भोजशाला विवाद: विवादित परिसर में जैन समुदाय को उपासना के अधिकार संबंधी याचिका वापस ली गई |

भोजशाला विवाद: विवादित परिसर में जैन समुदाय को उपासना के अधिकार संबंधी याचिका वापस ली गई

भोजशाला विवाद: विवादित परिसर में जैन समुदाय को उपासना के अधिकार संबंधी याचिका वापस ली गई

:   Modified Date:  July 5, 2024 / 08:57 PM IST, Published Date : July 5, 2024/8:57 pm IST

इंदौर, पांच जुलाई (भाषा) धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में जैन धर्मावलंबियों को उपासना का अधिकार दिए जाने की गुहार के साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका तकनीकी कारणों से शुक्रवार को वापस ले ली गई।

याचिका में दावा किया गया था कि इस विवादित परिसर में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था जहां देवी अम्बिका की मूर्ति स्थापित थी।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सलेकचंद जैन की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी की कि इस याचिका को न तो उचित प्रारूप में पेश किया गया है, न ही इसे दायर करने में हुई देरी का कारण स्पष्ट किया गया है।

इसके बाद जैन के वकीलों ने याचिका वापस लेकर तय प्रारूप में नये सिरे से याचिका दायर करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी। एकल पीठ की अनुमति के बाद याचिका वापस ले ली गई।

इस याचिका में कहा गया था कि भोजशाला परिसर में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था जहां जैन मुनियों तथा विद्वानों द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी और इस परिसर में संस्कृत, प्राकृत एवं अन्य भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद का काम भी होता था, लिहाजा जैन समुदाय के लोगों को इस स्थान पर उपासना का अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए।

याचिका में यह दावा भी किया गया था कि भोजशाला परिसर की जिस मूर्ति को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) की प्रतिमा बता रहा है, वह असल में जैन समुदाय की देवी अम्बिका (जैन यक्षिणी) की मूर्ति है जिसे धार के राजा भोज ने इस परिसर में 1034 ईस्वी में स्थापित किया था।

याचिका के जरिये गुहार लगाई गई थी कि लंदन के एक संग्रहालय में रखी इस मूर्ति को भारत वापस लाकर धार के भोजशाला परिसर में फिर से स्थापित किया जाना चाहिए।

भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है।

‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल में खत्म हुआ है।

उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक एएसआई को विवादित परिसर के सर्वेक्षण की संपूर्ण रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करनी है।

भाषा हर्ष

राजकुमार

राजकुमार

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)