भोपाल: eyebrow plucking is haram in islam मुस्लिम महिलाओं या पुरुषों को आइब्रो पतली कराना, मुड़वाना या नोंचना जायज नहीं है? सिर पर विग लगाना इस्लाम में हराम है? क्या ऐसा करना अल्लाह की नाफरमानी है? ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि ये सवाल उस फरमान के बाद उठ रहे हैं जो बरेलवी मसलक को मानने वाले मुसलमानों के लिए सुनाए गए हैं। बरेलवी मसलक के इन फरमान पर बहस भी छिड़ गई है।
eyebrow plucking is haram in islam मुस्लिम महिलाओं या पुरुषों को आइब्रो पतली कराना, मुड़वाना या नोंचना जायज नहीं है। किसी दूसरे के बाल विग के तौर पर सिर पर लगाना इस्लाम में हराम है। अल्लाह ने जैसा हमे भेजा है, वैसे ही रहना चाहिए।
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दरअसल ये बहस उत्तर प्रदेश के बरेली में आयोजित शरई काउंसिल ऑफ इंडिया के वार्षिक सेमिनार में सुनाए गए फरमान के बाद शुरू हुई, जहां मसलक की ओर से मुस्लिम महिलाओं और युवाओं के लिए अपने एक फैसले में आइब्रो बनवाना और हेयर ट्रांसप्लांट समेत बिग लगाने को नाजायज करार दे दिया है। अपने फैसले में बरेली मसलक ने फरमान सुनाया है कि महिलाओं और पुरुषों के लिए इस्लाम में जो प्रतिबंध बताए गए हैं, उन प्रतिबंधों में आइब्रो बनवाना, हेयर ट्रांसप्लांट करवाने समेत बाल कटवाना जायज नहीं है।
यही नहीं फतवे में मुस्लिम को किसी दूसरे किसी शख्स के हेयर और आइब्रो बनवाने को नाजायज करार दिया गया है, यानि आप अलग लून या पार्लर चलाते हैं और आप मुसलमान हैं तो आपको आप इस्लाम की नाफरमानी कर रहे हैं। उधर मध्यप्रदेश उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली ने समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि हर धर्म के अपने-अपने नियम और संस्कार होते हैं। अल्लाह ने जैसा हमे भेजा है, वैसे ही रहना चाहिए। वैसे ही रहना चाहिए हम गंजे है तो गंजा ही रहना चाहिए नकली बाल क्यों लगाना?
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अब बरेलवी मसलक के इन फरमान पर बहस भी छिड़ गई है। मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम समाज में तो महिलाओँ को उनके पूजा स्थल पर भी जाने नहीं दिया जाता है। समाज में ऐसे कई नियम है जो महिलाओँ की आजादी छीनते हैं। वहीं मध्य प्रदेश की पूर्व संस्कृति मंत्री और कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधौ का कहना है कि ये एक समाज विशेष के नियमों की बात है। उन्हें जो लगता है वो अपने लिए नियम बना सकते हैं।
तो वहीं, शरई काउंसिल ऑफ इंडिया के वार्षिक सेमिनार में जो फरमान बरेलवी मसलक को मानने वाले मुसलमानों को सुनाए गए उनका संबंध इस्लाम से कितना है ये हम नहीं जानते। हम ये भी जानते कि इन फतवों और फरमानों को सुनाने के पीछे मकसद क्या है। लेकिन सवाल ये कि जो मुस्लिम शख्स या महिला आइब्रो या बाल बनवा चुकी है या हेयर ट्रासंप्लांट करा चुके हैं उनका क्या होगा? जो पुरुष या महिला सलून या ब्यूटी पार्लर चला रही है उसका क्या होगा? क्या ऐसे लोग इस्लाम का हिस्सा नहीं रहे या फिर इस्लाम में इन लोगों के लिए अब कोई जगह नहीं रही और अगर ऐसा नहीं है तो फिर ऐसे फतवों और ऐसे फरमानों का मतलब क्या है।