Shastra Pujan in CM House

Shastra Pujan in CM House: सीएम मोहन यादव ने शस्त्र पूजन कर अहिल्या देवी को समर्पित किया दशहरा पर्व, प्रदेशवासियों को दी विजयादशमी की बधाई

Shastra Pujan in CM House: सीएम मोहन यादव ने शस्त्र पूजन कर अहिल्या देवी को समर्पित किया दशहरा पर्व, प्रदेशवासियों को दी विजयादशमी की बधाई

Edited By :   Modified Date:  October 12, 2024 / 01:24 PM IST, Published Date : October 12, 2024/1:24 pm IST

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक विजयादशमी पर शस्त्र पूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पारंपरिक वस्त्र धोती कुर्ता धारण कर वैदिक विधि से शक्ति स्वरूपा मां काली की पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री निवास पर शक्ति, साहस और विजय के प्रतीक के रूप में शस्त्रों का पूजन अवसर पर मुख्यमंत्री सुरक्षा अधिकारी और कर्मचारियों सहित सभी स्टाफ शस्त्र पूजन का हिस्सा बने।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि, विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, जो हिंदू सनातन परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह व्यक्ति को उसके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और अधर्म के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को विजयदशमी की बधाई दी और अहिल्या देवी की 300वीं जयंती के अवसर पर दशहरा पर्व उन्हें समर्पित किया।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि, विजयदशमी के पावन पर्व की मेरी अपनी ओर से सभी को मंगल कामना एवं बधाई। युगों-युगों से दशहरे का पावन पर्व हम सबको हमारी सनातन संस्कृति से जोड़ता है। देश का सनातन धर्म का पूरा समाज आज शस्त्र पूजन करके दशहरा पर्व मना रहा है। कई-कई कारणों से आज का महत्व है। आज खास करके हमारी स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया का भी जन्मोत्सव है। मैं उनको भी नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उनका स्मरण करता हूं।

सीएम ने कहा कि, जनसंघ के जमाने से लेकर आज तक राजमाता भाजपा के लिए विशेष स्थान रखती हैं। मातृ स्वरूपा उनका स्वभाव, किसी पद की लालसा नहीं और अपने तन-मन-धन से पार्टी को खड़ा करने में उन्होंने जो अपना योगदान दिया वो भाजपा और भाजपा वालों के मन में विशेष आदर का स्थान रखता है।

सीएम मोहन यादव ने आगे कहा कि, अहिल्या माता को भी स्मरण करना चाहूंगा जिनकी 300 भी जयंती चल रही है। आज इसी अवसर पर हमने पूरे प्रदेश में दशहरा उत्सव उनके नाम पर मनाने का निर्णय किया है, जिनके शासन के सभी सूत्र जनता की सेवा के साथ-साथ, सशस्त्र बल में भी उनकी अपनी सीमा उल्लंघन के मसले का उनका एक उदाहरण है कि उनके राज्य पर कभी आक्रमण नहीं हुआ। उन्होंने सदैव अपने राज्य के साथ-साथ पूरे अखंड भारत की कल्पना करते हुए सभी प्रकार के सुशासन के सूत्र हाथ में लेकर शासन चलाया। ऐसी पुण्य अहिल्या माता के लिए भी आज हमने ये दशहरा उनको समर्पित किया है।

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