नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra 2023 हमारे देश में विभिन्न धार्मिक त्योहार मनाया जाता है। इसमें से एक जगन्नाथ यात्रा भी है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। ओडिशा के पूरी में हर साल जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दिन देश के हर जगहों से लोग यात्रा में शामिल होने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मंदिर के दर्शन से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस बार ये रथयात्रा 20 जून, मंगलवार से आरंभ होगी। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा क्यों निकाली जाती है और ये परंपरा कैसे शुरू हुई, आज हम आपको बताएंगे।
Read More: सोनाली राउत का Sexy Video वायरल, टॉपलेस होकर पूल के किनारे करवाया सिजलिंग फोटोशूट
Jagannath Rath Yatra 2023 पंचाग के अनुसार जगन्नाथ रथ हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वैसे तो भगवान जगन्नाथ श्री कृष्ण का ही रूप है। जो भगवान विष्णु के अवतार में एक हैं। ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में जुलूस के दौरान रथ को खींचना शुद्ध भक्ति से जुड़ा है। जिससे मनुष्ट के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जिसे उसने जानबूझकर या अनजाने में किए हों।
गुंडिचा मंदिर को भगवान विष्णु के मौसी गुंडचा का घर माना जाता हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु रथ यात्रा के दौरान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं। भगवान विष्णु अपनी मौसी के यहां जाते हैं और पूरे एक सप्ताह वहां रुकते हैं। यहां उनका खूब आदर-सत्कार होता है और मौसी से लाड-दुलार मिलता है।
ये तो आप सभी जानते हैं कि हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्रों धामों में से एक है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश भर से भक्तों की भीड़ पुरी में उमड़ती है. जगन्नाथ पुरी एकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है