नई दिल्ली: Arvind Kejriwal शराब घोटाले मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके खुद के डायबिटिक मरीज होने का हवाला देते हुए अपने डॉक्टर से वर्चुअल कंसल्टेंशन की मंजूरी मांगी है। इस याचिका पर शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई हुई। जिसमें केजरीवाल के वकील ने जेल में आलू-पूड़ी और मिठाइयां खाने के ईडी के दावे पर जवाब दिया। कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके 22 अप्रैल तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भोजन और इंसुलिन वाली याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली की राउज ऐवन्यू कोर्ट में तीखी बहस हुई। दिल्ली सीएम के वकील ने कहा कि कोर्ट को जेल प्राधिकरण से पूछना चाहिए कि ED को केजरीवाल के खाने की एक- एक डिटेल किस अधिकार के तहत दी गई। साथ ही ये सवाल भी पूछा कि जेल प्राधिकरण ने कोर्ट की ओर से सुझाए डाइट के बाहर का खाना केजरीवाल को क्यों देने दिया। इस सवाल के जवाब में जेल प्राधिकरण ने कहा कि केजरीवाल डाइट फॉलो नहीं कर रहे हैं। जेल प्राधिकरण ने बताया कि जब केजरीवाल को जेल में लाया गया था तो वह इंसुलिन ले रहे थे।
लेकिन बाद में खुद ही बंद कर दिया। आपको बता दें कि ED ने कोर्ट में 2 से 17 अप्रैल के बीच केजरीवाल की ओर से ली गई डाइट का चार्ट पेश किया है। जिसमें डाइट का पूरा ब्योरा मौजूद है। ईडी के मुताबिक डायबिटीज मरीज होने के बावजूद केजरीवाल को घर से भेजे जाने वाले नाश्ते में अंडे, केले, आम, फ्रूट चाट, इडली, उपमा और चीनी वाली चाय भेजी गई है। वहीं भोजन में चावल, राजमा, आलू-पूड़ी, मिठाई भी शामिल है। जिस पर दिल्ली के सीएम केजरीवाल के वकील ने कहा कि जेल में 48 बार घर का खाना गया, जिसमें से सिर्फ 3 बार आम भेजा गया था। जबकि 48 बार में से केवल एक बार नवरात्रि में प्रसाद के तौर पर आलू-पूरी भेजी गई।
इधर दिल्ली के सीएम केजरीवाल की डाइट को लेकर दूसरे दिन भी बयानबाजी जारी रही। भाजपा ने जहां इसे केजरीवाल की मेडिकल ग्राउंड पर बेल लेने की तिकड़म करार दिया। वहीं आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की सेहत के खिलाफ गहरी साजिश का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति और चुनाव आयोग से शिकायत करने की बात कही है।
कुल मिलाकर अब 22 अप्रैल को कोर्ट का फैसला आने के बाद ही मालूम पड़ेगा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को नियमित रूप से अपने डॉक्टर से वर्चुअल कंसल्टेंशन की अनुमति मिलती है या नहीं। तब तक दोनों पक्षों की ओर से सियासी बयानबाजी यूं ही चलती रहेगी।