भोपाल: इस बार 4 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के प्रचार में बड़ें-बड़े दिग्गजों की दस्तक बता रही है कि दावों को सच करने के लिए दोनों दल एक भी मौका चूकना नहीं चाहते। इस मामले में भाजपा ने नए-नए अभियानों के सहारे जनता दरबार में अपनी सरकारों के दम पर इलाके का विकास करने का दावा पेश कर रही है। तो वहीं कांग्रेस की तैयारी है कि वो अंतिम तीन दिनों में प्रचार में जमकर पसीना बहाएगी, क्योंकि हर बार कांग्रेस वहीं चूक जाती है। वैसे भी अब एक्टिव प्रचार के लिए बस 4-5 दिन ही बचे हैं, तो जाहिर है इन छोटे चुनावों में बड़े दांव का सिलसिला आगे बढ़ता दिखेगा, बाजी कौन मारेगा?
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मध्यप्रदेश की खंडवा, रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिये चुनाव-प्रचार पूरे चरम पर है। इन सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की पकड़ और मजबूत करने के लिए अब कांग्रेस और बीजेपी के रणनीतिकारों ने अपने-अपने हैवीवेट नेताओं को मैदान में उतार दिया है। दोनों ही पार्टियों का प्रचार देखे तो बीजेपी थोड़ी बढ़त लेती नजर आती है। बीजेपी की तरफ से सीएम शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा ने पहले दिन से मोर्चा संभाला हुआ है। इसके अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं ले रहे हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए पंकजा मुंडे भी मैदान में है। पार्टी ने इनके कार्यक्रम तय करते वक्त उनके प्रभाव वाले इलाकों का खास ध्यान रखा है। मसलन निमाड़ के तहत आने वाले खंडवा लोकसभा और जोबट विधानसभा सीट पर कैलाश विजयवर्गीय के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया का दौरा तय किया है, तो प्रहलाद पटेल और उमा भारती का दौरा बुंदेलखंड अंचल के तहत आने वाली पृथ्वीपुर सीट के लिए किया है। शायद यहीं वजह है कि बीजेपी को अपनी जीत का पूरा भरोसा है।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, कांग्रेस ने भी चुनाव प्रचार में पूरा दमखम लगा दिया है। कांग्रेस की तरफ से अबतक पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और खंडवा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव मोर्चा संभाले हुए थे। लेकिन अब पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और सचिन पायलट भी कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुनील केदार जोबट और खंडवा में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। कांग्रेस को भरोसा है कि दमोह उपचुनाव की तरह जनता इस बार भी उसे ही जिताएगी।
मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव कहने को तो महज उपचुनाव है, पर जिस तरह से दिग्गज नेताओं का जमावड़ा लग रहा है। उसने इन चुनावों को देशव्यापी बना दिया है। बहरहाल सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले उपचुनाव में कांग्रेस हो या बीजेपी। दोनों में से किसी को जीत से कम कुछ मंजूर नहीं.. और जीत हर हाल में सुनिश्चित करने के लिये दोनों पार्टियां छोटे चुनाव में भी बड़ा दांव खेल रही है।
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