भोपाल।Regional Industry Conclave: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में उद्यमशीलता के माध्यम से भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाएंगे। वर्ष 2014 में जब मोदी जी की सरकार बनी थी, भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष गंभीर चुनौतियां थीं। भारत विश्व की 11वीं अर्थव्यवस्था था। हमने अपनी आंतरिक शक्तियों, अनंत संभावनाओं को पहचाना और आज हम आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी तेज गति से विकास हो रहा है। हमारा मध्यप्रदेश 9 करोड़ का परिवार है और आने वाले 5 वर्षों में हम अपनी जीडीपी को दोगुना करने वाले हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उद्योगपति हमारी “सर्वे भवंतु सुखिनः” की सनातन संस्कृति को चरितार्थ करते हैं। जिस प्रकार एक योद्धा युद्ध में देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देता है उसी प्रकार एक उद्यमी कई परिवारों का भला करता है। यदि हम सभी अपनी-अपनी भूमिका को ठीक ढंग से निभाएं तो सभी का कल्याण होगा और देश तरक्की करेगा। अपने लिए जिए तो क्या जिए, तू जी ए दिल जमाने के लिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरलता, सुगमता के साथ व्यापार व्यवसाय हमारी औद्योगिक नीति है। राज्य में उद्योगों के अनुकूल वातावरण है। हम उद्योगों को सहकार, सहयोग और सम्मान देते हैं। राज्य में औद्योगिक श्रमिकों की कोई परेशानी नहीं है। पर्यटन, आईटी सेक्टर और रेडीमेड गारमेंट्स आदि क्षेत्रों में उद्योगों को विशेष इंसेंटिव दिए जाते हैं। रेडीमेड गारमेंट्स में 200 प्रतिशत तक मदद दी जाती है और 10 वर्ष तक 5 हजार रूपये प्रति मजदूर इंसेंटिव भी दिया जाता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में एक-एक युवा को उसकी योग्यता और दक्षता के अनुरूप रोजगार मिलेगा। मध्यप्रदेश में पिछले कुछ समय में 6 रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव आयोजित किये गए हैं, जिनमें 04 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आया है, और इनके माध्यम से 3 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। मध्यप्रदेश में 24 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव आयोजित की जा रही है। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं को तलाशते हुए, सभी विभाग अपनी नीतियां बना रहे हैं, जो शीघ्र ही तैयार हो जाएंगी। प्रदेश में नव उद्यमिता (स्टार्ट्सअप) को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने स्टार्ट्सअप दिवस की सभी को बधाई दी। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि हमारे लिए विकास का अर्थ केवल भौतिक अधोसंरचना का विकास नहीं है, हम समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब, युवा, महिला और किसानों के कल्याण के लिए मिशन प्रारंभ किया है, जिस पर हम तेजी से कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि शहडोल, अनूपपुर, उमरिया क्षेत्र धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, परंतु इस क्षेत्र का विकास कहीं न कहीं रुका हुआ था। अब इनके विकास का समय आया है, आगामी वर्षों में यहां सर्वांगीण विकास होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में संतुलित विकास की दिशा में कदम बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश की सातवीं रीजनल इंडस्ट्रीज कान्क्लेव ‘अपार संभावनाओं की भूमि’ शहडोल में आयोजित हुई है। उद्योगपतियों द्वारा यहां अपने अनुभव साझा किये गये है। मध्यप्रदेश की अग्रसर औद्योगिक नीति और अनुकूल औद्योगिक वातावरण से यहां निवेश के निरंतर प्रस्ताव प्राप्त हो रहे है, जो कि हमारी प्रगतिशील औद्योगिक नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हमारा लक्ष्य है शहडोल को एक औद्योगिक हब के रूप में विकसित करना जो के केवल मध्यप्रदेश नहीं अपितु पूरे देश का औद्योगिक केन्द्र बनें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मैं सभी उद्योगपतियों और निवेशकों का धन्यवाद ज्ञापित करता हू जिन्होंने इस कान्क्लेव में शामिल होकर क्षेत्र में निवेश करने की रूचि दिखाई है। राज्य सरकार उद्योगपतियों और निवेशकों हर संभव सहायता और सहयोग करेगी, जिससे इस क्षेत्र का समग्र विकास हो सकें।