रायपुरः PM Modi’s speech in Lok Sabha प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया। सोमवार को राहुल गांधी के भाषण के बाद सभी इस बात का इंतजार कर रहे थे कि मंगलवार को पीएम मोदी नेता प्रतिपक्ष पर किस तरह से पलटवार करेंगे। पीएम मोदी ने लोकसभा में 2 घंटे 15 मिनट तक अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर विपक्ष को करारा जवाब दिया। इतना ही नहीं उन्होंने इशारों ही इशारों में राहुल गांधी पर जमकर तंज कसे। पीएम मोदी के 2 घंटे 15 मिनट के भाषण में क्या था खास? समझते हैं…
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के डेढ़ घंटे के भाषण के बाद माना जा रहा था कि मंगलवार को पीएम मोदी उनसे ज्यादा देर तक भाषण देंगे। हुआ भी कुछ ऐसा ही। पीएम मोदी ने लगभग 2 घंटे 15 मिनट तक लोकसभा में अपनी बात रखी। इस दौरान विपक्ष का हंगामा चलता रहा। ऐसा लग रहा था कि पीएम मोदी विपक्ष को थकाने के लिए और बोलते जा रहे हैं। मेरे हिसाब से पीएम मोदी के भाषण को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। सबसे खास बात यह कि इन तीनों भागों में पीएम मोदी के अलग-अलग रंग दिखें।
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PM Modi’s speech in Lok Sabha मंगलवार को लोकसभा में भाषण के दौरान पीएम मोदी फिर वही पुराना राग अलापते हुए दिखे। चुनावों के दौरान जो बातें वे कह रहे थे, वहीं बात उन्होंने संसद में फिर दोहराई। उन्होंने 2014 से पहले की स्थिति, भ्रष्टाचार, बिगड़ती अर्थव्यवस्था, किसानों की स्थिति जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाई। अपनी सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने किसानों की आय दुगनी करने, इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन, इकोनॉमी को मजबूत करने का दावा किया। उनके भाषण के दौरान लग रहा था कि पीएम मोदी आज अपने रंग में नहीं दिख रहे हैं। नई बातें करने के बजाय उन्होंने अपनी पुरानी बातों को दोहराया। बेहतर तो यह होता कि वे अपनी सरकार की आगामी योजनाओं को जनता के सामने रखते। मैंने चुनावों के दौरान पीएम मोदी को यह कहते हुए सुना था कि वह डेढ़ साल से तैयारी कर रहे हैं। 5 लाख से ज्यादा लोगों से मशवरा करने बाद उन्होंने आने वाले 10 सालों के लिए प्लान तैयार किया है। अगर उनकी सरकार बनती है तो वह प्लान देश की जनता के सामने रखेंगे, लेकिन ऐसी कोई बात आज दिखाई नहीं दी। वही पुराना राग था, जो वे चुनावों के दौरान लगातार कहते आ रहे थे।
उनके भाषण का दूसरा भाग बहुत इंटरेस्टिंग था। चूंकि मोदी की गिनती कुशल राजनेताओं में होती है। सदन में एक बार फिर उन्होंने इसे साबित किया। कांग्रेस और राहुल गांधी पर उन्होंने जमकर तंज कसा। राहुल गांधी को लेकर चुटकुले सुनाए। इस दौरान पीएम मोदी का एक खाटी राजनेता वाला रंग दिखा। उन्होंने शोले से लेकर राहुल कितने भोले हैं’ इस पर चुटकुले सुनाए। उन्होंने राहुल गांधी को बालक बुद्धि कहा। उन्होंने राहुल के कल के भाषण को आधार बनाते हुए कहा कि कल जो भाषण दिया गया, वह एक बालक के बराबर की बुद्धि से दिया गया था। जिसमें ना कोई नियम माना गया और ना कोई परंपरा मानी गई। सदन की गरिमा को तार-तार कर दिया गया और अनर्गल झूठे आरोप लगाए गए। उन्होंने शोले की मौसी का भी जिक्र किया और राहुल पर तंज कसा। कुल मिलाकर यह कहे कि कल राहुल गांधी के लगाए गए आरोपों का पीएम मोदी ने पानी पी-पीकर बदला लिया और नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस पार्टी को अंडरमाइंड करने कोशिश की। उन्होंने विपक्ष को आईना भी दिखाया कि भाई आप तीसरी सबसे बड़ी हार लेकर बैठे हो। आप संसद में जीत के नहीं आए हो। आपके जीत का जश्न उस बच्चे की खुशी की तरह है, जो 99 अंक आने पर खुशी मनाता हो। जब उसके टीचर ने उसे बताया कि भैया 100 में नहीं, 543 में से 99 नंबर आएं हे। यह आईना दिखाने का काम पीएम मोदी ने किया।
