Khandwa Lok Sabha Seat Political Analysis, Khandwa Lok Sabha Background

Khandwa Lok Sabha Seat: कांग्रेस में बगावत खंडवा की जनता को नहीं आई रास, दे दिया कमल को मौका, जानिए इस बार कौन मारेगा बाजी?

कांग्रेस में बगावत खंडवा की जनता को नहीं आई रास, दे दिया कमल को मौका, Khandwa Lok Sabha Seat Political Analysis, Khandwa Lok Sabha Background

Edited By :   Modified Date:  May 12, 2024 / 12:32 AM IST, Published Date : May 11, 2024/9:10 pm IST

खंडवाः Khandwa Lok Sabha Seat प्रदेश में चौथे चरण में जिन 8 सीटों पर मतदान होना है उनमें खंडवा लोकसभा सीट भी शामिल है। नर्मदा और ताप्ती नदी की घाटियों के बीच बसे खंडवा में इस बार बीजेपी कांग्रेस में जोरदार मुकाबला है। खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल को लगातार दूसरी बार मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने नरेंद्र पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है।

खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा- बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव बागली और खंडवा सीट शामिल हैं। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में 8 में से सात पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। खंडवा में कुल 19,09,055 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या-9,25,890 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या-9,83,088 है। यहां थर्ड जेंडर निर्वाचक 77 हैं। यहां सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग के मतदाता है। यहीं वजह है कि दोनों पार्टियां ओबीसी वोट बैंक को रिझाना चाहती है।अनरिजर्वड रही इस सीट पर हुए लोकसभा चुनावों में किसी जमाने में कांग्रेस का बोलबाला रहा, लेकिन बीते कुछ वर्षों से यहां सत्तारूढ़ दल बीजेपी का दबदबा देखने को मिला। अभी तक हुए कुल 19 बार के लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट से कांग्रेस ने 9 बार जीत हासिल की, जबकि बीजेपी को 8 बार जीत मिली। वहीं दो बार जनता पार्टी को भी यहां से जीत मिली। शुरुआती पांच आम चुनावों (1952-71) में कांग्रेस ने पांचों बार खंडवा सीट से जीत का परचम लहराया। इसके बाद 1977 के चुनाव और 1979 के उपचुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली। हालांकि खंडवा की जनता ने इसके बाद फिर कांग्रेस की वापसी कराई और लगातार दो चुनाव (1980 और 1984) में कांग्रेस प्रत्याशी को जिता कर सांसद बनाया।

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नंदकुमार सिंह चौहान बने 6 बार सांसद

इसके बाद 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार इस सीट से जीत हासिल की। हालांकि इसके बाद 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से खंडवा से चुनाव जीता। 1996 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नंदकुमार सिंह चौहान ने जीत दर्ज कर खंडवा लोकसभा सीट पर पार्टी की वापसी कराई। इसके बाद चौहान लगातार (1998, 1999 और 2004) चुनाव जीतते रहे और 2009 तक इस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व लोकसभा में करते रहे। 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2014 और 2019 के चुनाव को जीतकर नंदकुमार सिंह चौहान ने अपना दबदबा कायम रखा। चौहान के निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के ही उम्मीदवार ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत हासिल की और यहां से सांसद बने।

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कांग्रेस में बगावत के बाद खिला था कमल

आपातकाल के बाद जनसंघ ने कांग्रेस का एकाधिकार तोड़ने की शुरुआत कर दी थी। राम जन्मभूमि आंदोलन ने खंडवा क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में माहौल बना दिया। वर्ष 1989 में कांग्रेस के कद्दावर नेता ठा. शिवकुमार सिंह बागी हो गए। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोट बंट गए। इसका लाभ भाजपा प्रत्याशी अमृतलाल तारवाला को मिला और खंडवा में पहली बार ‘कमल’ खिला था।

क्या है यहां के मुद्दें?

मध्यप्रदेश की खंडवा सीट पर महंगाई सहित कई राष्ट्रीय मुद्दे तो हैं ही, इसके साथ-साथ स्थानीय मुद्दों का भी इस बार बोलबाला है। यहां के लोग इस विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर बात करने वाले नेता को चुनने की बात रहे हैं। क्योंकि इस लोकसभा सीट पर इन चीजों का विकास जितना होना चाहिए, उतना नहीं हो पाया है। अब देखने वाली बात होगी कि इस बार खंडवा की जनता इस बार भाजपा पर भरोसा जताती है या फिर कांग्रेस को मौका देती है।

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