Orchha Ramraja Sarkar Mandir

Orchha Ramraja Sarkar : रामराजा सरकार मंदिर में 500 साल पुरानी परंपरा में बदलाव, अब ऐसे दी जाएगी सलामी, बंदूक से हटाई गई ये चीज

Orchha Ramraja Sarkar : धार्मिक नगरी ओरछा में स्थित रामराजा सरकार मंदिर में 500 साल पुरानी परंपरा में बदलाव किया गया।

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Modified Date: May 19, 2024 / 05:39 PM IST
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Published Date: May 19, 2024 5:38 pm IST

निवाड़ी से दिनेश झा की रिपोर्ट

Orchha Ramraja Sarkar Mandir : निवाड़ी। निवाड़ी जिले की धार्मिक नगरी ओरछा में स्थित रामराजा सरकार मंदिर में 500 साल पुरानी परंपरा में किया गया बदलाव, भगवान रामराजा को चारों पहर मध्य प्रदेश पुलिस के जवान सशस्त्र सलामी देते रहे हैं, लेकिन एक आदेश के बाद से सलामी की परंपरा में पुलिस ने कुछ बदलाव किए हैं, अब सलामी देने वाले जवान की बंदूक के आगे लगे बेनेट यानी चाकू को हटा दिया गया है, पहले रामराजा सरकार को जिन बंदूकों से सलामी दी जाती थी उन पर आगे बेनेट लगा होता था, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते इन बेनेट को यानी चाकू को बंदूक से हटा दिया गया है।

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Orchha Ramraja Sarkar Mandir : ओरछा तहसीलदार व मंदिर व्यवस्थापक सुमित गुर्जर ने बताया की मंदिर में रामराजा सरकार को सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है यहां संत्री द्वारा भगवान को सलामी दी जाती है जो की दिनभर मंदिर में उपस्थित रहता है उन्होंने ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा बताया है। मंदिर में बढ़ती भीड़ और कहीं संत्री किसी वजह से अपना आपा खोकर इसका गलत उपयोग ना कर लें। इसलिए एहतियातन निवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है और बंदूक के आगे से बेनेट को हटवाया दिया गया है। ताकि परंपरा भी बनी रहे और किसी प्रकार की सुरक्षा में चूक भी न हो।

 

पहले केवल एक पुलिस जवान भगवान रामराजा सरकार को गार्ड ऑफ ऑनर दिया करता था जवान की बंदूक में बेनेट लगा रहता था और वह पूरे समय जब तक मंदिर खुलता है तब तक मंदिर के बाहर पहरा देता था। कुछ दिन पूर्व कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा ने परंपरा को वृहद रूप देने के लिए 1-4 की गार्ड से इस परंपरा का निर्वहन करवाना शुरू किया जिसमें बीच मे खड़े एक गार्ड की बंदूक में बेनेट रहती थी और शेष अन्य बिना बेनेट के सलामी देते थे, और दिन भर पहरे के लिए एक गार्ड तैनात रहता था।

वही स्थानीय निवासी अखिलेश नारायण समेले का कहना है की भगवान को बंदूक में बेनेट लगाकर सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है आज तक इतने वर्षों में किसी भी दर्शनार्थी को बेनेट से चोट नहीं आई और न ही कोई घटना हुई है। इस तरह का निर्णय गलत है। यह परंपरा के खिलाफ है इसको वापस लेना चाहिए।

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