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजन से शहडोल के नागरिकों में उत्साह और रोमांच का संचार हुआ है। ऐसा आयोजन, जो अब तक केवल बड़े शहरों तक सीमित रहता था, आज मुख्यमंत्री डॉ. यादव की दूरदर्शी सोच और प्रदेश के समग्र विकास के संकल्प के कारण संभाग स्तर में संभव हो पाया है। इस कॉन्क्लेव में देशभर से उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और क्षेत्र के विकास में अपनी सहभागिता की इच्छा व्यक्त की। शहडोल संभाग और समूचा विंध्य क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। यहाँ माँ नर्मदा का आशीर्वाद है, कोयले का अपार भंडार है, और पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसरों का विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की नेतृत्व क्षमता और उनके विज़न के कारण इस क्षेत्र में अब औद्योगिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। सिंचाई परियोजनाओं ने यहाँ हरित क्रांति को संभव बनाया है और अब औद्योगिक निवेश से क्षेत्र के विकास को नयी दिशा और गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में समूचा मध्यप्रदेश नई औद्योगिक क्रांति की ओर अग्रसर हो रहा है।
टोरेन्ट पॉवर लिमिटेड के वाइस प्रेसीडेंट नवीन कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश की निवेश नीति उद्योगों के अनुकूल है। यहां तय समय-सीमा में निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी जा रही है। प्रदेश में पर्याप्त बिजली पानी और अधोसंरचना की सुविधाएं उपलब्ध हैं। टोरेन्ट पॉवर लिमिटेड प्रदेश में आधुनिक तकनीक पर आधारित थर्मल पॉवर प्लांट लगाने जा रहा है। इससे 1 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी हम निवेश करेंगे। मध्यप्रदेश निवेश की दृष्टि से आदर्श राज्य है। रमणीक पॉवर बालाघाट के उद्योगपति हर्ष त्रिवेदी ने कहा कि हमने मध्यप्रदेश में 50 करोड़ रूपये के निवेश से उद्यम शुरू किया था, जिसे प्रदेश की उद्योग हितैषी नीति से हमने 350 करोड़ के निवेश तक पहुंचाया है। हम अब यहां 500 करोड़ का निवेश करेंगे। मध्यप्रदेश में अच्छी सड़कें, रेलमार्ग और अन्य सुविधाएं उद्योगपतियों को निवेश के लिए आकर्षित कर रही हैं। जिस प्रदेश में कभी बिजली की कमी थी, अब वह दूसरे राज्यों को बिजली दे रहा है। यहां बड़ी संख्या में प्रशिक्षित श्रमिक और तकनीशियन हैं। मध्यप्रदेश शीघ्र ही देश के राज्यों में शुमार होगा।
रिलायंस एनर्जी के रवि कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने हर संभाग में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन कर साहसी कदम उठाया है। यह छोटे और बड़े दोनों निवेशकों के लिए बड़ा असरदार रहा है। रिलायंस ने शहडोल से नेचुरल गैस पर आधारित उद्योग 20 वर्ष पहले स्थापित किया था, इसमें 6 हजार करोड़ का निवेश कर शहडोल से फूलपुर उत्तरप्रदेश तक 250 किलोमीटर तक गैसपाईप लाईन बिछाई है। यह पूरा क्षेत्र गैस आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए सबसे अनुकूल क्षेत्र है।
सरदा एनर्जी रायपुर के उद्योगपति कमल किशोर शारदा ने कहा कि हम शहडोल क्षेत्र में कोयले पर आधारित स्टील प्लांट लगाने जा रहे हैं। साथ ही नवकरणीय ऊर्जा एवं थर्मल पॉवर में भी हम निवेश करेंगे। उद्योगों की स्थापना से इस पूरे क्षेत्र में खुशहाली आएगी। हम क्षेत्र के किशानों को हाईब्रिड बीज उत्पादन का प्रशिक्षण देकर क्षेत्र की खेती को भी बेहतर करने का प्रयास करेंगे। उद्योगपति नरेन्द्र गोयल ने कहा कि हम शहडोल क्षेत्र में 3 हजार करोड़ का निवेश करके सरिया बनाएंगे। हमनें यहां कोल ब्लाक लिया है, जिसमें शीघ्र उत्खनन होगा।
प्रमुख सचिव, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन राघवेन्द्र कुमार सिंह ने शहडोल क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार निवेशकों के लिए आकर्षक नीतियां और सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और वन क्षेत्र के मामले में पहले स्थान पर है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य भी है। साथ ही मध्यप्रदेश तांबा, मैंगनीज, मोलिब्डेनम और हीरे के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। मध्यप्रदेश यह देश का पांचवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जो एक विशाल उपभोक्ता बाजार प्रदान करता है। प्रदेश में 15.9 लाख एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं, जो 