सागर: यह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की सबसे अहम सीटों में से एक है। यह बीजेपी का गढ़ मानी जाती है और यहां पर 1996 के बाद से कोई और पार्टी ने जीत हासिल नहीं की है। (sagar loksabha seat ka samikaran) प्रदेश की राजनीति में भी इस क्षेत्र से कई दिग्गज राजनेता शामिल रहे हैं। सागर लोकसभा सीट में भी आठ विधानसभाओं को शामिल किया गया है जिसमें बीना, खुरई, सुरखी, नरयावली और सागर के साथ-साथ विदिशा जिले की कुरवाई, सिरोंज और शमशाबाद शामिल है।
सागर जिला बीजेपी के लिए एक सुरक्षित लोकसभा सीट मानी जाती है। इसके पीछे की वजह है कि 1996 के बाद से यहां पर किसी और पार्टी की दाल नहीं गली है। सिर्फ बीजेपी ने ही अपना कब्जा जमाया हुआ है। 2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी ने राजबहादुर सिंह को मैदान में उतारा था जबकि कांग्रेस ने प्रभु सिंह ठाकुर को टिकट दिया था। इस चुनाव में बीजेपी को 646231 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को 340689 वोट मिले थे। बीजेपी के राजबहादुर सिंह ने कांग्रेस के प्रभु सिंह ठाकुर को करीब 3 लाख वोटों से करारी शिकस्त दी थी।
बात करें इस सीट जातीय समीकरण की तो सागर लोक सभा सीट ओबीसी बाहुल्य सीट है। भाजपा की प्रत्याशी लता वानखड़े ओबीसी की कुर्मी जाति से है और कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला सामान्य वर्ग से। ऐसे में समझा जा रहा हैं कि कांग्रेस को इस बार भी जीत के लिए बड़ी जोर आजमाइश करनी पड़ सकती हैं।
हालाँकि दोनों ही दल ओबीसी हितैषी होने का दावा कर रहे है लेकिन ओबीसी वोटर का झुकाव बीजेपी की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला ललितपुर यूपी के निवासी है लिहाजा प्रत्याशी बाहरी होने के सवालों का भी कांग्रेस को सामना करना पड़ रहा है। दोनों ही प्रमुख पार्टी के प्रत्याशीयो को लेकर जनता में नीरसता एक बड़ा मुद्दा बना हुआ हैं। (sagar loksabha seat ka samikaran) बीजेपी का गढ़ होने के कारण और गोविंद राजपूत, भूपेंद्र सिंह जैसे दिग्गज नेताओं ने बीजेपी की कमान संभाल रखी है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी संगठन और खुद के दम पर मैदान में डटे है।
सागर क्षेत्र में औद्योगिक विकास धीमा रहा हैं लिहाजा क्षेत्र के लिए बेरोजगारी और पलायन एक बड़ा मुद्दा रहा हैं। यहाँ शिक्षित युवा बड़े पैमाने पर नौकरी और रोजगार के तलाश में बड़े शहरों का रुख करते रहे हैं।