The Big Picture With RKM | The Big Picture With RKM: नेता प्रतिपक्ष बनने की बाद बढ़ी राहुल गांधी की सक्रियता, क्या गढ़ी जा रही 'जननायक' वाली छवि? क्या हैं उनके दौरों के मायने?

The Big Picture With RKM: नेता प्रतिपक्ष बनने की बाद बढ़ी राहुल गांधी की सक्रियता, क्या गढ़ी जा रही ‘जननायक’ वाली छवि? क्या हैं उनके दौरों के मायने?

स देश में एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। एक सीरियस नेता जो विपक्ष का नेता हो उसका होना जरूरी है। जिससे कि जनता के मुद्दे उठे और सरकार उन पर ध्यान दे।

Edited By :   Modified Date:  July 9, 2024 / 09:42 AM IST, Published Date : July 8, 2024/11:36 pm IST

रायपुर: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी अपने पूरे रंग में नजर आ रहे हैं। वे विपक्षी नेता के रूप में काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं। पहले तो लोकसभा में उनका भाषण और अब एक के बाद तीन राज्यों का दौरे कर वे लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे तो राहुल गांधी को लेकर कयास लगाए जाते रहे हैं कि वे बोलकर निकल लेते हैं, लेकिन वे इनसे इतर नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, गुजरात और मणिपुर में वे सत्ता पक्ष पर बेहद आक्रमक दिखे और उन्हें घेरने की कोशिश की। आखिर इसके मायने क्या हैं? क्या राहुल गांधी की जननायक वाली छवि बनाने की कोशिश की जा रही है?

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दरअसल, राहुल गांधी की सक्रियता और उनके दौरे के पीछे पार्टी की मंशा उन्हें जननायक बनाने की है। यह कोशिश चुनाव से पहले शुरू हुआ। जब चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस ने अपनी हार को भी जीत में बदलकर सेलिब्रेट किया। कांग्रेस की ओर से यह कहा गया कि बीजेपी 400 का दावा कर रही थी, उसको केवल 240 सीटें मिली। हमारी सीटें बढ़ गई। बीजेपी नैतिक रूप से चुनाव हार गई है, उन्हें उतनी सीटें नहीं मिली, जितना दावा किया जा रहा था। बीजेपी को अपने दम पर मेजॉरिटी नहीं मिली है। हालांकि यह बात सत्य है कि पूरे इंडिया अलायंस की अगर आप सीटें देखें, तो वह बीजेपी से कम है। और उनका प्री पोल अलायंस जीता था। इसके बाद राहुल गांधी को पहली बार कोई संवैधानिक पद मिला। राहुल गांधी को लीडर ऑफ अपोजिशन यानी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया गया। उन्होंने बतौर नेता प्रतिपक्ष अपने करियर की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति के धन्यवाद पर उन्होंने सबसे लंबी स्पीच दी। अपने भाषण के दौरान राहुल ने कुछ सच्ची और कुछ झूठी बातों से सरकार के छह मंत्रियों को इंटरविन करने को मजबूर कर दिया। इस दौरान राहुल गांधी ने कुछ अच्छे मुद्दे भी उठाएं।  उन्होंने अग्निवीर, नीट, मणिपुर हिंसा का जिक्र कर जताने की कोशिश की कि वह जनता की आवाज बनकर संसद में आए हैं।

मजदूरों के बीच पहुंचे राहुल गांधी

संसद खत्म होने के बाद राहुल गांधी जीटीबी नगर में रेहड़ी-पटरी वालों और दिहाड़ी मजदूरों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मजदूरों की समस्याएं सुनने के बाद उनके साथ काम भी किया। उन्होंने अचानक फावड़ा उठाकर सीमेंट मिलाया और दीवार की चिनाई भी की। उनके इस दौरे को लेकर सोशल मीडिया पर वी़डियो जारी किया गया। राहुल गांधी के वीडियो जारी होते ही कांग्रेस की पूरी आईटी सेल और पीआर टीम एक्टिव हुई और उनको एक जननायक की तरह बताने लग गए।

हाथरस पीड़ितों से भेंट

इसी दौरान हाथरस हादसा हो गया, जिसमें करीब 121 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। राहुल गांधी ने फिर हाथरस का दौरा किया। पहले वे अलीगढ़ अस्पताल में भर्ती लोगों से मुलाकात की। इसके बाद हाथरस पहुंचे और वहां के पीड़ितों से मुलाकात की। इसके बाद योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा कि हाथरस हादसे को पीड़ितों को जो मुआवजा मिला है, वह कम है। उनको ज्यादा पैसा दिया जाना चाहिए। उसके बाद फिर उनकी पीआर टीम की जननायक, जननायक, जननायक करके उनको प्रोजेक्ट करने में लग जाती है। हाथरस दौरे से लौटने के बाद वे लोको पायलट बीच में पहुंच जाते हैं। इसका वीडियो भी सामने आया, जिसमें देखा गया कि राहुल गांधी उनकी परेशानी पर चर्चा करते हैं। पायलटों से वे यूरिनल्स, एसी सहित अन्य सुविधाओं पर चर्चा की।  इसके ऊपर वो पूरी बात करते हैं। इसके वीडियो के माध्यम से भी उन्हें जननायक बनाने की कोशिश की गई।

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मणिपुर का मर्म समझा

अगर आज के दौरे की बात करें तो सबसे पहले उन्होंने असम के बाढ़ पीड़ितों से चर्चा की। फिर वे मणिपुर गए और हिंसा पीड़ितों से मिले। रिलीफ कैंप में गए। गवर्नर से भी मुलाकात की। उन्होंने राज्यपाल के पास बात रखते हुए कहा कि सरकार हिंसा पीड़ितों के लिए कुछ नहीं कर रही। कुल मिलाकर राहुल गांधी की हालिया सक्रियता को देखकर कहा जा सकता है कि  उनको एक जननायक की इमेज देने कोशिश की जा रही है। बीजेपी या मोदी उनको शहजादा कहते हैं या थर्ड टाइम फेल कहते हैं, उस नैरेटिव को दूर करने की कोशिश है। यह पूरी कोशिश इसलिए भी है कि कांग्रेस को लगता है कि इस बार जो उनको जीत मिली है, वह राहुल गांधी की वजह से मिली है। इमेच्योर पॉलिटिशियन, नॉन सीरियस पॉलिटिशियन की छवि को दूर करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अभी कई और बातें उन्हें सीखना होगा। क्योंकि इस देश में एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। एक सीरियस विपक्ष का नेता होना जरूरी है। जिससे जनता के मुद्दें सदन और सड़क पर उठे और सरकार उस पर ध्यान दे। हालांकि यह तो समय ही बताएगा कि वे कैसे जननायक बनते हैं और यह पल ही काफी रोचक होने वाला है।

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