83 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। यह भारत में एमएसएमई का सातवां सबसे बड़ा आधार है। राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई नीति के तहत पूंजी सब्सिडी, गुणवत्ता प्रमाणन, ऊर्जा ऑडिट और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों में एमएसएमई विभाग द्वारा 153.78 हेक्टेयर क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 28.25 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए उपलब्ध है। इस क्षेत्र में अब तक 916 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया है और 1.71 लाख रोजगार सृजित किए गए हैं। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों के लिए “एक जिला, एक उत्पाद” (ODOP) योजना के तहत महुआ, कोदो-कुटकी, और हल्दी जैसे उत्पादों के प्रसंस्करण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
शहडोल क्षेत्र न केवल धार्मिक वरन पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां अमरकंटक से नर्मदा नदी सहित अन्य दो जोहिला और सोन नदियों का भी उद्गम होता है। शहडोल में वन उत्पाद महुआ, हल्दी, और कोदो-कुटकी के प्रसंस्करण में निवेश के अपार अवसर हैं। इन उत्पादों से खाद्य पदार्थ, औषधियां, पशु आहार और स्वास्थ्य सप्लीमेंट जैसे उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही, क्षेत्र में कृषि प्रसंस्करण, खनिज प्रसंस्करण (चूना पत्थर, डोलोमाइट, बॉक्साइट), पर्यटन और कौशल विकास के लिए भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।
सचिव एमएसएमई प्रियंका दास ने प्रेजेंटेशन से प्रदेश की नीतियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। राज्य का एमएसएमई और स्टार्ट-अप इको सिस्टम आर्थिक और औद्योगिक विकास की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। यह भारत में एमएसएमई का 7वां सबसे बड़ा आधार है। प्रदेश में अब तक 2,51,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया जा चुका है, जो प्रदेश की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है। राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई क्षेत्र के लिए पूंजी सब्सिडी, गुणवत्ता प्रमाणन, ऊर्जा ऑडिट, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के लिए सहायता और निर्यातोन्मुखी इकाइयों को अतिरिक्त लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रदेश में 4900 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 47% महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। ये स्टार्ट-अप्स 72 इंक्यूबेटर्स और 4 अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स की सहायता से संचालित हो रहे हैं। सरकार का स्टार्ट-अप्स के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिए विपणन सहयोग और उत्पाद आधारित स्टार्टअप्स के लिए विशेष पैकेज प्रदान किए जा रहे हैं।
शहडोल क्षेत्र में औद्योगिक और स्टार्ट-अप विकास की अपार संभावनाएं हैं। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों में कुल पांच औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं, जिनमें 916 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया है। इनसे 1.71 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। यह क्षेत्र महुआ, बांस जैसे वनोपज एवं हल्दी के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है, जो औद्योगिक विकास के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। प्रदेश सरकार एमएसएमई और स्टार्टअप्स को निवेश पर 40% तक प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा शुल्क में छूट, बिजली कर से मुक्ति, गुणवत्ता प्रमाणन और पेटेंट शुल्क की प्रतिपूर्ति जैसे लाभ दिए जा रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण, परिधान, खिलौना और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों को विशेष सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
