मप्र : गुणवत्ता को लेकर शिकायत के बाद नौ कंपनियों की जीवनरक्षक दवाओं के इंजेक्शन पर रोक |

मप्र : गुणवत्ता को लेकर शिकायत के बाद नौ कंपनियों की जीवनरक्षक दवाओं के इंजेक्शन पर रोक

मप्र : गुणवत्ता को लेकर शिकायत के बाद नौ कंपनियों की जीवनरक्षक दवाओं के इंजेक्शन पर रोक

:   Modified Date:  August 22, 2024 / 08:56 PM IST, Published Date : August 22, 2024/8:56 pm IST

इंदौर, 22 अगस्त (भाषा) मध्य प्रदेश सरकार ने गुणवत्ता को लेकर शिकायत के बाद नौ निजी कंपनियों की नौ जीवनरक्षक दवाओं के इंजेक्शनों की संबंधित खेप के वितरण और इस्तेमाल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

इस मामले को लेकर बवाल मचने पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने संबंधित दवाओं की आपूर्ति को लेकर विस्तृत जांच का भरोसा दिलाया है। शुक्ल के पास लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग है।

अधिकारियों ने बताया कि भोपाल स्थित मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को पत्र लिखकर कहा है, कि वे तत्काल कदम उठाते हुए नौ निजी कंपनियों की नौ दवाओं के इंजेक्शनों की संबंधित खेप का वितरण और इस्तेमाल अगले आदेश तक रोकें।

उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र की अलग-अलग फार्मा कंपनियों की इन दवाओं में फेंटानिल साइट्रेट, एट्रोपिन सल्फेट, हिपेरिन, पोटेशियम क्लोराइड, डोपामाइन एचसीएल, नॉरएड्रीनलीन बिटारट्रेट, एट्राक्यूरियम, वेक्यूरोनियम ब्रोमाइड और नाइट्रोग्लिसरीन शामिल हैं।

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,’’हम विस्तृत जांच के जरिये इस मामले की गहराई में जाएंगे कि इन दवाओं की संबंधित खेप पर रोक लगाने के हालात क्यों बनें? हम चिकित्सा जगत के जानकारों से चर्चा के बाद संबंधित खेप की दवाओं के उचित विकल्प पर भी विचार करेंगे।’’

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से जुड़े सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की ओर से इन दवाओं के इंजेक्शनों की गुणवत्ता को लेकर राज्य सरकार को शिकायत की गई थी।

अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला ने बताया,‘‘हमारे अस्पताल के चिकित्सक पिछले कई दिनों से मुझे बता रहे थे कि संबंधित दवाओं का केवल एक इंजेक्शन देने से मरीजों की सेहत में पर्याप्त सुधार नहीं हो रहा है और उन्हें दो से तीन इंजेक्शन देने पड़ रहे हैं। इसलिए हमने एक औषधि निरीक्षक को चिट्ठी लिखी जिसने अस्पताल से 10-12 इंजेक्शनों के नमूने लेकर इनकी गुणवत्ता की जांच कराई।’’

शुक्ला ने बताया कि इनमें से दो इंजेक्शनों की जांच रिपोर्ट ‘‘अच्छी नहीं’’ आई है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जिन नौ निजी कंपनियों की नौ जीवनरक्षक दवाओं के इंजेक्शनों पर अस्थायी रोक लगाई है, उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) और ऑपरेशन थियेटर में इस्तेमाल किया जाता है।

राज्य के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि यह खुलासा किया जाना चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में जिन मरीजों को ये दवाएं दी गईं, उन पर इनके क्या दुष्प्रभाव हुए?

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने कहा,‘‘सबसे अहम सवाल यह है कि सरकारी अस्पतालों को घटिया दवाओं की आपूर्ति कैसे होती है? क्या आपूर्ति से पहले इन दवाओं की गुणवत्ता की जांच नहीं होती? राज्य में मरीजों की जान के साथ बड़ा खिलवाड़ किया गया है।’

भाषा

हर्ष, रवि कांत रवि कांत

 

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