भोपाल। Face To Face MP: मोदी 3.0 की शुरुआत के साथ ही बीजेपी और संघ के बीच दरार की खबरें तेज है। इसी दरम्यान संघ के नेताओं के कई तीखे बयानों को बीजेपी और पीएम मोदी के लिए संदेश के तौर पर देखा गया। अब जबकि सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखाओं में जाने पर लगे बैन को हटा दिया गया है तो क्या ये संघ और बीजेपी के बीच के संबंधों की एक नई कहानी की ओर इशारा करता है। प्रतिबंध हटने के पीछे क्या कोई सियासी मकसद भी है और विपक्ष ने इस फैसले को किस तरह देखा। इस पर आज करेंगे फोकस ।
केंद्र सरकार के एक फैसले से फिर से सियासी घमासान तेज हो गया है और इस फैसले से जुड़े हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और सरकारी कर्मचारी। दरअसल केंद्र सरकार ने आदेश जारी करते हुए उस प्रतिबंध को हटा दिया है जिसमें RSS के किसी भी कार्यक्रम में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर मनाही थी। यानी इस आदेश के बाद सरकारी कर्मचारी, RSS के किसी भी कार्यक्रम में शामिल हो सकेंगे और अब इस आदेश पर समूचे विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
Face To Face MP: हालांकि RSS ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि राष्ट्र के प्रति काम करने वाले संस्थान का सम्मान होना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री और RSS के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है, उसी को सुधारने के लिए ये कदम उठाया गया है। तो कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी कर्मचारियों को RSS के कार्यक्रम में शामिल करने का अधिकार दे दिया और इस फैसले से कांग्रेस नाराज है साथ ही वो तंज भी कस रही है कि लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से RSS ने जिस तरह से बिना नाम लिए बीजेपी पर आक्रमण बोला है उन्हीं तल्खियों को ठीक करने के लिए बीजेपी ने फैसला लिया है, चूंकि संसद का बजट सत्र चल रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष इस मुद्दे को संसद में उठाता है या फिर केवल बयानबाजी कर सियासी माहौल बनाए रखता है।
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