रायपुरः SarkarOnIBC24 चुनाव प्रचार के दौरान एक दूसरे पर सियासी प्रहार करना आम बात है, लेकिन जब जुबानी कटार मर्यादा लांघने लगे, सीमा पार करे तो सवाल उठना जायज है। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के पहले कुछ ऐसा ही घट रहा है। कोई किसी को 15 सेकंड में देखने की धमकी दे रहा है तो किसी को गद्दार कह रहा है तो कोई जमीन में गाड़ने की धमकी दे रहा है। नेताओ के जहरीले या बेतुके बोल से सियासत अब आउट ऑफ कंट्रोल होने लगा है।
SarkarOnIBC24 एक तरफ देश में चुनाव को लेकर गहमागहमी है तो दूसरी ओर हर नेता अपनी जुबान में कटार लेकर घूम रहा है। युद्ध में कोई नियम-कायदा नहीं है, बल्कि जो जितना बेकायदा है। उतना ही हिट है। विवादित और जहरीले बोलों के अंधड़ में नए-नए किरदार सामने आ रहे हैं। एक दिन पहले सैम पित्रोदा के चमड़ी वाले बयान पर सियासी वार-पलटवार का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। पित्रोदा के बयान पर अभी सियासत थमा भी नहीं था कि बीजेपी नेता नवनीत राणा ने हैदराबाद में माधवी लता के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी भाइयों पर निशाना साधते-साधते अकबरुद्दीन ओवैसी के एक पुराने बयान पर कुछ ऐसा कह गई कि बवाल मच गया। नवनीत राणा के बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया कि मैं कहता हूं, आप 15 सेकंड क्या 1 घंटे ले लीजिए। हम भी तो देखें कि आप क्या करती हैं। वहीं बीजेपी प्रत्याशी माधवी लता ने प्रतिक्रिया में कहा कि हम किसी को डराते-धमकाते नहीं हैं।
हैदराबाद में चौथे चरण के तहत 13 मई को वोटिंग है। AIMIM ने नवनीत राणा के बयान पर चुनाव आयोग से संज्ञान लेने की मांग की है। खैर हैदराबाद में 15 मिनट बनाम 15 सेकंड पर जुबानी लड़ाई के बीच महाराष्ट्र की राजनीति में गद्दार और औरंगजेब की एंट्री हो गई। शिवसेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सीएम एकनाथ शिंदे को गद्दार बता दिया। एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि श्रीकांत शिंदे के माथे पर लिखा है। मेरा बाप गद्दार है। शिवसेना (UBT) के ही एक और नेता संजय राउत ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए देश के प्रधानमंत्री को ही औरंगजेब बता दिया। राउत ने कहा कि जिस तरह औरंगजेब की तरह पीएम को भी महाराष्ट्र की धरती में गाड़ देंगे।
चौथे फेज मे महाराष्ट्र की 11 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। उससे पहले नेता चुनाव प्रचार के दौरान जमकर जुबानी कटार चला रहे हैं, जिसमें न तो मर्यादा का ख्याल है ना तो शब्दों की गरिमा यानी जैसे-जैसे चुनावी लड़ाई आगे बढ़ रही है। केवल सियासी दांव-पेंच ही नहीं बल्कि जुबान भी कैंची की तरह चल रही है। एक के बाद एक विवादित और जहरीले बयानों से सियासी पारा हाई हो रहा है। ऐसे में गंभीर सवाल है कि चुनाव जीतने के लिए ऐसे बयानों की वाकई जरूरत है। सवाल ये भी कि ऐसे बयानों से जनता का कितना हित होता है।