नई दिल्ली : Holi 2023 : हजारों- लाखों वर्षों से लोग होली का त्योहार मनाते चले आ रहे हैं। होली का नाम सुनते ही लोगों के मन में रंग-बिरंगे गुलाल और रंग आने लगते हैं, वहीं अगर बात करें तो होली में तरह-तरह के पकवान भी बनते हैं लेकिन इस पर्व की एक खास मिठाई है गुजिया है जो हर घर में बनती है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि होली में गुजिया का इतना महत्व क्यों है और इसके पीछे का पौराणिक इतिहास क्या है। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं होली में सबकी पसंदीदा मिठाई गुजिया का महत्व और इतिहास।
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Holi 2023 : होली के त्योहार में गुजिया बनाने का चलन सदियों पुराना है। ऐसी मान्यता है कि होली में सबसे पहले ब्रज में ठाकुर जी यानी कृष्ण भगवान को इस मिठाई का भोग लगाया जाता है। होली के त्योहार में इसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है क्योंकि इसका चलन ब्रज से ही आया और ब्रज में ही होली के दिन पहली बार गुजिया का भोग अर्पित किया गया था, तब से ही इसे होली की मुख्य मिठाईयों में से एक माना जाता है। इसलिए होली के दिन आप लड्डू गोपाल को गुझिया का भोग जरूर अर्पित करें।
Holi 2023 : अक्सर आपने लोगों से इस मिठाई के दो नाम सुने होगा, कई लोग इसे गुजिया और गुझिया नाम से जानते हैं। लेकिन आपमें से अधिकतर लोग शायद नहीं जानते होंगे कि ये दोनों ही मिठाइयां अलग है और इसे बनाने का भी ढंग अलग है। वैसे तो इन दोनों ही मिठाइयों में मैदे के अंदर खोए या सूजी और ड्राई फ्रूट्स की फिलिंग होती है लेकिन इनका स्वाद थोड़ा अलग होता है। आप जब गुजिया की बात करते हैं तब इसे मैदे के अंदर खोया भरकर बनाया जाता है, लेकिन जब आप गुझिया के बारे में बताते हैं तब इसमें मैदे की कोटिंग के ऊपर चीनी की चाशनी भी डाली जाती है जो आसनी से मिठाई की दुकानों पर उपलब्ध हो जाती हैं।