इंदौर के आश्रम में हैजे से मरे थे चार बच्चे, प्रशासन को संक्रमण की जानकारी देर से दी गई: जिलाधिकारी |

इंदौर के आश्रम में हैजे से मरे थे चार बच्चे, प्रशासन को संक्रमण की जानकारी देर से दी गई: जिलाधिकारी

इंदौर के आश्रम में हैजे से मरे थे चार बच्चे, प्रशासन को संक्रमण की जानकारी देर से दी गई: जिलाधिकारी

:   Modified Date:  July 5, 2024 / 02:48 PM IST, Published Date : July 5, 2024/2:48 pm IST

इंदौर (मध्यप्रदेश), पांच जुलाई (भाषा) इंदौर के एक आश्रम में हफ्ते भर के भीतर छह बच्चों की मौत को लेकर मचे हड़कंप के बाद जिला प्रशासन ने शुक्रवार को कहा कि इस संस्थान में दूषित पेयजल के कारण हैजा फैला था और इनमें से चार बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई थी। प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने आश्रम प्रबंधन की चूक का खुलासा करते हुए यह भी कहा कि अगर आश्रम में संक्रमण के पहले मामले की जानकारी प्रशासन को वक्त रहते दे दी जाती तो शायद एक-दो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

जिलाधिकारी आशीष सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘श्री युगपुरुष धाम बाल आश्रम के पेयजल के नमूनों की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह बात साबित हुई है कि इस संस्थान में दूषित पानी से हैजे का संक्रमण फैला।’’

उन्होंने बताया कि एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित आश्रम में टैंकर के जरिये पानी की आपूर्ति की जाती थी। सिंह ने कहा, ‘‘हमें बताया गया है कि आश्रम में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) तकनीक वाला जलशोधक यंत्र लगा है, लेकिन यह जांच का विषय है कि हैजा फैलने के दौरान यह उपकरण काम कर रहा था या नहीं।’’

जिलाधिकारी ने बताया कि प्रशासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति की अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक आश्रम में हफ्ते भर के भीतर छह बच्चों की मौत हुई है।

सिंह ने बताया, ‘‘आश्रम के पेयजल की जांच रिपोर्ट और संक्रमित बच्चों में मिले लक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि छह में से चार बच्चों की मौत हैजे के कारण हुई। शेष दो बच्चों की मौत के कारण के बारे में फिलहाल पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।’’

उन्होंने कहा कि अगर आश्रम प्रबंधन संक्रमण के पहले मामले की जानकारी प्रशासन को वक्त रहते दे देता तो बच्चे निश्चित रूप से कम बीमार पड़ते और शायद एक-दो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

जिलाधिकारी ने कहा, ‘‘आश्रम से यह चूक तो जरूर हुई है।’’

जांच समिति में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि छानबीन में पता चला है कि जिला चिकित्सालय के एक चिकित्सक को आश्रम के दो बच्चों में 27 जून को उल्टी-दस्त के लक्षण मिले थे, लेकिन आश्रम प्रबंधन ने प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दी थी।

उन्होंने बताया, ‘‘हैरत की बात यह है कि जब प्रशासन का दल दो जुलाई को जांच के लिए आश्रम पहुंचा, तब जाकर दोनों बच्चों को अन्य बीमार बच्चों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया जा सका। ये बच्चे मानसिक रूप से बेहद कमजोर हैं और वे दूसरों को आपबीती तक नहीं बता सकते।’’

अधिकारी ने बताया कि आश्रम के भीतर चार बच्चों ने उल्टी-दस्त से पीड़ित होने के बाद एक और दो जुलाई के बीच दम तोड़ा, जबकि इस संस्थान में 30 जून को जान गंवाने वाले एक बच्चे के बारे में दावा किया गया था कि उसकी मौत दिमागी दौरे के कारण हुई थी।

उन्होंने बताया कि आश्रम के आठ वर्षीय बच्चे अंकित गर्ग की मौत 29 और 30 जून की दरमियानी रात हुई थी, लेकिन आश्रम प्रबंधन ने इसकी जानकारी प्रशासन को नहीं दी और उसके शव को परिजनों को सौंपे जाने के बाद एक स्थानीय श्मशान में दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

अधिकारी के मुताबिक आश्रम प्रबंधन का दावा है कि इस बच्चे की मौत मिर्गी से हुई थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

जिलाधिकारी सिंह ने कहा, ‘‘हमारी उच्च स्तरीय जांच समिति पारदर्शी तरीके से काम कर रही है जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को भी शामिल किया गया है। जांच में पता चला है कि आश्रम ने केवल एक बच्चे (अंकित गर्ग) की मौत की जानकारी छिपाई। हालांकि, मौत के इस मामले को जांच में शामिल किया जा चुका है।’’

उन्होंने यह भी बताया कि आश्रम में हैजा फैलने के बाद शहर के शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में भर्ती कराए गए 60 बच्चों की सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।

सिंह ने बताया, ‘‘अस्पताल में इलाज के बाद स्वस्थ हुए 12 बच्चों को परदेशीपुरा क्षेत्र के एक सरकारी आश्रम में भेजा गया है। इनके अलावा, 20 और बच्चों को अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है।’’

भाषा हर्ष खारी

खारी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)