इंदौर, 31 मई (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन प्रसंगों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए इन्हें विद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाएगी।
यादव ने इंदौर में ‘लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह’ के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा,‘‘देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन के अलग-अलग प्रसंगों को आम जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर पुस्तकों का प्रकाशन करेगी। इन पुस्तकों को विद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनाया जाएगा।’’
मुख्यमंत्री ने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के एक सुझाव का समर्थन करते हुए यह बात कही। उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि चूंकि अभी लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए वह कोई औपचारिक घोषणा नहीं कर कर रहे हैं।
यादव ने हिंदुओं के पवित्र चार धामों और भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में देवी अहिल्याबाई होलकर के कराए निर्माण कार्यों का उल्लेख किया और कहा कि होलकरों के राज-काज की कमान संभालने वाली देवी अहिल्याबाई ने देश भर में अपने सुशासन के प्रतीक चिह्न छोड़े।
मुख्यमंत्री के संबोधन से पहले, महाजन ने कार्यक्रम में कहा कि होलकर राजवंश के शासनकाल में इस्तेमाल की जाने वाली मोडी लिपि में लिखे गए ऐतिहासिक दस्तावेजों को डिजिटल रूप में सहेजा जाना चाहिए और इनका प्रचलित भाषाओं में अनुवाद कराया जाना चाहिए।
शास्त्रीय नृत्यांगना और राज्यसभा सदस्य डॉ. सोनल मानसिंह ने कार्यक्रम में कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में देवी अहिल्याबाई होलकर के नाम पर किसी बड़े स्थान, उपवन, सभास्थल या सड़क का नाम रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा,‘‘दिल्ली में सड़कों के नामों से बाबर, अकबर और शाहजहां के नाम हटने चाहिए और देवी अहिल्याबाई होलकर सरीखी महान भारतीय महिलाओं के नाम पर स्थानों का नामकरण होना चाहिए।’’
कार्यक्रम को कन्याकुमारी के विवेकानंद केंद्र से जुड़ीं निवेदिता भिड़े ने भी संबोधित किया।
भाषा हर्ष शोभना
शोभना
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)