नई दिल्ली: election commission guidelines 2024 pdf हाल में आयोजित चुनावों में राजनीतिक चुनाव प्रचार अभियान विमर्श के गिरते स्तरों की विभिन्न प्रवृत्तियों और मामलों को नोट करते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को यह एडवाइजरी भी जारी की है कि वे सार्वजनिक प्रचार-अभियान में मर्यादा एवं अत्यधिक संयम बनाए रखें और निर्वाचन प्रचार के स्तर को ऊंचा उठा कर ‘मुद्दा आधारित बहस पर ले जाएं।
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election commission guidelines 2024 pdf आयोग ने उल्लंघनों के ऐसे मामलों को लेकर स्टार-प्रचारकों और उम्मीदवारों को भी ‘सचेत’ कर दिया है जिनमें चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता से बचने के लिए पहले जानी-पहचानी कार्य-प्रणालियों का पालन किया जाता था। निर्वाचन आयोग आगामी निर्वाचनों में मुद्दे के समय एवं विषय-वस्तु के हिसाब से दिए जाने वाले नोटिसों पर फिर से कार्रवाई करने के लिए उचित आधार के रूप में एडवाइजरी के अनुसार किन्हीं अप्रत्यक्ष आदर्श आचार संहिता उल्लंघनों का आकलन करेंगे। लोक सभा के आम चुनाव और 4 राज्य के विधान सभाओं के चुनाव के लिए चुनाव के सभी चरण और भौगोलिक क्षेत्र ‘दोबारा” अपराधों का निर्धारण करने के आधार होंगे।
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सबको समान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत को मानते हुए एडवाइजरी में नोट किया गया है कि आयोग यह मानकर कि उसका नोटिस उम्मीदवार या स्टार प्रचारक के लिए नैतिक अंकुश का काम करेगा, चुनावों के पिछले कुछ चरणों के समय से आत्म-संयमित दृष्टिकोण का पालन कर रहा है। आयोग के आदेश यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यानपूर्वक तैयार किए जाते हैं कि निर्वाचन प्रचार कार्यकलापों को सीधे-सीधे निषिद्ध न किया जाए, बल्कि इन कार्यकलापों को कम से कम व्यवधान पहुंचे।
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हालांकि, आदर्श आचार संहिता नोटिसों का, नैतिक अंकुश के सदृश न्यायसंगत तरीके से इस्तेमाल करके विमर्श के स्तर पर लगाम लगाने के उद्देश्य से गलत नहीं समझा जा सकता है और अगले चुनावी दौर में दोहराया नहीं जा सकता है। इसके अतिरिक्त, एडवाइजरी में यह बात भी मानी गई है कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के विस्तृत होते परिदृश्य ने आदर्श आचार संहिता-पूर्व और 48 घंटे की साइलेंस अवधि के बीच के अंतर को धुंधला कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव प्रचार के एक से अधिक चरणों और यहां तक कि असम्बद्ध चुनाव में भी विषय-वस्तु सतत परिचालन में बनी रहती है।
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निर्वाचन अयोग की एडवाइजरी
- निर्वाचकों की जाति/सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। ऐसी किसी भी गतिविधि का प्रयास नहीं किया जाएगा जो विभिन्न जाति/समुदायों/धार्मिक/भाषाई समूहों के बीच मौजूदा अंतरों को बढ़ाए या आपसी घृणा उत्पन्न करे या तनाव कारित करे।
- राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं को भ्रमित करने के उद्देश्य से बिना तथ्यात्मक आधार के मिथ्या बयान नहीं देंगे। असत्यापित आरोपों या विकृतियों के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से परहेज किया जाएगा।
- दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के उस पहलू की आलोचना नहीं की जानी है जो सार्वजनिक कार्यकलापों से नहीं जुड़ी हुई है। प्रतिद्वंद्वियों को अपमानित करने के लिए निम्न स्तर के व्यक्तिगत हमले नहीं किए जाएंगे।
- निर्वाचन प्रोपगंडा या प्रचार के लिए किसी भी मंदिर/मस्जिद/चर्च/गुरुद्वारा या पूजा के किसी भी स्थान का उपयोग नहीं किया जाना है। ऐसे संदर्भ नहीं दिए जाएंगे जो भक्त और देवता के बीच के संबंधों की खिल्ली उड़ाए या दैवी प्रकोप का संकेत दें।
- राजनीतिक दलों/अभ्यर्थियों को ऐसे किसी भी कृत्य/कार्रवाई/कथन से विरत रहना है जिन्हें महिलाओं की प्रतिष्ठा और सम्मान के विरुद्ध माना जा सकता है।
- समाचार आइटम की आड़ में विज्ञापन नहीं दिए जाने हैं।
- सोशल मीडिया पोस्ट जो प्रतिद्वंद्वियों की झूठी निंदा और अपमान करें और पोस्ट जो खराब प्रकृति के हों और जो सम्मानजनक नहीं हों, उन्हें पोस्ट या शेयर नहीं किया जाना है।
- आयोग ने सभी राजनीतिक दलों, उनके नेताओं, और चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों से अनुरोध किया है कि वे आदर्श आचार संहिता और कानूनी फ्रेमवर्क की परिसीमाओं के भीतर रहें। यह जोर दिया गया है कि आदर्श आचार संहिता के प्रत्यायुक्त (सरोगेट) या अप्रत्यक्ष उल्लंघन की किसी भी शैली और निर्वाचन अभियान के स्तर को गिराने के सरोगेट साधों के संबंध में आयोग द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- दूसरे राजनीतिक दल (दलों) के स्टार प्रचारकों के विरुद्ध अनुचित, कभी-कभी अशिष्ट, शब्दावली का इस्तेमाल करना,
- मिथ्या, अपरिमाणात्मक, असिद्ध, गलत और असत्यापित आरोप, ऐसी अपभाषा जो दैवी प्रकोप/व्यक्तिगत झूठी निंदा संप्रेषित करती हो
- झूठी निंदा, नीचा दिखाने वाली सोशल मीडिया पोस्ट/उपहास चित्र का इस्तेमाल करना जो व्यंग्य-रचना के सूक्ष्म संदेश का उल्लंघन करता हो
- बिना संदर्भ के सोशल मीडिया पोस्ट्स को, अक्सर गलत सूचना फैलाने के लिए, प्रस्तुत करना
- मतदान के ठीक कुछ दिन पहले न्यूज़ आइटम की आड़ में ऐसे भ्रामक विज्ञापन जारी करना जिनमें सबको समान अवसर दिए जाने के सिद्धांत को अस्त-व्यस्त करने की संभावना हो,
- राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर व्यक्तिगत हमले करना और प्रतिद्वंद्वी दलों के उम्मीदवारों का मजाक उड़ाना,
- राज्य सरकारों द्वारा मौका देखकर समीपवर्ती निर्वाचनरत राज्यों में अपनी कल्याणकारी योजनाओं को प्रकाशित करना,
- अविद्यमान स्कीमों के अंतर्गत वादे पूरे करने के निमित पंजीकरण का प्रलोभन देकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करना जो अक्सर झूठे वादों के जरिए मतदाताओं को रिश्वत देने के सदृश होता है,
- मतदाताओं के समूह के विरुद्ध सामान्य स्वरूप की टिप्पणियां करने के लिए उम्मीदवार के नाम का इस्तेमाल करना
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