Face To Face Madhya Pradesh

Face To Face Madhya Pradesh: वादों पर घमासान… फिर केंद्र में किसान! क्या वाकई बीजेपी ने किसानों से की है वादाखिलाफी?

Face To Face Madhya Pradesh: वादों पर घमासान... फिर केंद्र में किसान! क्या वाकई बीजेपी ने किसानों से की है वादाखिलाफी?

Edited By :   Modified Date:  September 6, 2024 / 09:05 PM IST, Published Date : September 6, 2024/9:05 pm IST

Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। एमपी में ना अभी विधानसभा का चुनाव है ना लोकसभा का चुनाव, लेकिन फिर भी इन दिनों केंद्र में किसान हैं। जीतू पटवारी ने बीजेपी को किसानों से किए वादे याद दिलाए और ये पूछा कि, अब तक उन्हें पूरा करने का इरादा किया कि नहीं? पटवारी ने तथ्यों के साथ किसानों के मुद्दों को सामने रखा और सीधे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह को आड़े हाथों लेने की कोशिश की। जीतू के तेवर से ये लग रहा है कि कांग्रेस दो मोर्चों पर एक साथ हमलावर होने की रणनीति अख्तियार कर रही है। एक तरफ सीएम मोहन तो दूसरी ओर शिवराज सिंह उसके निशाने पर हैं। इस रणनीति से क्या कांग्रेस बीजेपी को प्रेशर में लाने में कामयाब रहेगी?

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मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार किसान केंद्र में है। इस बार शुरुआत कांग्रेस की तरफ से हुई। अब किसानों को लुभाने के लिए कांग्रेस सोयाबीन 6000 रुपए क्विंटल,धान 3100 रुपए क्विंटल करने की मांग कर रही है। दरअसल, कर्जमाफी के मुद्दे पर 2018 में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस को मालूम है कि यदि सत्ता में लौटना है तो हर हाल में किसानों को अपने साथ जोड़ना होगा। इसलिए अब पार्टी हर जिले में प्रदर्शन करने वाली है। 20 तारीख को कांग्रेस हर जिले में कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किसानों के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगा रहे हैं।

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जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस के अंदर से ही खींचतान की खबरें आती रही जिन्हें कार्यकारिणी गठन में देरी ने हवा भी दी है। लेकिन, एकदम से किसानों के सहारे जीतू पटवारी का केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाना कई सवाल भी खड़े करता है। क्या ये कांग्रेस की सोची समझी रणनीति है । वैसे बीजेपी कांग्रेस के किसान कॉर्ड को कमजोर करने के लिए कर्जमाफी के वादे के जरिए राहुल गांधी और कमलनाथ को घेर रही है।

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तमाम मुद्दों को दरकिनार कर कांग्रेस के रुख में आए इस अचानक बदलाव के पीछे बड़ी वजह ये है कि, दोनों पार्टियां जानती है कि सत्ता तक पहुंचना है तो किसानों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, और इसलिए 2018 के चुनाव में कांग्रेस कर्ज माफी के दावे के सहारे आगे बढ़ी थी तो बीजेपी ने सब्सिडी को अपना हथियार बनाया था।

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