नईदिल्ली: CM Atishi will not sit on Kejriwal’s chair in Delhi दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में अब एक आतिशी पारी ऐड हो गई है।और ‘आतिशी’आते ही कोई कार्य नहीं बल्कि एक एक्ट को लेकर चर्चा में हैं। सीएम आतिशी ने पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल की कुर्सी पर ना बैठने और रामायण काल में भरत की तरह कार्य करते रहने की बात कही है। इसके पीछे की बिग पिक्चर क्या है आइए समझते हैं..
दरअसल, आतिशी का मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ना मेरे हिसाब से चाटुकारिता की हद है। यह चापलूसी और चमचागिरी का चरम है, क्योंकि आपको अगर मुख्यमंत्री बनाया गया है तो आप ढंग से शासन कीजिए, जो जिम्मेदारी आपको सौंपी गई है उसको निभाएं। आप कहते हैं कि हम तो रामायण में जिस तरीके से भरत ने राम की खड़ाऊ रख के शासन किया था, उसी तरीके से हम करेंगे, उस कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। तो ना तो केजरीवाल राम हैं और ना आप भरत हैं। राम तो अपनी सौतेली मां के कहने पर वनवास पर गए थे और आप भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए थे। उस समय तो आपने कुछ त्याग किया नहीं आपने कब किया जब आप जेल से बाहर आ गए और आपको बेल मिल गई।
आपने यह नाटक जनता के प्रति, पूरा ड्रामा करने के लिए किया, जिससे कि आपके प्रति सहानुभूति बने, इसलिए आपने कुर्सी छोड़ी और वहां पर आपने अपने प्रतिनिधि को बैठाया। अगर आप राम और भरत बनने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको उनकी जैसी मर्यादा लानी होगी। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आपके कहने से मैं खड़ाऊ रख के शासन करूंगी, इतने बड़े महान व्यक्ति थे केजरीवाल और उनका जब तक वो मुख्यमंत्री नहीं बन जाते तो हम ऐसे ही शासन चलाएंगे। तो यह एकदम गलत है, यह लोकतंत्र के साथ मजाक है, यह दिल्ली की जनता के साथ भी मजाक है।
यहां यह भी बताना होगा कि जो यह खड़ाऊ शासन है यह देश में पहली बार नहीं हो रहा है इससे पहले तमिलनाडु में जब जयललिता को जेल हुई तो जो उन्होंने अपने उत्तराधिकारी पनीर सेलवम को चुना तो वह भी ऐसे ही करते थे। वो कभी भी जयललिता जिस कुर्सी पर बैठती थी, उस पर नहीं बैठे ना ही विधानसभा में ना ही सीएम के ऑफिस में और हमेशा उनके ऊपर की पकेट में जयललिता की एक फोटो होती थी जिसमें वो फोटो रख के शासन करते थे।
आपको याद हो कि जो कांग्रेस का शासन था जब मनमोहन प्रधानमंत्री थे तो यह कहा जाता था कि सोनिया गांधी ने बहुत बड़ा त्याग किया है, प्रधानमंत्री की कुर्सी त्याग कर वो प्रधानमंत्री नहीं बनी लेकिन सबको पता था कि मनमोहन सिंह का जो शासन था उसका जो रिमोट है वह हमेशा से सोनिया गांधी के ही हाथ में था। एक बड़ी काउंसिल बनाई गई थी जिसकी अध्यक्षा सोनिया गांधी थी, जो कि सरकार के हर कामकाज की समीक्षा करती थी और जब तक वो हां ना कह दे कुछ होता नहीं था, पत्ता तक नहीं हिला सकते थे मनमोहन सिंह तो ये शासन रहा है।
लेकिन आज जो दिल्ली में हो रहा है, ये तो सही में हद है। अब आप सोचिए कि जब आतिशी मुख्यमंत्री बनाई गई तो उन्होंने क्या कहा कि मैं केवल मुख्यमंत्री इसलिए बनी हूं कि मैं केजरीवाल को दोबारा मुख्यमंत्री बना सकूं। अरे भाई क्या आपकी पार्टी ने केवल मुख्यमंत्री बनाने का ठेका ही ले रखा है?जनता की कोई बात कर ही नहीं रहा। जी मैं मुख्यमंत्री बन गई मेरा लक्ष्य जो है केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाना है, उनको शासन में लाना है। अरे भाई जनता की सेवा करने के लिए आपको मुख्यमंत्री बनाया गया है ना कि किसी दूसरे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तो आप चुनाव में जाइए अगर जनता जिसको जिता देती है, आप जिसको चुनते हैं आप उसको मुख्यमंत्री बनाइए।
लेकिन एक्चुअली ‘आप’ के साथ समस्या यह है कि जब यह सत्ता में आने से पहले, पार्टी बनाने से पहले इन्होंने इतने बड़े-बड़े दावे किए इतने आदर्शवाद का इन्होंने राग अलापा लेकिन काम इन्होंने सारे उल्टे किए तो यही समस्या इनके साथ आती है कि जब ये इस तरह की बात करते हैं तो अब इनके प्रति लोगों का विश्वास कम हुआ है। अगर आपको याद हो कि जब पिछली बार लोकसभा के चुनाव थे जब सुप्रीम कोर्ट ने इनको बेल दी थी कि चलिए आप चुनाव का प्रचार कर लें तब भी केजरीवाल ने अपने ऊपर रेफरेंडम कराया था कि देखिए अगर आप मुझे वोट नहीं देंगे तो मैं फिर जेल चला जाऊंगा अगर आपने मुझे वोट दिया तो मैं जेल नहीं जाऊंगा। जनता ने वोट नहीं दिया, एक सीट ‘आप’ को दिल्ली में नहीं मिली।
आप एक पॉलिटिकल पार्टी हैं। अगर आप इतने आदर्शवाद के साथ आए हैं तो आप उसको अपने आचरण में भी उतारिए आप एक मुख्यमंत्री का आपको काम मिला है आप उस काम को करिए आपके पास जितना समय है तीन महीने का आप जनता के लिए लगाइए। मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगी, मैं उनको मुख्यमंत्री बनाऊंगी यह सब करने को छोड़ के आप जनता की सेवा में यह समय उपयोग करिए तब जरूर आपको फायदा हो सकता है। इस तरीके के नौटंकी और ड्रामा से आपको कोई फायदा नहीं हो सकता। आप इस समय एक्सपोज हो गए हैं और जितनी जल्दी इस तरीके के ड्रामे आप पार्टी और उनके नेता करना बंद करें यह देश के लिए फायदा होगा, दिल्ली के लिए फायदा होगा और लोकतंत्र के हित में होगा।
इस पूरे मसले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता एक्सपोज हुए हैं। पॉलिटिकल रिफॉर्म्स के साथ में और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में रिफॉर्म्स के वादे के साथ में सरकार में आए थे और उसके बाद अब इस तरह की व्यवस्था चल रही है तो जाहिर तौर पर कई तरह के सवाल इस मसले पर खड़े होते हैं।
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