अपर मुख्य सचिव नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मनु श्रीवास्तव ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष-2012 से 2024 तक राज्य में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता में 491 मेगावाट से 6418 मेगावाट की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन एवं मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में आने वाले वर्षों में ऊर्जा मुख्यतः नवकरणीय ऊर्जा पर आधारित होगी । अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाएं पहले ही सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं। रीवा सोलर पार्क और ओंकारेश्वर जनरेटिंग सोलर प्रोजेक्ट जैसी आगर नीमच परियोजना का मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उदघाटन किया है। शाजापुर और नीमच जैसे प्रमुख सौर पार्क भी इस वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएंगे, जिससे राज्य की ऊर्जा क्षमता को और मजबूती मिलेगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि मुरैना हाइब्रिड पार्क मध्यप्रदेश की नवाचार क्षमता का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना स्थापित की जा रही है, जिसमें दोनों राज्यों को 6-6 माह विद्युत आपूर्ति होगी, यह देश में पहला ऐसा प्रोजेक्ट है। उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब तक 21,134 सोलर पंप राज्य में लगाए जा चुके हैं और 1,490 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। ये प्रोजेक्ट्स किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के विजन अनुसार राज्य में 35 लाख से अधिक सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर परियोजनाएं भी राज्य में तेजी से स्थापित की जा रही है। सोलर रुफ टॉप परियोजना में आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
एसीएस श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश ने अब तक 2.15 रूपये प्रति यूनिट की रिकॉर्ड न्यूनतम दर पर सौर ऊर्जा प्राप्त की है, यह देश में सबसे न्यूनतम है, यह बड़ी उपलब्धि है। सोलर पार्क की तर्ज पर विण्ड हाइब्रिड पार्क विकसित करने की परियोजना प्रस्तावित है। सरकार ने 2025-26 तक सभी सरकारी भवनों के सोलराइजेशन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने निवेशकों से अपील की राज्य में सूर्य की यात्रा का हिस्सा बने और नवकरणीय ऊर्जा में निवेश करें।
प्रमुख सचिव खनिज उमाकांत उमराव ने राज्य में खनन और खनिज क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश खनिज संपदा के मामले में देश अग्रणी राज्य है। यह खनन एवं खनिज आधारित उद्योगों के लिए अत्यधिक संभावनाएं प्रदान करता है। मध्यप्रदेश में विविधतापूर्ण खनिज पूरे राज्य में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। प्रमुख सचिव उमराव ने कहा कि शहडोल संभाग में खनिज की अधिक उपलब्धता के कारण इसे माइनिंग संभाग कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि शहडोल संभाग में कोल बेड मीथेन की प्रचुर उपलब्धता है। राज्य में देश के कुल भंडार का 36 प्रतिशत कोल बेड मीथेन के भंडार है। कोल बेड मीथेन के उत्पादन में राज्य का देश में दूसरा स्थान है। उमराव ने कहा कि राज्य सरकार ने खनिज उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं। इनमें प्लांट और मशीनरी में निवेश पर 40% तक की पूंजी सब्सिडी और 100 करोड़ रुपये से अधिक की मेगा परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन शामिल हैं। राज्य में प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक के कुशल टेक्निकल एड मैनेजमेंट स्नातक निकलते हैं। उन्होंने बताया कि देश के टॉप शिक्षा संस्थान मध्यप्रदेश में है। विद्युत ऊर्जा में राज्य 25 हजार मेगावाट से अधिक ऊर्जा के साथ सरप्लस राज्य है। उद्योगों के लिए पानी और श्रमशक्ति की प्रचुरता है। ईज ऑफ लिविंग में राज्य देश में प्रथम है।
मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष वशिष्ठ ने डेस्टिनेशन मध्यप्रदेश: द होम टू इमर्जिंग टेक हब्स इन इंडिया पर राज्य में आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम सेक्टर क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाओं पर प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश को देश का आईटी हब बनाने के लिए राज्य में जीवंत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र, उद्यमशीलता संस्कृति, सरकारी की नीतियां, तकनीकी रूप से कुशल कार्यबल, व्यवसाय में कम से मध्यम जोखिम, बुनियादी ढांचा और बेहतर कनेक्टिविटी और ईज ऑफ लिविंग और कार्य जीवन संतुलन बेहतर हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में आईटी क्षेत्र में 1000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश प्राप्त हुआ है, जिसमें 15 हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। निवेश प्रस्ताव में जैसे एलटी माइंड ट्री, कॉग्निजेंट और हेक्सावेयर जैसी बड़ी कंपनिया शामिल हैं। श्री वशिष्ठ ने बताया कि नवीन एवीजीसी-एक्सआर (ऐनिमेशन, वीजुअल इफेक्ट्स, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियालिटी) नीति, जीसीसी नीति के ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जो लागू करने के अंतिम चरण में है।
