symptoms of sickle cell disease : देश में लगातार बढ़ते प्रदूषण और तेजी से बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से इन दिनों लोग कई समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। कई ऐसी बीमारियां और समस्याएं हैं, जो किसी न किसी वजह से लोगों को अपनी चपेट में ले लेती हैं। सिकल सेल डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जो रक्त से जुड़ा एक विकार है। यह विकार आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं के आकार और कार्य को प्रभावित करता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसके प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
सिकल सेल बीमारी सामान्यता उन लोगों में देखने को मिलती है जो अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, कैरिबियन द्वीप, मध्य अमेरिका, सऊदी अरब, भारत और भूमध्यसागरीय देशों जैसे- तुर्की, ग्रीस और इटली में रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो हर साल करीब 3 लाख से अधिक बच्चे हीमोग्लोबिन बीमारी के गंभीर रूपों के साथ पैदा होते हैं, जिसमें थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी शामिल है। दुनिया की करीब 5 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो सिकल सेल बीमारी की स्वस्थ वाहक है।
इस वर्ष 2023, विश्व सिकल रोग दिवस की थीम है “वैश्विक सिकल सेल समुदायों का निर्माण और मजबूती, नवजात स्क्रीनिंग को औपचारिक बनाना और अपने सिकल सेल रोग की स्थिति को जानना”, पहले चरण को पहचानने का आह्वान (शिशुओं और वयस्कों में जीनोटाइप को समझना) सिकल सेल रोग से लड़ने में। दुनिया भर में, माता-पिता आमतौर पर सिकल सेल रोग के प्रति अपनी आत्मीयता की स्थिति का पता तभी लगाते हैं जब उनके बच्चे होते हैं।
सिकल सेल डिजीज एक जेनेटिक डिसॉर्डर है, जिसमें शरीर में मौजूद रेड ब्लड सेल्स विकृत हो जाती हैं। इसकी वजह से शरीर में ये कोशिकाएं जल्दी नष्ट हो जाती हैं और इस वजह से शरीर में हेल्दी रेड ब्लड सेल्स की कमी हो जाती है। इस वजह से नसों में खून का बहाव भी रुक सकता है। आमतौर पर इस सेल्स का आकार गोल होता है, लेकिन सिकल सेल रोग वाले व्यक्तियों में इनका आकार सामान्य गोल आकार के बजाय अर्धचन्द्राकार या ‘सिकल’ आकार का हो जाता है।
एससीडी यानी सिकल सेल डिजीज एक अनुवांशिक समस्या है, जो जन्म के समय से मौजूद होती है। आसान भाषा में समझें तो जब किसी बच्चे को अपने माता-पिता दोनों से सिकल सेल के जीन्स मिलते हैं, तो उस बच्चे को सिकल सेल बीमारी हो जाती है।
symptoms of sickle cell disease : इस बीमारी का समय रहते इलाज कराना बेहद जरूरी है। इस बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक्स, इंट्रावीनस फ्लूइड, नियमित रूप से खून चढ़ाना और कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। अगर इस बीमारी की समुचित देख रेख की जाए तो सिकल सेल रोग को मैनेज किया जा सकता है। इस बीमारी के गिरफ्त में आने वाले बच्चे को जन्म के तुरंत बाद वैक्सीन दी जाती है। इनमें पेनीसीलियन प्रोफाइलैक्सिस और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के लिए दिया जाने वाला टीका शामिल है। इसके अलावा फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी दिया जाता है।
वहीं हर मरीज के लिए इस बीमारी का इलाज अलग होता है। पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर उसे इलाज दिया जाता है। सिकल सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के इलाज के लिए उसे खून चढ़ाना पड़ता है। इसके अलावा कई बार बोन मैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए भी मरीज का इलाज किया जाता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट सिकल सेल बीमारी का एकमात्र इलाज है, जो काफी कठिन और जोखिम भरा होता है। इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। हालांकि, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हो सकता है।
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