Modi will face many challenges as Prime Minister for third time

The Big Picture With RKM : तीसरी बार गठबंधन वाली सरकार, अगले कार्यकाल में मोदी के सामने होंगे कई चैलेंज, क्या देश की सियासत पर होगा असर?

तीसरी बार गठबंधन वाली सरकार, अगले कार्यकाल में मोदी के सामने होंगे कई चैलेंज, Modi will face many challenges as Prime Minister for third time

Edited By :   Modified Date:  June 6, 2024 / 01:10 AM IST, Published Date : June 6, 2024/1:08 am IST

रायपुरः Modi will face many challenges लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब नई सरकार के गठन को लेकर तैयारियां तेज हो चली है। इस चुनाव में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लेकिन बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें हैं। यही वजह है कि बीजेपी की नेतृत्व वाले एनडीए अब देश में सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में एनडीए के सभी दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए। बीजेपी को अपना समर्थन पत्र सौंपा और नरेन्द्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव पास किया। बैठक के बाद एनडीए के नेताओं की एक तस्वीर भी सामने आई, जो अगली सरकार के लिए बहुत कुछ कह गई। आखिर इसका संदेश क्या है? चलिए समझते हैं:-

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Modi will face many challenges एनडीए की बैठक के बाद जो तस्वीर सामने आई, वह बहुत ही रोचक है। तस्वीरों में एनडीए 3.0 के सारे नेता हैं और बीच में पीएम मोदी खड़े हैं। इस दौरान मोदी हाईलाइटर कलर की जैकेट में नजर आ रहे हैं। तस्वीरों को देखने पर ऐसा लग रहा है कि भाई देखिए यह नेता हाइलाइटेड है। यही एनडीए 3.0 के नेता है। इस तस्वीर की चर्चा की कई वजह हो सकती है। जब से नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से देश में एनडीए की सरकार रही। भाजपा को 2014 में बीजेपी को 282 और 2019 में 303 सीटें मिली थी। सरकार चलाने के लिए बीजेपी को किसी सहयोगी दल की जरूरत नहीं थी, फिर भी सहयोगी दलों को अपने साथ रखा। इसकी वजह राज्यसभा में भाजपा सांसदों की संख्या का कम होना था। कोई महत्वपुर्ण बिल को सरलता से पास कराने के लिए भाजपा को अपने घटक दलों की हमेशा जरूरत पड़ती थी। लेकिन इस बार 2024 में सब बदल गया है। अब इस बार बीजेपी अपने बलबूते पर 272 सीटों के आंकड़ों को पार नहीं कर पाई। उन्हें बहुमत के लिए 32 सीटों की दरकार है। इन सीटों की पूर्ति तस्वीर में शामिल नेताओं की पार्टी से होगी। तस्वीर में मोदी के दाईं ओर नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, प्रफुल्ल पटेल, एकनाथ शिंदे, चिराग पासवान, एचडी कुमारा स्वामी खड़े हुए हैं। अब पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी सरकार चलाने के लिए इन घटक दलों की जरूरत है।

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अब मोदी के सामने होगी ये चुनौती

