बालाघाट। गढी थाना अंतर्गत मरार समाज में बहिष्कार का मामला सामने आया है, जिसमें समाज के ही लोगों द्वारा किसी अन्य समाज का नहीं बल्कि अपने ही समाज के 56 लोगों का बहिष्कार किया गया है। इसकी मुख्य वजह शादी है। ऐसे में पीड़ित परिवार ने शासन प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
आज के आधुनिक युग में भी सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीतिया देखने को मिल रही है। ताजा मामला बालाघाट से 90 किमी दूर आदिवासी बहुल गढ़ी से सामने आया है, जहां मरार समाज के हुकुम फरमानो ने करीब 13 परिवारों के लगभग 56 लोगों को अपने ही समाज से बृहिष्कृत कर दिया है और उनका समाज में दाना पानी भी बंद कर दिया गया है। जिसको लेकर पीडित परिवार ने अब जिला प्रशासन से न्याय की उम्मीद जताई है। दरअसल यह पूरा मसला एक बेटी के समाज के ही अन्य वर्ग के लड़के के साथ शादी होने से जुडा हुआ है। जहा उनके शादी के बाद समाज के कुछ हुकुम फरमानों ने विवाह में शामिल हुए 13 परिवार के 56 सदस्यों को समाज से बहिस्कृत कर दिया है।
पीड़ितों ने बताया कि जो सदस्य शादी में पहुंचे थे उन पर भी 150 रू का जुर्माना कर दिया और पीड़ितों ने बताया कि हम पर भी 150 रू का जुर्माना किया गया है। बृहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया कि 04 जनवरी को गढ़ी निवासी महेश शांडिल्य की पुत्री सुमंगला उम्र 28 वर्ष का मरार समाज के अन्य वर्ग भौरया मरार के लडके के साथ रिश्ता तय हुआ और 23 फरवरी को शादी हुई। जिसमें समाज के कुछ लोग उपस्थित हुये थे, जिन्हे द्वेष भावना पूर्वक समाज के कुछ हुकुम फरमानो ने सामाज से बहिस्कृत कर दिया गया।
ऐसी स्थिति में ना तो उनसे कोई मिलने आता है और ना ही उन्हें समाज के लोग किसी कार्यक्रम में आमंत्रित करते है। अपर कलेक्टर शिवगोविंद मरकाम ने बताया कि मेरे पास शिकायत तो नहीं आई है मुझे आप लोगों के माध्यम से पता चला है, और सामाजिक स्तर का मामला है । इसे अपने स्तर पर दूर करना चाहिए। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर हम भी पहल करेंगे। IBC24 से हितेन चौहान की रिपोर्ट
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