Hire Purchase Scheme for MP Government Employees: भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा खबर सामने आ रही है। सरकार इसके लिए हायर परचेस सिस्टम और एन्यूटी मॉडल लेकर आ रही है। इस योजना के तहत सरकार शासकीय कर्मचारियों से किराया लेकर मकान का मालिक बनाएगी।
इस योजना के तहत पहले कर्मचारियों को मकान किराए पर दिया जाएगा, उसके बाद उसका मालिकाना हक भी दे दिया जाएगा। शुरुआत में चयनित महानगरों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। बता दें कि शुरुआत में चयनित महानगरों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। इसके लिए सरकारी समिति का गठन किया जाएगा।
पहले भी थी हायर परचेस योजना
बता दें कि इस तरह की योजना पहले भी चलती थी। लेकिन, बाद में इसे बंद कर दिया गया था। वहीं, अब बढ़ती आवासीय मांग के कारण सरकार इसे फिर से शुरू करने का मन बना रही है। राज्य सरकार हायर परचेस मॉडल (किराया क्रय पद्धति) लागू करने की तैयारी में हैं। इस मॉडल की खासियत यह है कि, शासकीय कर्मचारी को मकान किराए पर दिया जाता है, फिर किश्तों में मकान की वास्तविक कीमत का भुगतान करना होगा।
अंतिम किस्त के बाद मिलेगा मालिकाना हक
जब तक क्रेता द्वारा अंतिम किस्त का भुगतान नहीं कर दिया जाता, तब तक क्रेता उस वस्तु का मालिक नहीं हो सकता हैं। जैसे ही अंतिम किस्त का भुगतान होगा, उसके बाद से ही कर्मचारी को मकान का मालिकाना हक दे दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य शासन के अंशदान के साथ आवंटियों की भागीदारी और हायर परचेस मॉडल, एन्यूटी माडल, निजी आवासीय कॉम्प्लेक्स किराए पर लेने और अन्य प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।
इन शहरों में पहले होगी शुरुआत
इस योजना की शुरुआत पहले इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में इस योजना को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में होगी। सरकार इसके लिए एक समिति गठित करेगी, यह समिति शासकीय आवास गृहों के निर्माण के लिए वैकल्पिक वित्तीय तथा क्रियान्वयन प्रक्रिया के प्रस्ताव बनाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के समय हुआ था विचार
Hire Purchase Scheme for MP Government Employees: बता दें कि, हायर परचेस मॉडल सहित कर्मचारियों को आवासीय सुविधा देने के लिए एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय विकल्पों पर विचार किया गया था। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की अध्यक्षता में समिति भी गठित की गई थी। उस समय इस समिति को एक महीने में अपनी अनुशंसाएं सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्तुत करनी थी, लेकिन इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।