MP Politics: भोपाल। पहले इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम का नामांकन वापस लेना, फिर बीजेपी में शामिल होना। इस पर सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। कल तलक तो कांग्रेस इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही थी। लेकिन,अब इंदौर से 8 बार बीजेपी की सांसद और लोकसभा की स्पीकर रह चुकी सुमित्रा महाजन ने भी इसकी जरूरत पर सवाल उठा दिए हैं। सुमित्रा महाजन ने जनता की नाराजगी का हवाला दिया और साफ कह दिया कि ये सब करने की जरूरत क्यों पड़ी ? सुमित्रा के बयान के बाद इंदौर की बाजी हार चुकी कांग्रेस खुश है और हो भी क्यों न कांग्रेस के आरोपों पर सुमित्रा महाजन ने हस्ताक्षर जो कर दिया है।
तस्वीरें और खबर पुरानी, लेकिन इसने इंदौर की अंदरुनी सियासत को बमकांड का अहसास करवा दिया और इसके असर से पार्टी अभी तक पार पाने में लगी है। अक्षय कांति बम के बीजेपी में शामिल होने से लेकर हले बीजेपी के उम्मीदवार का क्या ये कहना कि उन्हें मीडिया से ये जानकारी मिली है और अब आठ बारी की सांसद और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रही सुमित्रा महाजन की नाराजगी ने एक बार फिर आलाकमान को चिंतित कर दिया है।
बीजेपी दफ्तर में बीती रात 11 से 11.30 बजे के बीच का वक्त और सुमित्रा महाजन के साथ बैठे कैलाश विजयवर्गीय और सामने विधायक रमेश मेंदोला, शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और बीजेपी के नेता जयपाल सिंह चावड़ा, इस अनौपचारिक बैठक में ताई ने रमेश मेंदोला को साफ कहा कि अक्षय बम से फार्म उठवाकर उन्हें बीजेपी में शामिल करना सही फैसला नहीं है और इससे पार्टी की छवि खराब हुई है। मेंदोला सुमित्रा महाजन को लगातार समझाते रहे, लेकिन उनकी नाराजगी कम नहीं हुई। दरअसल, इसकी वजह ये है कि उम्मीदवार नहीं होने के कारण कांग्रेस ने लोगों से नोटा में वोट देने की अपील की है और धीरे धीरे बड़ी संख्या में नोटा को वोट पड़ने की आशंका जताई जा रही है। जो बीजेपी के लिए सही संकेत नहीं है।
सुमित्रा नाराजगी की वजह इंदौर में बीजेपी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई को भी माना जा रहा है, क्योंकि 8 बार लोकसभा सांसद रहने के कारण उनके समर्थकों की यहां काफी संख्या है और मौजूदा उम्मीदवार शंकर ललवानी को भी उनका समर्थक माना जाता है। इसके अलावा ताई और भाई के बीच पार्टी में वजनदारी की खींचतान यहां सालों से चल रही है। ये सही है कि पिछले कुछ दिनों से शांतिकाल है, लेकिन सियासी बम कांड के बाद ये फिर सामने आ गई है। महाजन ने इंदौर की राजनैतिक संस्कृति और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का हवाला देते हुए मेंदोला से कहा गया कि बीजेपी यहां ऐसे ही चुनाव जीत रही थी इसलिए जो किया गया वो सहीं नहीं है। कांग्रेस अपनी इस हारी हुई बाजी में भी बीजेपी की खींचतान पर खुश दिख रही है।
इंदौर से पहले बीजेपी को खजुराहो में भी वॉकओवर मिल चुका है। जहां समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार का पर्चा ही निरस्त हो गया था। लेकिन, इंदौर में अक्षय बम को पार्टी में जाने के बाद कांग्रेस ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए इसे इंदौर की जनता के बीच का चुनाव बनाने की कोशिश की और इसके लिए बकायदा लोगों को नोटा में वोड डालने को कहा गया ।
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