दुर्गा की कहानी कुछ ऐसी है कि अपने परिवार को संभालने के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाली दुर्गा के लिए सहानूभूति की एक नहीं बल्कि कई हाथ एकसाथ खड़े हो गए।
एक समय में समय बैतूल रेलवे स्टेशन पर मुन्ना बोरवार नामक कुली काम करते थे। उन पर तीन जवान बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी।
एक दिन मुन्ना के पैरों ने जवाब दे दिया और वे काम करने काबिल नहीं रहे। जिसके बाद 18 साल की जवान बेटी दुर्गा ने पिता की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया।
रेल संघों से जुड़े पदाधिकारी अशोक कटारे और वीके पालीवाल के प्रयास से दुर्गा को जिम्मेदारी मिल गई और वह बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली के तौर पर काम करने लगी जो कि साल 2013 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है।
इसका साक्षी रहा पूरा रेलवे स्टाफ और समाज सेवी, सामाजिक बन्धु। बेसहारा दुर्गा की शादी का बीड़ा इन्होंने ही उठाया।
रेलवे का वेटिंग हाल और नजारा विवाह रस्म का देखने और सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा। लेकिन, यह नजारा है बैतूल रेलवे स्टेशन का, जहां पिछले 10 वर्षों से कुली का काम कर रही दुर्गा की शादी की रस्म निभाई जा रही है।
दुल्हा भी पूरे रस्मों रिवाज के साथ बारात लेकर विवाह स्थल पहुंचा। इस कार्यक्रम में सांसद डीडी उईके एवं बैतूल विधायक हेमंत खण्डेलवाल सहित समस्त रेलवे स्टॉफ और समाजसेवी भी उपस्थित हुए। जिन्होंने वर और वधू को शुभ आशीर्वाद देकर उज्जवल भविष्य की कामना की।
Betul Kuli Durga wedding
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