घटक दलों के सहयोग के बाद देश में एक बार फिर अब एनडीए की सरकार बनेगी। बुधवार को हुई बैठक में नरेन्द्र मोदी को नेता चुना गया है। लेकिन नई सरकार में मोदी के लिए कई चुनौती भी होगी। सबसे बड़ा चैलेंज ये होगा कि उन्हें अब किसी भी बड़ी पॉलिसी डिसीजन पर या कोई भी बड़ा पॉलिटिकल मूव करने से पहले एनडीए के दलों से सहमति लेना होगा। उनके साथ मिलकर सहमति बनानी पड़ेगी। दूसरी चुनौती यह है कि अब मोदी सभी अच्छे मंत्रालय अपने मन के मुताबिक नहीं बांट पाएंगे। अब उन्हें अपने घटक दलों को भी अच्छे-अच्छे मंत्रालय देने पड़ेंगे। कैबिनेट और मंत्रालय की मांग भी अब शुरू हो गई है। मोदी के सामने तीसरी बड़ी चुनौती बीजेपी का अपना कोर एजेंडा है। वन नेशन वन इलेक्शन, यूसीसी जैसे फैसलों को उस तरह से लागू नहीं कर पाएगी, जैसे की धारा 370, तीन तलाक को किया था। ऐसे फैसलों पर अब घटक दलों की सहमति लेनी पड़ेगी। क्योंकि अब यह बीजेपी की सरकार नहीं है। अब यह एनडीए की सरकार है। चौथा बहुत महत्वपूर्ण है कि उनको अपने घटक दलों पर नजर रखनी पड़ेगी। उनकी रक्षा करनी पड़ेगी। उनके प्रति चौकन्ना रहना पड़ेगा कि वह किसी दूसरे दलों के साथ तो नहीं जा रहे हैं। आज ही पटना से नीतीश कुमार और तेजस्वी एक ही फ्लाइट में बैठकर दिल्ली आ गए तो कई प्रकार की चर्चा होने लगी। क्योंकि नीतीश कुमार की हिस्ट्री थोड़ी सी शेकी है। मोदी को अब हमेशा इस चीज के लिए चौकन्ना रहना होगा। पांचवी सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि मोदी पर सरकारी एजेंसियां दुरुपयोग करने का आरोपों पर अंकुश लग सकता है। क्योंकि इस सब का असर कई राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों पर हुआ था। उनको थोड़ी सहजता के साथ सरकार चलानी पड़ेगी। यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि मोदी ये सब कैसे करते हैं? क्योंकि उनका शासन चलाने का तरीका थोड़ा अलग है।

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देश की सियासत पर नई गठबंधन सरकार का कितना असर?

इस बार के लोकसभा चुनाव में देश में एक बार फिर से क्षेत्रीय दल मजबूत होकर किंग मेकर की भूमिका में उभरी हैं। क्योंकि इस बार कोई भी राष्ट्रीय पार्टी बिना क्षेत्रीय दलों के सहयोग से सरकार नहीं बना सकती है। क्षेत्रीय दलों का उनको समर्थन लेना ही पड़ेगा। लोकतंत्र में जनता अपनी नेता खुद चुनती है। कई राज्यों में अब हम देख रहे हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार बन रही है। अगर यह मजबूत हो रही हैं तो फेडरल स्ट्रक्चर मजबूत होगा। इनको क्षेत्रीय दलों पर पूरा ध्यान देना पड़ेगा। इसके अलावा अब क्षेत्रीय दलों की राज्य सरकारें आसानी से अपनी बात केंद्र से मनवा सकती है। हमने कई बार यह देखा है कि क्षेत्रीय पार्टियों की सरकारें थोड़ी तंग भी करती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो आंध्र प्रदेश और या बिहार विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। अब अगर सरकार बनाने में उनकी महत्त्वपूर्ण है तो हो सकता है कि वो इसी तरह की शर्तें रखें। अब इस तरीके की सारी चीजें दोबारा से होंगी। क्योंकि अब जो भी सरकार है, वह इन्हीं क्षेत्रीय दलों के ऊपर निर्भर है। पिछले 10 साल छोड़ दें तो उससे पहले की वाजपेयी, नरसिंहा राव, मनमोहन सिंह की सरकारें गठबंधन की थी। उस समय की सरकारें अपनी कार्यकाल भी पूरी की। इस देश ने पहले भी इन गठबंधन की सरकारों को देखा है। क्षेत्रीय पार्टियों की मजबूती को देखा है। मुझे लगता है कि मोदी को कोई ऐसी बहुत मुश्किल होने वाली बात नहीं है, लेकिन यह बात सही है कि दोबारा से इस चुनाव के बाद क्षेत्रीय दल किंग मेकर बनकर उभरे हैं।

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