Big Picture With RKM: रायपुर। एक अच्छा नेता अच्छा अभिनेता हो सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं कि एक अभिनेता या अभिनेत्री अच्छा नेता या नेत्री साबित हो। इसकी मिशाल अभिनेत्री से भाजपा की नेत्री बनी कंगना रनौत है। कंगना ने एक कलाकार के तौर पर कई बड़े अवार्ड्स जीते, फिल्मों में उनके किरदार और कौशल की सराहना हुई लेकिन बतौर नेत्री सियासत के मैदान में वह फिसड्डी नजर आ रही है। (Will Kangana’s statements harm BJP in Haryana elections?) इसकी बानगी हमें उनके बयानों ने देखते हैं जो अक्सर विवादित होते हैं, देश की राजनीति में तूफ़ान लाने वाला और भाजपा को मुश्किलों में डालने वाले होते हैं।
कंगना ने ताजा बयान विवादित कृषि कानूनों पर दिया है। कंगना ने मांग किया हैं कि सरकार को कृषि कानूनों को फिर लाना चाहिए और इसकी मांग खुद किसानों को करनी चाहिए। कंगना के इस बयान से एक बार फिर से भाजपा के लिए संकट पैदा हो गया है। न सिर्फ विपक्ष बल्कि खुद भाजपा के नेताओं ने इसकी मुखालफत की है। कंगना के बहाने दिल्ली के पूर्व सीएम ने भी मोदी सरकार को निशाने पर लिया हैं। नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बकायदा वीडियो जारी करते हुए पूछा कि, आखिर सरकार की नीतियां कौन बना रहा है, पीएम मोदी या सांसद कंगना रनौत?
अब कृषि और किसानों से जुड़े वह कानून जिसे खुद पीएम ने यह कहते हुए वापस लिया था कि संभवतः उनके तपस्या में कोई कमी रह गई होगी या वह किसानों को इस बारें में नहीं समझा नहीं पाए होंगे। (Will Kangana’s statements harm BJP in Haryana elections?) तो फिर ऐसे में यह भाजपा के लिए नई समस्या खड़ा करने वाला था। आखिरकार पार्टी को इसके विरोध में खड़ा होना पड़ा और शाम होते तक उनके बयानों पर सफाई भी ले गई।
लेकिन यह पहला मौक़ा नहीं जब सांसद कंगना ने इस तरह की बयानबाजी की हो, विवादित मुद्दों को छेड़ा हो। हमने पहले भी देखा है कि वह किसान आंदोलन और सिक्खों के खिलाफ बयान देकर फंस चुकी है। इस मामले में जब पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा ने उनकी क्लास लगाई तो उन्हें यूं टर्न लेना पड़ा। हमें एयरपोर्ट पर घटित वह घटना भी याद है जब एक सीआईएसएफ की महिला सिपाही ने उन्हें थप्पड़ जड़ा था। यह मामला भी सिक्खों और किसानों के अपमान से जुड़ा था। तो सवाल उठता है कि आखिर किन वजहों से कंगना इस तरह की बयानबाजी करती है?
पहला कि हरियाणा में अभी विधानसभा चुनाव जारी है, जबकि किसान आंदोलन जो कि एक साल चार महीनों तक सरकार के खिलाफ जारी रहा उसका केंद्र भी हरियाणा और पंजाब था। इस आंदोलन में ज्यादातर या कहे नब्बे फ़ीसदी किसान हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और इनसे सटे सीमावर्ती राज्यों के ही थे। जाहिर है ऐसे में पार्टी को कंगना का बयान वापस कराना पड़ा।
दूसरा कि हरियाणा के चुनाव में बड़ा मतदाता वर्ग किसानों का ही है। भाजपा अगर हरियाणा में सत्ता वापसी का ख़्वाब संजोये है तो इस सपने को कोई और नहीं बल्कि किसान ही पूरा करेंगे। (Will Kangana’s statements harm BJP in Haryana elections?) किसानों के समर्थन के बिना हरियाणा का चुनाव जीत पाना संभव नहीं हैं और ऐसे वक़्त में यह बयानबाजी करना जब खुद प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के तमाम बड़े नेता हरियाणा में किसान मतदाताओं को साधने में जुटे हैं, उनके विकास, कल्याण, एमएसपी और आय में वृद्धि के लिए घोषणाएं कर रहे है।
तीसरा सबसे अहम कि कंगना ने किसानों के अलावा सिक्खों को लेकर भी कई विवादित बातें कही है। खुद पार्टी के सिक्ख नेताओं ने उन्हें नसीहत दी है कि वह सिक्खों और किसानों से जुड़े मुद्दों पर बयान ना दे, यह मामला संवेदनशील है। वही इन दिनों कंगना की फिल्म इमरजेंसी पर भी चर्चा हो रही है। सिक्खो से जुड़े मुद्दे किस कदर हावी हैं इसको इस बात से ही समझा जा सकता हैं कि सेंसर बोर्ड की तरफ से इस फिल्म को अबतक हरी झंडी नहीं मिल सकी है जबकि सेंसर बोर्ड में खुद भाजपा के लोग फैसले ले रहे है। जाहिर है भाजपा नहीं चाहती कि देश और खासकर हरियाणा-पंजाब के सिक्खों की नाराजगी उन्हें झेलनी पड़े। तो यह सभी कारण है जो कि कंगना के बयान पार्टी के लिए किरकिरी साबित हो रहे है।
हम जानते हैं कि कंगना बॉलीवुड की सबसे बेबाक अभिनेत्री और शख्सियत हैं। वह पहले भी अपने बोल्ड बयानों की वजह से सुर्खियां बटोरती रही है। लेकिन अब उन्हें समझना होगा कि वह सांसद बन चुकी है। (Will Kangana’s statements harm BJP in Haryana elections?) वह भाजपा के विचारधारा के साथ आगे बढ़ रही हैं। कंगना अब स्वतंत्र नहीं हैं, अधिकृत नहीं है कि वह देश के सबसे संवेदनशील मुद्दों पर इस तरह पार्टी से हटकर बयानबाजी करें।
भाजपा के लिए अभी सबसे जरूरी किसानों का साथ और सिक्खों का समर्थन है। हम जानते हैं कि भाजपा कभी फैसले और बयानों से पीछे नहीं हटती लेकिन कंगना के बयानों पर भाजपा को सफाई देनी पड़ रही हैं, बार-बार रोलबैक करना पड़ रहा है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि कंगना के ताजा बयानों से पार्टी को कितना नुकसान होता हैं। इसके लिए हमें हरियाणा विधानसभा के चुनावों का इंतज़ार करना पड़ेगा।