Winter Session in MP Assembly 2nd Day: भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। आज भी कई मुद्दों पर सदन में सियासी गर्माहट देखने को मिल रही है। विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते ही प्रश्नकाल में खरगापुर से कांग्रेस विधायक चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर ने सांझा चूल्हा योजना अंतर्गत पोषण आहार वितरण का मुद्दा उठाया।
सदन में विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा कि, आंगनबाड़ियों में भोजन का काम बीजेपी लोगों को दिया जा रहा है। पात्र होने पर भी कांग्रेस के लोगों को काम नहीं दिया जा रहा है। इस पर महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने जवाब
देते हुए कहा कि, सभी पात्रों को काम दिया जाता है। इधर पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने बड़ा आरोप लगात हुए कहा कि, सदन में परंपराएं टूट रही है। पहले ध्यानाकर्षण के सवाल को लेकर विधायकों की मंत्रियों से बात हो जाती थी, जिससे संवादहीनता की स्थिति नहीं होती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं हो रहा है।
पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि, मैंने जो कल ध्यानाकर्षण लगाया था, अपने क्षेत्र में एक स्कूल को लेकर लगाया था। वहां पर प्राइवेट स्कूल के द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है। हाल ही में वहां पर यौन शोषण की घटनाएं बढ़ी है। मैंने सदन में भी यही बात कही थी। लेकिन, स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि वहां जन आक्रोश हो यह सही नहीं है तो क्या यौन शोषण की घटनाओं पर मैं खुश हूं ?.. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि, प्रदेश मे यौन शोषण की घटनाएं बढ़ी है, उन्हें रोकने के लिए सही नीति बनाने की आवश्यकता है। इधऱ, भूपेंद्र सिंह के दावे पर जयवर्धन सिंह ने कहा कि, ऐसी स्तिथि कभी नहीं रही। वरिष्ठ नेताओं की सुनवाई मंत्री नहीं कर रहे। मंत्री सदन में गलत जानकारी देते हैं। भूपेंद्र सिंह का ये हाल है।
मध्य प्रदेश में आंगनबाड़ी भवनों और केंद्रों की भौतिक स्थिति को लेकर सरकार ने सदन में बड़ी जानकारी दी। भाजपा विधायक कंचन मुकेश तनवें के सवाल के जवाब में लिखित जानकारी देते हुए बताया कि, प्रदेश में पिछले 5 सालों में 194 आंगनबाड़ी केंद्र 4320 आंगनबाड़ी स्वीकृत हुए और सिर्फ 1399 भवन ही बन सके। महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने सदन में लिखित जानकारी देते हुए बताया कि, प्रदेश में 34143 से अधिक आंगनवाड़ी भवन के अभाव में 4044 से अधिक जर्जर स्थिति में है। भवन विहीन और जर्जर आंगनवाड़ी सरकारी भवन और स्कूलों में किराए से संचालित किए जा रहे हैं।
शीतकालीन सत्र में राज्य सरकार से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होती है और कानून बनाने से लेकर वित्तीय मामलों पर विचार-विमर्श किया जाता है।
सत्र में विभिन्न मुद्दों जैसे सरकारी योजनाओं, विपक्ष के आरोपों, और नीतिगत फैसलों पर चर्चा हो रही है।
विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संवादहीनता और सरकारी कार्यों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के कारण सत्र में सियासी गर्माहट देखने को मिल रही है।
ध्यानाकर्षण सवाल वे होते हैं जिनके माध्यम से विधायक किसी विशेष मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं और संबंधित मंत्री से जवाब मांगते हैं।
शीतकालीन सत्र की अवधि आमतौर पर 4-5 दिनों की होती है, लेकिन इसकी समयसीमा सत्र के एजेंडे और चर्चा की आवश्यकता के अनुसार बढ़ाई या घटाई जा सकती है।
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