नई दिल्लीः #SarkarOnIBC24 यूं तो पहले चरण के चुनाव खत्म हो चुके हैं। अब बारी दूसरे चरण की है, लेकिन सही मायनों में चुनाव प्रचार तो अब शुरू हुआ है। पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी अपनी पंसदीदा पिच पर बैटिंग कर रही है और आज इसी कड़ी में पीएम मोदी ने हनुमान जयंती के मौके पर फिर से कांग्रेस शासनकाल की याद दिलाई और कांग्रेस की नीयत पर फिर से सवाल खड़ा किया।
दरअसल पहले चरण के नीरस चुनाव प्रचार के बाद अब बीजेपी ने अपनी स्ट्रैटजी बदल दी है। पहले चरण में कम मतदान होने के बाद बीजेपी अपनी पंसदीदा पिच पर खेलने के लिए रोज विपक्ष और कांग्रेस को न्योता दे रही है और इसके लिए सियासी गुगली पीएम फेंक रहे हैं। बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक पीएम मोदी पहले पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के संसाधन पर पहला हक किसका वाले 18 साल पुराने बयान की याद दिलाई और कहा कि अगर कांग्रेस आई तो आपकी संपत्ति ज्यादा बच्चों वालों को बांट देगी। फिर पीएम ने कहा कि कांग्रेस वाले मां-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे और फिर राजस्थान के टोंक में पीएम ने हनुमान जयंती के मौके पर कहा कि कांग्रेस के राज में हनुमान चालीसा सुनना भी गुनाह हो जाता है। कांग्रेस ने तो राम-राम सा कहने वाले राजस्थान में रामनवमी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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#SarkarOnIBC24 इतना ही नहीं पीएम मोदी ने सीधे-सीधे कांग्रेस पर ये आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी दलित-आदिवासियों को मिले आरक्षण को कम करके मुसलमानों को देना चाहती है। लेकिन उनके ये इरादे कभी सफल नहीं होंगे और न सिर्फ पीएम मोदी बल्कि उनके मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार में जय श्रीराम बोलने वालों पर FIR होती है और पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वाले खुले में घूमते हैं, जबकि विपक्ष पीएम मोदी के बयान का विरोध कर रही है।
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इधर AIMIM नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के ज्यादा बच्चों वाले बयान पर आपत्ति जताई है और पूछा है कि अटल बिहारी वाजपेई, योगी आदित्यनाथ और खुद पीएम मोदी के 6-7 भाई बहन हैं। इस पर बीजेपी क्या सोचती है? कुल मिलाकर दूसरे चरण के आते-आते बीजेपी अपनी पसंदीदा पिच पर धुआंधार बैटिंग कर रही है। पुराने बयान खंगाल कर नए माहौल में सियासी फायदा ढूंढा जा रहा है। इधर, कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी फिर से हिंदु-मुसलमान पर आ गई है यानी उसे पहले चरण में झटका लगा है। खैर किसे झटका लगा है, किसे सियासी करंट लगेगा ये तो 4 जून को साफ हो जाएगा लेकिन अब दूसरे चरण के वोटिंग से पहले हो रही बयानबाजी और चुनावी भाषणों से साफ है कि अप्रैल के आखिरी आते-आते सियासी पारा भी अपने पूरे शबाब पर है।