भोपाल। Face To Face MP: नियमों का उल्लंघन, कायदों की अनदेखी, और प्रशासन को खुली चुनौती। मध्यप्रदेश की राजनीति में बार-बार लक्ष्मण रेखा पार की जा रही है। इसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के सीनियर नेता शामिल हैं, जिनका काम व्यवस्था बनाना हो। अगर वही अराजक हो जाएं तो चिंता बढ़ जाती है और सवाल खड़े होते हैं। नेताओं को आखिर इतनी ऐंठ किस बात की है क्यों वो प्रशासनिक अधिकारियों का सरेआम धमकी देते दिखते हैं या फिर जनता को प्रशासन के खिलाफ उकसाते नजर आते हैं?
तो सुना आपने सुधर जाओ वरना थाने में घुसकर मारुंगा, ये बयान बीजेपी के पूर्व विधायक का है और दूसरे कांग्रेस के वर्तमान विधायक है, जो जनता को भड़का रहे हैं कि तहसील में अधिकारियों के मुंह में जाकर थूको। ये भड़काउ भाषा जनता के जनप्रतिनिधियों की है जो जनता के सरोकार की बात करते है लेकिन ऐसा लगता है ये खुद को कानून से ऊपर मानते हैं शायद इन्हें इस बात का अंहकार हो गया है कि जो हम कहते हैं वही कानून होता है।
दूसरी बात तो ये हैं कि इन दोनों बयानों से एक बात तो क्रिस्टल क्लियर है कि, पुलिस और प्रशासन से पक्ष और विपक्ष दोनों को शिकायत है, लेकिन शिकायत का ये तारीका कितना सही है। क्या राजनेता मार्यदा और भाषाई शिष्टाचार का गला घोटने पर उतारु हो गए हैं।
Face To Face MP: मध्य प्रदेश की जनता उस पुलिस से ये सीधे सवाल कर रही है जो देश भक्ति, और जनसेवा की दुहाई देती है अगर उसको कोई नेता घुसकर मारने की धमकी देता है या थूकने की धमकी देता है तो क्या उसके खिलाफ कार्रवाई करने की आप हिम्मत जुटा पाए और मध्यप्रदेश की जनता उन नेताओं से भी सवाल करती है जो जनता की तो बात करते हैं लेकिन जनता की बात करते-करते गली गालौज पर उतर आते हैं नेता जी बताईए ये कितना सही है? और सवाल पुलिस से भी है अगर नेताओं की जगह जनता होती तो आप उसके साथ क्या सलूक करते।
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