Rath Yatra of Lord Jagannath will start from Laturia temple today
भाटापारा। भाटापारा को धर्म आयोजनों के चलते धर्मनगरी के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां लगभग जितने भी धर्म आयोजन है उसमें भाटापारा की रामलीला का आयोजन 103 वर्ष पुराना चले आ रहा, वही अखंड रामनामसप्ताह का आयोजन लगभग 90 वर्ष हो चुका है। उसी कड़ी में इनसे भी प्राचीनतम एक आयोजन जो है वो है भगवान जगन्नाथ जी (Jagannath Rath Yatra 2023) की रथ यात्रा। लगभग पिछले 120 वर्षों से अनवरत निकाली जा रही है।
भाटापारा के राम सप्ताह चौक के पास में स्थित जगन्नाथ मंदिर जहां भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र जी और सुभद्रा देवी की मूर्ति स्थापित मंदिर है, जिसे लटूरिया मंदिर (Laturia temple) के नाम से भी जाना जाता है। यहां प्रतिवर्ष के आषाढ़ मास के द्वितीया के दिन रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023) का आयोजन किया जाता है, जिसमें भाटापारा के निवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी रथ यात्रा में शामिल होते हैं और बड़ी ही धूमधाम से रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2023) लटूरिया मंदिर (Laturia temple) से निकालकर भाटापारा के प्रमुख चौक चौराहों से होते हुए लगभग 10 से 12 किलोमीटर की यात्रा करते हुए वापस लटूरिया मंदिर (Laturia temple) में भगवान की स्थापना होती है।
भाटापारा के लटूरिया मंदिर (Laturia temple) जोकि जगन्नाथ भगवान का मंदिर है वहां के वर्तमान पुजारी जगदीश वैष्णव है, जो कि चौथी पीढ़ी है। प्राचीनतम समय 120 वर्ष से भी पहले लटूरिया महाराज के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी। इस मंदिर में जो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी एवं सुभद्रा देवी की जो मूर्ति है वह चंदन काठ की लकड़ी से निर्माणित मूर्ति है, जिसे लटूरिया दास जी महाराज ने भाटापारा से लगभग 610 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उड़ीसा राज्य के पूरी, जहां भगवान जगन्नाथ का मंदिर है, जो चारों धाम में एक धाम है वहां से लाया गया है। लटूरिया दास महाराज जी के द्वारा भाटापारा से पैदल उड़ीसा राज्य के पूरी पहुंचे और वहां से अपने मित्र मंडली के साथ भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा देवी एवं बलभद्र जी महाराज की मूर्ति को लेकर वापस पैदल भाटापारा आए और इस मंदिर (Laturia temple) की स्थापना की।
प्राचीनतम समय में बहुत वर्षों तक जो रथ निकाली जाती थी वह लकड़ी की रथ थी, जिसमें रथ यात्रा का आयोजन किया जाता था। वर्तमान में लोहे से बनी रथ में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। वर्तमान में धन्ना महाराज के पुत्र जगदीश वैष्णव के द्वारा इस मंदिर में पुजारी की भूमिका निभाई जा रही है। यहाँ की भंडारा रसोई कभी खत्म नहीं होती। कहा जाता है कि यह मंदिर बहुत ही शुभ एवं सिद्ध माना जाता है जहां पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं जो कि पूर्ण होती है। IBC24 से कोमल शर्मा की रिपोर्ट
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