रायपुरः पिछले 10 साल से केंद्र की सत्ता से दूर कांग्रेस ने आखिरकार अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। कांग्रेस ने इसमें 5 न्याय और 25 गारंटियों का जिक्र किया है, जिसकी पिछले कई दिनों से चर्चा थी। कांग्रेस का दावा है कि सत्ता में लौटने पर वो अपने इन सभी वादों को पूरा करेगी… ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र बीजेपी के 400 पार के नारे को बेअसर करने में कितना कामयाब होगा।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के महज 14 दिन पहले कांग्रेस ने अपना पिटारा खोला और वादों की लंबी-चौढ़ी फेहरिस्त सामने रख दी। कांग्रेस के घोषणा पत्र पर नजर डाले तो एक बात साफ है कि उसका फोकस महिला, युवा, किसान, मजदूर और समाज के पिछड़े तबकों पर है, जिनके लिए उसने कई अहम घोषणाएं की है। मसलन गरीब परिवार की महिला को साल में 1 लाख रुपए, MSP को कानून बनाने, मजदूरी 400 रुपए दिन करने और जाति जनगणना कराने जैसे बड़े ऐलान हैं। कांग्रेस जब 24 अकबर रोड पर अपना 48 पन्नों का घोषणा पत्र जारी कर रही थी। उसी समय दिल्ली से करीब ढ़ाई सौ किलोमीटर दूर राजस्थान के चुरू में प्रधानमंत्री मोदी चुनावी रैली को संबोधित कर रहे हैं। बीजेपी की सत्ता को चुनौती देने वाले कांग्रेस के घोषणा पत्र का जवाब वहां से आना ही था।
कांग्रेस के घोषणा पत्र पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी निशाना साधा। मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस एक हारी हुई लड़ाई लड़ रही है। वहीं साय बोले कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ेगी। दूसरी और कांग्रेस का दावा है कि उसका घोषणा पत्र गेम चेंजर साबित होगी.. पार्टी की केंद्र की सत्ता की वापसी का रास्ता साफ करेगा।
घोषणा पत्र वो आईना है, जिसे देखकर जनता चुनाव लड़ रही पार्टियों का मूल्यांकन करती है। कई बार घोषणा इतनी लोक लुभावन होती है कि जनता उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहती। लोगों के वोटिंग पैटर्न को प्रभावित करने की ताकत इसमें होती है। यहीं वजह है कि हर पार्टी इसे बड़ी सावधानी से तैयार करती है। कांग्रेस ने भी इसमें काफी मेहनत की है। वहीं बीजेपी का घोषणा पत्र अभी जारी नहीं हुआ है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये कांग्रेस के लिए केंद्र की सत्ता में वापसी का रास्ता प्रशस्त करेगा या उसका वनवास आगे भी जारी रहेगा।