(फोटो के साथ दोबारा जारी)
इंदौर (मध्यप्रदेश), 26 जून (भाषा) पुराने जूते-चप्पलों और गाड़ियों के खराब कल-पुर्जों जैसे सामान को लोग अक्सर बेकार मानकर कबाड़ में बेच देते हैं या कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं, लेकिन देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के कुछ कलाकार ऐसी अनुपयोगी वस्तुओं को नया रूप देकर सुंदर कलाकृतियां बना रहे हैं।
कचरा प्रबंधन के ‘3 आर’ (रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल) मॉडल को अपनी कला में ढालने वाले इन लोगों की रचनात्मकता लोगों का ध्यान खींच रही है।
मिलिंद ढवले इन कलाकारों में शामिल हैं। वह पेशे से कारखानों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के कारोबारी हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह अपनी कलाकृतियों में रसायनों का कतई इस्तेमाल नहीं करते।
ढवले ने बुधवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘मैं अपनी कलाकारी में ‘जीरो वेस्ट’ और कचरा प्रबंधन के ‘3 आर’ (रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल) मॉडल पर काम करता हूं।’’
ढवले का घर कबाड़ से बनी अलग-अलग कलाकृतियों से सजा है। उनका कहना है कि वह अपने कलात्मक नजरिये से कबाड़ को सुंदर रूप देने की कोशिश करते हैं।
कबाड़ से बनी उनकी कलाकृतियां इंदौर के अलावा मुंबई और पुणे में भी प्रदर्शित हो चुकी हैं।
इंदौर की एक और ‘‘3 आर’’ कलाकार अनीता पाल भी कबाड़ से कलाकृतियां रचने में माहिर हैं। उनकी ये कलाकृतियां शहर के दो बगीचों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगी हैं।
अनीता के मुताबिक उन्होंने इन कलाकृतियों को कबाड़ में मिले प्लास्टिक की बोतलों के ढक्कनों, कचरा गाड़ी के पहियों, साइकिल की पुरानी चेन व हैंडल, बाथटब और सिंक से तैयार किया है।
अनीता, कपड़ों की अनुपयोगी कतरनों का कलात्मक इस्तेमाल करते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘‘प्रचंड’’ की तस्वीर भी बना चुकी हैं। इस तस्वीर को मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2023 में प्रचंड को भेंट किया था, जब वह राज्य के दो दिवसीय दौरे पर आए थे।
अनीता ने कहा,’कबाड़ से कलाकृतियां रचने का मेरा फलसफा यही है कि दुनिया में कोई भी चीज अनुपयोगी नहीं है।’
भाषा हर्ष जोहेब
जोहेब
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