Big Picture With RKM: विश्वगुरु से शांतिदूत बनने की राह पर भारत.. युद्ध की आशंकाओं के बीच क्या हम विश्व मानव जगत को फिर बुद्ध दे पाएंगे? जानें..

प्रधानमंत्री मोदी के रूस दौरे को लेकर सबसे बड़ी आशंका पश्चिमी देशों की नाराजगी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने इस पर किसी भी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि इस दौरे से इतर उनके अपने रणनीतिक रिश्ते हैं जो पूरी तरह से अलग है।

Big Picture With RKM: विश्वगुरु से शांतिदूत बनने की राह पर भारत.. युद्ध की आशंकाओं के बीच क्या हम विश्व मानव जगत को फिर बुद्ध दे पाएंगे? जानें..

Big Picture With RKM

Modified Date: July 12, 2024 / 12:15 am IST
Published Date: July 12, 2024 12:15 am IST

 

Big Picture With RKM: रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो दो देशों के दौरे गए और वहां उन्होंने वहां के नेताओं के साथ जिस तरह की बातचीत की उससे ऐसा लगता हैं कि पीएम मोदी अपने तीसरी पारी में शांतिदूत बनने की राह पर निकल पड़े हैं। इसकी दो वजहें हैं, पहला कि जब उन्होंने विएना में वहां के भारतीय मूल के लोगों से भेंट की, उन्हें सम्बोधित किया तब कहा कि दुनिया को भारत ने युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध दिया हैं और अब उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया शांति की पक्षधर है, कही कोई युद्ध की स्थिति न बने, पूरी दुनिया में शांति बहाल हो। इसी तरह जब उन्होंने विएना के चांसलर से भेंट की तब भी दोहराया कि युद्ध और आतंकी हमले जैसे स्थिति भी विश्वशांति के लिए उचित नहीं हैं। पीएम ने इस बात के पक्षधर दिखे कि फिर वह यूक्रेन या रूस के बीच युद्ध हो या फिर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच का संकट, यह बंद होने चाहिए। पीएम मोदी ने यहां आतंकवाद को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताते हुए इसे छद्म युद्ध करार दिया।

विश्व को पीएम मोदी पर भरोसा

इन सबके बीच सबसे दिलचस्प यह रहा कि वियना के चांसलर कार्ल नेहमर भी यह जानने के लिए आतुर दिखे कि उनकी पुतिन से क्या बातचीत हुई। क्योंकि वियना जो यूक्रेनी देश होते हुए भी नाटो का सदस्य नहीं हैं, वह जानता है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही युद्ध विराम के लिए, इस संकट से देश और दुनिया को उबारने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। यह आसानी से समझा जा सकता हैं कि पीएम मोदी वैश्निक स्तर पर भी पीएम मोदी पर भरोसा जताया जा रहा है।

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बातचीत ही यूक्रेन-रूस संकट का अंतिम हल: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शांति के हिमायती है इसकी झलक तब भी देखने को मिली जब रसियन प्रेजिडेंट से भेंट के दौरान मोदी ने साफ़ शब्दों में कहा था कि बम, बन्दूक और गोलियों के बीच किसी भी तरह की शांति वार्ता सम्भव नहीं है। पीएम मोदी ने यह जताया कि जब किसी युद्ध में बच्चों, निर्दोषो की जान जाती है तो इससे ज्यादा दर्दनाक कुछ भी नहीं। इसलिए अगर यूक्रेन संकट को टालने में कोई चीज सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी तो वह बातचीत और कूटनीति हैं। पीएम मोदी ने यह भी जताया कि वैश्विक तरक्की, प्रगति और हमारे युवाओं का बेहतर, उज्जवल भविष्य शान्ति में ही निहित हैं। इस तरह यह साफ़ हैं कि पीएम मोदी और समूचा भारत शांति के पक्ष में हैं। उन्होंने पुतिन को इस बात का भी भरोसा दिया कि अगर रूस-यूक्रेन संकट को टालने के लिए उन्हें किसी भी तरह की मदद की आवश्यकता होगी तो भारत इसके लिए हमेशा तैयार हैं। इन सबके बीच खुद पुतिन ने पीएम मोदी और भारत की कोशिशों की तारीफ करते हुए उनके सलाह पर उन्हें धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री मोदी की इन कोशिशों से यह साफ़ हो चुका है कि भारत मजबूत तौर पर विश्व शांति का सबसे बड़ा पक्षधर है और पीएम मोदी शांति के दूत। उन्होंने जता दिया कि वह शांतिदूत की तरह काम करना चाहते हैं और दुनिया में जितने भी युद्ध या युद्ध के आशंकाओं वाली स्थिति है उन्हें बातचीत और कूटनीति के जरिये दूर करना चाहते है, खत्म करना चाहते है।

Big Picture With RKM: दूसरी तरफ यह आशंका भी थी कि मोदी-पुतिन के भेंट का विपरीत प्रभाव पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों में देखने को मिलेगा या फिर इस मुलाकात से वे नाराज होंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उनके अमरीकी प्रवक्ता ने भी इस बात पर पूरा भरोसा जताया कि विश्व में कोई नेता अगर रूस-यूक्रेन संकट को टाल सकता हैं तो वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। वेस्टर्न कंट्री भी यह मानते हैं कि कोई नेता जो पुतिन को युध्द विराम या फिर इस समाधान लिए मना सकता है वो कोई और नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी ही है।

विश्वगुरु से शांति की राह पर भारत

प्रधानमंत्री मोदी के रूस दौरे को लेकर सबसे बड़ी आशंका पश्चिमी देशों की नाराजगी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने इस पर किसी भी तरह की नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि इस दौरे से इतर उनके अपने रणनीतिक रिश्ते हैं जो पूरी तरह से अलग है। इससे साफ़ हो गया कि पीएम मोदी जो अपने पुराने कार्यकाल में देश को विश्वगुरु बनाना चाहते थे वह भारत अब शांतिदूत बनाने की राह पर चल पड़े है। यह न सिर्फ दोनों देशों के लिए बेहतर होगा बल्कि समूचे विश्व, मानवजगत और स्वयं पीएम के लिए भी लाभकारी होगा क्योकि एक भारतीय होने के नाते हम मानते हैं कि हमने युद्ध नहीं, दुनिया को बुद्ध दिया है।

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown