भोपाल। Face To Face MP: मध्यप्रदेश विधानसभा में शीत सत्र की शुरुआत के साथ ही सदन से सड़क तक सियासत गर्म हो गई थी। सदन के अंदर सवालों की बौछार, बाहर प्रदर्शन धुआंधार, हर रोज एक नया मुद्दा, हर दिन एक नया प्रदर्शन बोरा से शुरू हुआ। कटोरा, कैटली और बॉटल से होते हुए टोंटी तक पहुंच गया। मुद्दों पर सवाल पूछना विपक्ष का हक है और ये जनता के लिए भी मुफीद है शोर और हंगामे से इतर विरोध का ये तरीका हर रोज सुर्खियां बटोर रहा है। सरकार के पास इस पैंतरे की तोड़ क्या है। क्या वो विपक्ष को माकूल जवाब दे पा रही है? आज इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे। खास मेहमान हमारे साथ होंगे।
इन चार तस्वीरों से साफ़ है कि विपक्ष सरकार को सदन के बाहर और सदन के अंदर हर तरह के मुद्दे पर पूरी रणनीति के साथ घेर रहा है। प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं, इसलिए पार्टी विधायकों ने तय किया है कि वे अपना वेतन नहीं लेंगे। वहीं कांग्रेस के नल जल योजना पर सवाल उठाने पर बजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस को घेरा और कहा कि, कांग्रेसियों के हाथों में टोटी ही रहेगी। हर घर को पानी और हर खेत को पानी मिलेगा, लेकिन कांग्रेस सूखी रहेगी।
Face To Face MP: विपक्ष ने न सिर्फ मध्यप्रदेश के मुद्दे पर सरकार को घेरा बल्कि बाबा साहेब अंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर भी प्रदर्शन किया, तो वहीं विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी प्रश्नकाल और ध्यानाकर्षण में सरकार को घेरा। प्रश्नकाल में बीजेपी विधायक सतीश मालवीय और चिंतामणि मालवीय ने उज्जैन मास्टर प्लान और सिंहस्थ की जमीन पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया। कुल मिलाकर शीत सत्र का चौथा दिन भी हंगामेदार रहा। पहले दिन से विपक्ष न सिर्फ सदन के भीतर बल्कि बाहर भी अपने तरकश से अलग-अलग तीर निकाल कर सरकार पर वार कर रहा है। कहना गलत नहीं होगा कि हर दिन विपक्ष ने हर मुद्दे पर प्रतीकों की पॉलिटिक्स की अब सत्र का आखिरी दिन भी क्या यूं ही हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा, ये बड़ा सवाल है।
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