MP cheetah Project

चीता परियोजना में एक्शन प्लान पर ही चलेगी सरकार, कॉलर आईडी हटाकर बाड़ों में ही रखे जाएंगे चीते

MP cheetah Project चीता परियोजना में एक्शन प्लान पर ही चलेगी मध्‍य प्रदेश सरकार, वर्षाकाल में बाड़ों में ही रखे जाएंगे चीते

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Modified Date: August 5, 2023 / 10:46 AM IST
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Published Date: August 5, 2023 9:47 am IST

MP cheetah Project: भोपाल। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की लगातार मौत से डिगे बिना केंद्र व राज्य सरकार चीता एक्शन प्लान पर कायम रहेंगी। चीता एक्शन प्लान में स्पष्ट है कि एक साल में 50 प्रतिशत चीते जिंदा बचते हैं तो परियोजना सफल मानी जाएगी। वन अधिकारियों का कहना है कि अगली सर्दी तक स्थिति में सुधार आएगा और यहां पैदा होने वाले शावक जब एक साल के हो जाएंगे तो परियोजना सफलता की ओर बढ़ेगी। इसलिए एक्शन प्लान के अनुसार चीता परियोजना पर काम होता रहेगा।

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री का स्‍पष्‍ट बयान

MP cheetah Project: केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव पहले ही साफ कर चुके हैं कि न तो सरकार चीता परियोजना से पीछे हटेगी और न ही कोई परिवर्तन किया जाएगा। चीतों को कहीं और शिफ्ट करने की बात से भी यादव मना कर चुके हैं। ऐसे में कूनो में ऐसा ही चलता रहेगा। एक मादा चीता निर्वा अभी खुले जंगल में है और कालर आईडी खराब होने के कारण पिछले दो माह से वन अधिकारी उसकी जंगल में उपस्थिति का पता नहीं लगा पा रहे हैं।

इस बात का जवाब नहीं

MP cheetah Project: अधिकारी कह जरूर रहे हैं कि गश्ती दल उसकी निगरानी कर रहा है, पर इस बात का उत्तर उनके पास नहीं है कि उसे अब तक ट्रंकुलाइज कर बाड़े में क्यों नहीं लाया गया है। जबकि खुले जंगल में छोड़े गए अन्य 13 चीते बाड़ों में लाए जा चुके हैं और उनकी कालर आईडी हटा दी गई है और जिनकी गर्दन में घाव है, उनका इलाज किया जा रहा है। बता दें कि कालर आईडी की रगड़ से चीतों की गर्दन में घाव हो गए हैं। इस कारण तीन चीतों की मौत हो चुकी है। इन सहित अब तक नौ चीतों की जान जा चुकी है। इनमें छह वयस्क और तीन वे शावक हैं, जो यहीं जन्में हैं।

वर्षाकाल में बाड़ों में रहेंगे चीते

MP cheetah Project: वर्षाकाल में सभी चीतों को कालर आईडी हटाकर बाड़ों में रखा जाएगा। सर्दी के मौसम में एक बार फिर उन्हें खुले जंगल में छोड़ने के प्रयास होंगे। इसके लिए फिर से कालर आईडी लगाई जाएंगी। हालांकि ऐसा कोई भी निर्णय परिस्थितियों को देखकर ही लिया जाएगा। उधर, दिसंबर तक गांधीसागर अभयारण्य भी चीतों के लिए तैयार होने की उम्मीद है। अभयारण्य तैयार होते ही चीतल छोड़े जाएंगे और उसके बाद कुछ चीतों को वहां शिफ्ट किया जा सकता है।

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