Janjgir-Champa Lok Sabha Election 2024: जांजगीर-चांपा। देश भर में लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है। दो चरणों पर मतदान हो चुका हैं और तीसरे चरण के लिए 7 मई को मतदान होना है। बता दें कि 7 मई को आम चुनाव के लिए तीसरे चरण की वोटिंग होगी, जिसमें 12 राज्यों के 94 लोकसभा क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे। जांजगीर चांपा लोकसभा सीट की बात करें तो यह सीट काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। वहीं जांजगीर-चांपा को छत्तीसगढ़ का हृदयस्थली भी कहा जाता है। बता दें कि जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी में एक तिहाई अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की है और यह वर्ग किसी भी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक के रूप में काफी अहमियत रखता है।
वहीं इस सीट के इतिहास पर एक नजर डाले तो 1952 में यह सीट पहली बार अस्तित्व में आई थी। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है। 1957 में यहां पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ। जांजगीर चांपा कभी कांग्रेस का गढ़ था लेकिन 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। 2004 में यहां से करुणा शुक्ला जीती और सांसद बनीं। इसके बाद 2009 और 2014 में कमला देवी पाटले लगातार दो बार सांसद रहीं।
चुनावी रिपोर्ट के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कमला पाटले ने कांग्रेस के प्रेम चंद जायसी को 1,74,961 लाख मतों से पराजित किया था। कमला पाटले को 518,909 तो वहीं प्रेम चंद जायसी को 343,948 लाख वोट मिले थे। वहीं, तीसरे नंबर पर BSP के दूज राम बौद्ध रहे थे। दूज राम को 131,387 लाख वोट मिले थे। इस साल यहां 68 फीसदी वोटिंग हुई थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगल्ले ने कांग्रेस के रवि परसाराम भारद्वाज को 83,255 हजार वोटों से हराया था। दोनों के बीच काफी कड़ा मुकाबला हुआ था। गुहाराम अजगल्ले को 572,790 लाख यानी 46 फीसदी वोट मिले थे जबकि रवि परसाराम भारद्वाज को 489,535 लाख यानी 39 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। वहीं, तीसरे नंबर पर बीएसपी के दौरम रत्नाकर रहे थे। रत्नाकर को 131,387 लाख वोट मिले थे।
इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस सीट से कमलेश जांगड़े को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने इस बार इस सीट से पूर्व मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया को टिकट दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगल्ले ने कांग्रेस के रवि परसाराम भारद्वाज को हराया था। दोनों के बीच जबरदस्त टक्कर रही थी। जांजगीर चांपा लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की आठ सीटें आती हैं। ये 8 सीटें हैं- अकलतरा, जांजगीर-चांपा, सक्ती, चंद्रपुर, जैजैपुर, पामगढ़, बिलाईगढ़ और कसडोल।
इस सीट को बीजेपी का भी गढ़ कहा जा सकता है। सिर्फ एक बार कांग्रेस को जगह मिली, उसके बाद से अब तक तक भाजपा ने ही यहां भगवा के परचम को लहराया है। रिपोर्ट के मुताबिक एक नवम्बर 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2004 में आम चुनाव हुए। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया और जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट पर एक बार फिर अपना कब्जा किया। बदली परिस्थिति में शुक्ला अब कांग्रेस में है। इसके बाद वर्ष 2009 और 2014 में यहां से लगातार दो आम चुनाव जीतकर भाजपा ने हैट्रिक बनायी। इन दोनों चुनावों में भाजपा की कमला पाटले ने जीत का परचम लहराया है।
इस लोकसभा सीट से 18 उम्मीदवारों पर दांव लगा है। वहीं बीजेपी प्रत्याशी से कमलेश जांगड़े और कांग्रेस से डॉ शिवकुमार डहरिया को चुनावी मैदान में उतारा गया है। यहां मतदान केंद्र 2212 (4 ज़िलों के 8 विधानसभा सीट आती है)। वहीं लोकसभा चुनाव में लगातार 4 बार से बीजेपी जीत रही है। अभी 8 विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक हैं। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शिव डहरिया ने 2009 में भी लोकसभा चुनाव लड़ा था और इसी सीट से 87 हजार वोटों से हार हुई थी। भाजपा की प्रत्याशी कमलेश जांगड़े पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही। पूर्व मंत्री का मुकाबला पूर्व सरपंच से है। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शिव डहरिया बाहरी प्रत्याशी हैं, जांजगीर-चाम्पा लोकसभा के निवासी नहीं हैं। भाजपा के मंत्री और नेताओं ने पूरी ताकत लगाई। कांग्रेस के प्रचार के लिए कोई नहीं आ रहे। वर्तमान सांसद गुहाराम अजगल्ले पर निष्क्रियता का आरोप भी है।
Janjgir-Champa Lok Sabha Election 2024: वहीं इस क्षेत्र के आम लोगों के मुद्दे की बात करें तो यहां शुरू से ही आरक्षण का मुद्दा हावी रहा है। मोदी की गारंटी पर भाजपा को भरोसा तो दूसरी ओर कांग्रेस को नारी न्याय योजना (1 लाख देने की घोषणा पर भरोसा) जताया गया है। यहां मुख्य रूप से ट्रेनों के स्टॉपेज का मुद्दा, नैला में ओवरब्रिज नहीं बनने का मुद्दा, पलायन की बड़ी समस्या, रोजगार की समस्या, स्वास्थ्य सुविधा की कमी और जिला अस्पताल रेफरल सेंटर का मुद्दा यहां आम है। लेकिन इस बार देखना होगा कि ‘कांग्रेस हो या भाजपा’ जिसकी भी पार्टी आती है, तो वे आम जनता के इन समस्याओं का हल निकालेंगे या फिर जस का तस ऐसी स्थिति को बरकरार रखेंगे? इन मुद्दों पर कांग्रेस इस बार अपनी जीत का दावा कर रही है, कि सत्ता में आते ही आम जनता को इन समस्याओं से राहत देंगे।