श्री वशिष्ठ राज्य के उन्नत आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 2 हजार से अधिक आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम इकाइयां कार्यरत हैं, जिनमें एमपीएसईडीसी में पंजीकृत 650 इकाइयां हैं, जिन्हें राज्य की नीतियों का लाभ मिला है। इन इकाइयों का टर्न ओवर 10 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष से अधिक है। देश की 50 से अधिक बड़ी आईटी एवं आईटीईएस इकाइयां मध्यप्रदेश में स्थापित हैं। प्रदेश से हर वर्ष 500 मिलियन डॉलर का निर्यात आईटी से जुड़ी कंपनियों के माध्यम से होता है। राज्य में 5 आईटी स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं। राज्य सरकार द्वारा 15 आईटी पार्क बनाए गए हैं, जिनसे डेढ़ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। एम.डी. श्री वशिष्ठ ने कहा कि राज्य की आईटी/आईटीईएस एवं ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2023 में निवेशको के लिए फिस्कल इंसेंटिव, नॉन फिस्कल इंसेंटिव, डेवलपर इंसेंटिव, रेंटल इंसेन्टिव और भूमि संबंधी लाभ शामिल हैं। आईटी क्षेत्र में 200 करोड़ रुपये से अधिक है, ईएसडीएम 300 करोड रूपये से अधिक, डाटा सेंटर स्थापित करने में 500 करोड रूपये के अधिक का निवेश होने पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई जो अतिरिक्त लाभ दिलाने के संबध में निर्णय लेती है। वित्तीय प्रोत्साहन के साथ निवेशकों को कई गैर वित्तीय प्रोत्साहन भी दिए जा रहें है।
अपर प्रबंध संचालक, मप्र पर्यटन बोर्ड बिदिशा मुखर्जी ने उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने की उद्योगपतियों के पास अपार संभावनाएं हैं। मध्यप्रदेश में कई वॉटर फॉल है। नर्मदा केन-बेतवा, चंबल सहित अन्य जीवन दायिनी नदियां है। इसके साथ ही 24 सेंचुरी, 12 नेशनल पार्क, 9 टाइगर रिजर्व है, 14 यूनेस्को की साइट और 2 ज्योतिर्लिंग है। आवागमन के लिए मध्यप्रदेश में 7 एयरपोर्ट है। श्रीमती मुखर्जी ने उद्योगपतियों को टूरिज्म पॉलिसी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उद्योगपति होटल, होम-स्टे, म्यूजियम, क्रूज सहित अन्य क्षेत्र में निवेश कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में 1 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन उपलब्ध है। श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि मध्यप्रदेश के साथ ही शहडोल जिले में भी पर्यटन के क्षेत्र में निवेश करने अपार संभावनाएं। उन्होंने शहडोल जिले में पर्यटन बोर्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में अवगत कराया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में निवेश और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए शहडोल में आयोजित आरआईसी में विभिन्न उद्योगपतियों और उद्योग समूहों के प्रतिनिधियों से वन-टू-वन चर्चा की। खनन के क्षेत्र में कार्य कर रही शारदा एनर्जी एंड मिनरल्स के सीएमडी कमल किशोर शारदा ने ग्रीनफील्ड परियोजना के तहत एकीकृत स्टील प्लांट स्थापित करने की जानकारी दी। इसके लिए लगभग 500 एकड़ भूमि अलॉटमेंट किए जाने की बात मुख्यमंत्री डॉ. यादव के सामने रखी। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ यादव को प्रदेश में निवेशकों को बेहतर माहौल तैयार करने के लिए धन्यवाद भी ज्ञापित किया। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने आश्वस्त किया कि निवेशकों को सभी तरह का सहयोग सरकार देगी। प्रदेश में ऊर्जा सेक्टर में निवेश की असीम संभावनाओं को देखते हुए टॉरेंट पॉवर के वाईस प्रेसिडेंट श्री नवीन सिंह ने 18 हज़ार करोड़ रुपये के निवेश से 800 मेगावाट के ताप विद्युत परियोजनाएँ स्थापित करने की इच्छा ज़ाहिर की। उन्होंने बताया कि इससे लगभग 7 हज़ार व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा। इसी प्रकार रिलायंस ग्रुप बिज़नेस हेड (कोल बेस्ड मीथेन) रवि कुमार प्रेक्की ने बातचीत के क्रम में मीथेन गैस निष्कर्षण के लिए अपनी आगामी कार्यिजना के बारे में बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादवने कहा कि निवेशक भरोसे के साथ निवेश करें सरकार द्वारा हर संभव मदद की जाएगी।