उऩके भाषण के तीसरे भाग की बात करें तो यह सबसे गंभीर था। इस पर जनता को भी ध्यान देना चाहिए। पीएम मोदी ने देश के विरोधी ताकतों और दुश्मनों को चेतावनी देते हुए कहा कि अब हमारा भारत बदल चुका है। अब हम घर में घुसकर मारते हैं। हमारा देश उस इको सिस्टम को भी जवाब देना जानता है जिस पर विपक्षी लोग काम कर रहे हैं। उसको उसी भाषा में जवाब देना हमारा देश जानता है और उसी भाषा में जवाब मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष पिछले संसद से ऐसा कर रहा है कि जब मैं भाषण देता हूं तो हंगामा करते हैं। मेरे भाषण के दौरान लगातार हल्ला मचाते हैं, लेकिन अब मैं मजबूत हो चुका हूं। मेरा गला मजबूत हो चुका है। मुझे अब इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि भाषण देने में तो आज मुझे बहुत आनंद आया। इससे पीएम मोदी ने यह बताने की कोशिश की कि मोदी कमजोर नहीं हुए हैं। वे तीसरी बार जीत के आए हैं। जनता का मैंडेट उनके साथ है। वह बहुमत में है। उनकी सरकार चल रही है और जिस तरीके का शासन वह करते आए हैं या सरकार पिछले 10 सालों से चलाते आए हैं, वह वैसे ही चलाएंगे। इसमें कोई अंतर नहीं होगा। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने भले ही धीमी की हो, लेकिन जब वे राहुल पर आए तो उनमें एक नया रंग देखने को मिला। उनकी ओर से यह बताने की कोशिश की गई कि वे देश के लिए क्या करने को आतुर है? वे अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं। कुल मिलाकर ये 2 घंटे 15 मिनट के इस भाषण में हमें मोदी के अलग-अलग रंग देखने को मिले, लेकिन मेरा मानना है कि बेहतर यह होता अगर वे देश के सामने आने वाले 5 साल या 10 सालों की एक कोई प्लानिंग रखते। कोई कार्य कल्पना रखते, जिससे कि हमें पता चलता कि मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में क्या करने वाले हैं?
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बीते कुछ सालों में संसद की कार्यवाही में काफी कुछ बदलाव देखने को मिला है। विपक्ष का बर्ताव काफी बदला है। एक दौर था जब लोकसभा में सुषमा स्वराज, मोरार जी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को इत्मीनान से सुना जाता था, लेकिन बीते कुछ सालों में विपक्ष का बर्ताव काफी बदला है। आज इसकी बानगी भी देखने को मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज की ढाई घंटे की स्पीच के दौरान पूरे समय विपक्ष का शोर मचाते हुए हंगामा किय़ा। मेरा मानना है कि यह उचित नहीं है। कल जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बोल रहे थे तो सत्ता पक्ष पूरी शांति से सुन रहे थे। हालांकि बीच-बीच में स्पीकर की अनुमति से हस्तक्षेप किया। सत्ता पक्ष के किसी भी सांसद ने सोमवार को हल्ला नहीं किया। राहुल गांधी का भाषण सबने सुना। मंगलवार को भी अखिलेश यादव के भाषण को सत्ता पक्ष ने पूरे सम्मान के साथ सुना। इसलिए सत्ता पक्ष की ओर से यह अपेक्षा की जाती है कि उनके नेता को भी विपक्ष के लोग शांति से सुने। हमारा लोकतंत्र दुनिया के सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 75 साल से हम इस संसद में और कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है। अगर संसद का नेता यानी देश के प्रधानमंत्री बोल रहे हैं तो उन्हें शांति से सुना जाना चाहिए। आज प्रधानमंत्री मोदी का भाषण हो रहा था तो विपक्ष लगातार हल्ला कर रहा था। नारेबाजी कर रहा था। स्पीकर ने टोका भी, लेकिन वे लोग नहीं माने। ऐसा देखा गया कि राहुल गांधी या अखिलेश यादव विपक्षी सांसदों को ऐसा करने के लिए उकसा रहे थे, लेकिन यह एकदम गलत है। विपक्ष को सत्ता पक्ष की भी बाते सुनना चाहिए। आप अपने भाषणों से विरोध करिए। आप अपनी बात पटल पर रखिए। लेकिन सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान लगातार नारेबाजी करना उचित नहीं है। यह हमारी संसद की गरिमा और परंपरा को भी ठेस पहुंचाता है। इस तरीके के नारेबाजी से कुछ हल निकलने वाला नहीं है। सदन की कार्यवाही के दौरान हर किसी ने मणिपुर हिंसा और नीट जैसे मुद्दे को उठाया। मणिपुर के सांसद ने अपनी पूरी बात रखी। विपक्ष की ओर से हल्ला मचा के डिस्टर्ब करना एक गलत संदेश है। विपक्ष को जनता के मुद्दे उठाने के लिए भेजा गया है। देश के सामने आई समस्याओं को हल करने के लिए भेजा गया है। मैं विपक्ष के इस तरीके के बर्ताव को बिल्कुल उचित नहीं मानता। यह बिल्कुल गलत था।