भोपाल। कांग्रेस हार के सदमें से अब तक बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी समीक्षा बैठक में भी हार का गुस्सा जमकर फूटा है। चुनाव हारे हुए प्रत्याशियों ने ये तक कह दिया है कि कांग्रेस में आस्तीन के सांप खुलेआम घूम रहे हैं। लेकिन, सवाल तो ये कि क्या हारे हुए प्रत्याशियों की शिकायत की सुनवाई पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष कर पाएंगे?
ये उस बड़ी हार का गुस्सा है, जिसे कांग्रेस के प्रत्याशी पचा नहीं पा रहे हैं। खुलकर नाम तो नहीं ले रहे हैं, लेकिन लिखित में कांग्रेस के आस्तीन के सांपों की शिकायत करने का दावा ज़रुर कर रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस अब तक विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त से उबर नहीं पाई है। शनिवार को PCC में हुई हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक में नेताओं ने जमकर खरी खोटी सुनाई है। बैठक में चीख-चीख कर ये कहा है कि उन्हें कांग्रेस के लोगों ने ही हरवाया है।
संगठन में बड़े पदों पर बैठे नेताओं ने गुटबाजी को हवा दी है। कांग्रेस के प्रत्याशियों ने तो एआईसीसी के पर्यवेक्षकों को भी हार का जिम्मेदार बताया है। खैर अब चुनौती कांग्रेस के नए अध्यक्ष जीतू पटवारी के सामने है, कि कैसे पांच महीनों के भीतर होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की गुटबाजी को खत्म कर पाएंगे।
जाहिर है विधानसभा चुनावों में मिली हार का गम कांग्रेस को अंदर ही अंदर खाए जा रहा है। नेताओं का गुस्सा सीनियर लीडरशिप पर उतर रहा है। कांग्रेस की कलह पर बीजेपी को चुटकी लेने का मौका भी मिल गया है।
पिछली दो बैठकों में कांग्रेस के भीतर हार को लेकर जमकर बवाल हुआ है। नए प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी जितेंद्र सिंह फिलहाल चुप हैं। नाराज नेताओं को आश्वासन दे रहे हैं कि पार्टी के खिलाफ गद्दारी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल, पीसीसी चीफ नाराज़ नेताओं को और नाराज करके कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, क्योंकि कुछ ही दिनों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा एमपी में आने वाली है औऱ उसके बाद लोकसभा चुनाव भी हैं। ऐसे में जीतू पटावरी की चुनौती और बढ़ गई है। अब वो इन सब से कैसे निपटते है ये बड़ा सवाल ?
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