भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार गरीबों की चिंता कर रही है वो 2028 तक गरीबी के खात्मे का प्लान तैयार कर रही है। इसे लेकर आज कैबिनेट में चर्चा हुई। हैरानी ये कि विकसित भारत के सपने और महान भारत के अमृतकाल के बीच गरीब और गरीबी न केवल जिंदा हैं, बल्कि प्रासंगिक भी हैं जी हां दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनमी में गरीबी मेनस्ट्रीम राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा है। दुष्यंत कुमार का वो शेर शायद आपको याद हो। भूख लगी तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ। आज कल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा अफसोस के साथ ये कहना पड़ता है कि ये शेर अब भी मौजूंद है । समाजवादी दौर का दर्द इस घोर पूंजीवादी दौर की भी सच्चाई बनी हुई है । सत्ता, सियासत की इसी स्याह सच्चाई पर हमारी आज की बहस ।
मोहन सरकार ने साल 2028 तक एमपी से गरीबी खत्म करने का संकल्प लिया है। इस संकल्प को पूरा करने सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है। दरअसल, सीएम डॉक्टर मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में गरीबी खत्म करने के रोडमैप पर चर्चा हुई। मंत्रिमंडल ने गरीब कल्याण मिशन पर मंथन किया और, गरीब कल्याण मिशन के लिए त्रिस्तरीय आयाम तय किए गए हैं, जिन पर काम किया जाएगा और लक्ष्य रखा कि साल 2028 तक एमपी में गरीबी को खत्म किया जाएगा ।
Face To Face Madhya Pradesh: सरकार ने प्रदेश में गरीबी खत्म करने के लिए टारगेट सेट किया तो इधर सियासत शुरू हो गई। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि, 20 साल से सत्ता में काबिज बीजेपी अब तक गरीबी खत्म नहीं कर पाई, तो अब क्या करेगी ?तो इधर, बीजेपी ने कांग्रेस को ही आड़े हाथ लिया। सियासत अपनी जगह लेकिन, जनवरी 2024 में नीति आयोग की रिपोर्ट की बात करें तो एमपी में बीते 9 साल में 2 करोड़ 30 लाख गरीब गरीबी रेखा की सीमा से आएं हैं और अब मध्यप्रदेश सरकार गरीबी से मुक्ति पाने के लिए गरीबों के सशक्तिकरण पर गरीब कल्याण मिशन पर काम कर रही है। गरीब पर राजनीति तो हो सकती है, लेकिन गरीबी मुक्ति का रास्ता तो गरीब को सशक्त करने से ही होगा ।