वन-टू-वन चर्चा के क्रम में गंगा खनिज डायरेक्टर अशोक कुमार चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को उनकी ऊर्जा,खनन के क्षेत्र में प्रस्तावित परियोजनाओं एवं प्रदेश में भविष्य की निवेश गतिविधियों के संबंध में बताया। बजरंग पॉवर एवं इस्पात के एमडी नरेंद्र गोयल ने खनन क्षेत्र में निवेश करने की रुचि अभिव्यक्त की। इसमें स्टील कॉम्प्लेक्स स्थापित कर इसके माध्यम से 15 सौ से अधिक रोज़गार सृजन होने की जानकारी दी। गोयल ने प्रदेश में निवेशकों को सकारात्मक और निवेश प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ यादव को शाल भेंट की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने डीडीटीसी एक्ज़िम के सीएमडी उमाशंकर अग्रवाल से चर्चा की। अग्रवाल ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में एकीकृत टेक्सटाइल मिल स्थापित किए जाने पर योजना से अवगत कराया इस परियोजना से लगभग 5 हज़ार से अधिक व्यक्तियों को रोज़गार प्राप्त होगा। उक्त परियोजना के क्रियान्वयन में शासन से प्राप्त होने वाली समस्त अनुमति के सरलीकरण पर चर्चा की। वन-टू-वन चर्चा के क्रम में ओरिएंट पेपर मिल के एमडी एवं सीईओ अनंत अग्रवाल ने प्रदेश में प्रस्तावित परियोजनाओं के संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. यादव से बातचीत कर पेपर निर्माण इकाई के विस्तारीकरण और उसके आधुनिकीकरण के बारे में अवगत कराया। इसी तरह खनन सेक्टर के क्षेत्र में निवेश करने की इच्छा महावीर कोल रिसोर्सेस के डायरेक्टर अनुराग जैन, आर.के. ग्रुप के सीईओ राजेंद्र कुमार शुक्ला एवं जेएमएस माइनिंग के डायरेक्टर कल्याण कुमार हज़रा ने मुख्यमंत्री डॉ यादव से ज़ाहिर की।
खेल जगत में प्रदेश का नाम रोशन करने वाली क्रिकेटर पूजा वस्त्रकार ने प्रदेश में खेल कूद को बढ़ावा देने और खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार व्यक्त किया। वन-टू-वन चर्चा के क्रम में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर की ग्रेनोक्सी के फाउंडर शुभम तिवारी ने वर्तमान में संचालित मिलेट प्रसंस्करण इकाई के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कंपनी मोटे अनाज का निर्यात करने विदेशों से ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं। ग्रीनवुड सोलर सोल्यूशन के सीईओ श्री अनिकेत लाड ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को देखते हुए सोलर पैनल निर्माण प्लांट स्थापित किए जाने की कार्ययोजना रखी।
कॉन्क्लेव में 3 सेक्टोरल सत्र भी आयोजित किये गये। इसमें एमएसएमई और स्टार्टअप में अवसर, पर्यटन क्षेत्र में अवसर और खनन क्षेत्र में अवसरों पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उद्योगपतियों से संवाद किया। उद्योगपतियों को एमएसएमई, पर्यटन और खनन क्षेत्र में निवेश की संभावना और राज्य शासन द्वारा दी जाने वाली सहूलियतों की जानकारी दी गई।
– 102 इकाइयों को 401 एकड़ भूमि आवंटित की गई।
– इन इकाइयों में 3561 करोड़ से अधिक का निवेश होगा।
– इन इकाइयों से 9561 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।
– 30 इकाइयों का भूमि-पूजन और लोकार्पण किया गया।
– इन इकाइयों में 572 करोड़ का निवेश और 2600 रोजगार सृजन होगा।
– औद्योगिक पार्क गोहपारू (दियापीपर) शहडोल का भूमि-पूजन हुआ।
– 51 हेक्टेयर में 16.13 करोड़ की लागत से पार्क विकसित होगा।
– कॉन्क्लेव में 5 हजार से अधिक रजिस्ट्रेशन हुए।
– 50 से अधिक विशिष्ट अतिथियों ने भागीदारी की।
– तीन हजार से अधिक एमएसएमई प्रतिभागियों की सहभागिता हुई।
– एमएसएमई, पर्यटन और खनन क्षेत्र में अवसरों पर सक्टोरल सत्र हुए।
– मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 15 से अधिक उद्योग पतियों के साथ वन-टू-वन चर्चा की।
– जिन इकाइयों का लोकार्पण-भूमि पूजन हुआ, उनके उद्यमियों से मुख्यमंत्री ने संवाद किया।
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