक है लेकिन असली जिंदगी में जो काम मिले उसको ईमानदारी से करना, ऐसा काम करना कि मेरे इस काम को दुनिया फॉलो करेगी, इसका आनंद लेना चाहिए।