भोपालः BJP’s 10 candidates win unopposed मध्यप्रदेश में कांग्रेस को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया। यही नहीं, कांग्रेस छोड़कर अक्षय ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। पिछले 35 साल से इंदौर लोकसभा सीट पर जीत की बाट जोह रही कांग्रेस ने बीजेपी का मजबूत गढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र में एकदम नये-नवेले चेहरे अक्षय बम को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्होंने अपने पांव वापस खींच लिए। उनका मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद शंकर लालवानी से था। नामांकन वापस लेकर अक्षय ने एक तरह से बीजेपी को वॉक ओवर तो दिया ही है। साथ ही साथ प्रदेश की सियासत में एक बार फिर गर्माहट पैदा कर दी है। राजनीति के जानकर अब सूरत की एक ऐसी ही राजनीतिक घटना को याद कर रहे हैं, जहां कांग्रेस उम्मीद्वार का नामांकन रद्द हो गया था। अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया था और भाजपा की जीत का खाता खुल गया था।
BJP’s 10 candidates win unopposed देश में कई बार ऐसा हुआ है जब कोई प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत गए हो। लोकसभा चुनाव के इतिहास में अब तक 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं, जिन्होंने निर्विरोध जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने साल 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की थी। इसके अलावा, वाईबी चव्हाण, फारुक अबदुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद सरीखे नेता भी बिना किसी मुकाबले को लोकसभा पहुंच चुके हैं।
कुछ दिनों पहले अरुणाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में दस भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे। इनमें से 5 विधानसभा सीटों में भाजपा के विपक्षी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। वहीं पांच अन्य सीटों में विपक्षी पार्टियों ने आखिरी दिन नामांकन वापस ले लिया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 2014 के अरुणाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी निर्विरोध जीत हासिल की थी। जून 2011 में भी पेमा खांडू ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध उपचुनाव जीता था।
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