Nirjala Ekadashi Kab Hain: ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है। साल भर में चौबीस एकादशी होती हैं। इनमें निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। क्योंकि महर्षि वेदव्यास के कथनानुसार भीमसेन ने इस एकादशी का व्रत धारण किया था। पौराणिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से साल में आने वाली समस्त एकादशियों के व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान है इसी कारण से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना करने का विधान है। इस व्रत से मनुष्य दीर्घायु होकर और अंत मे मोक्ष को प्राप्त करता है। इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत 31 मई, 2023 (बुधवार) के दिन किया जायेगा।
बारिश के बाद अब आसमान से बरसेगी आग, प्रदेश का तापमान जा सकता हैं 40 डिग्री के पार
Nirjala Ekadashi Kab Hain: जो मनुष्य सालभर की समस्त एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं उन्हें निर्जला एकादशी का निर्जल उपवास अवश्य करना चाहिए। क्योंकि इस व्रत को करने से सालभर की सभी एकादशियों के समान पुण्य प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी व्रत की विधि इस प्रकार है।
निर्जला एकादशी व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं करने का विधान है। इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा करनी चाहिये। पूजा के बाद भगवान का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिये। इस दिन भक्ति भाव के साथ कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करना चाहिए।
Nirjala Ekadashi Kab Hain: इस दिन व्रत करने वाले मनुष्य को चाहिए कि वह जल से मटके भरकर उसे ढक्कन से ढक दें और ढक्कन में चीनी व दक्षिणा, फल, इत्यादि रख दें। जिस ब्राह्मण को मटका दें उसी ब्राह्मण को एकादशी के दिन एक-एक सीदा और शरबत दें। और हो सके तो गौ दान करना चाहिए।
इसके बाद यथासम्भव दान, पुण्य आदि करने से इस व्रत का विधान पूर्ण होता है। इस एकादशी व्रत करने वाले मनुष्य को लंबी आयु व स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसके साथ ही उसके समस्त पापों का नाश भी हो जाता है।
Nirjala Ekadashi Kab Hain: इस एकादशी के व्रत को धारण करने वाले मनुष्य को यथाशक्ति अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखा और फल आदि का दान करना चाहिए। इस दिन जल कलश का दान करने से साल भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने के दोष से मुक्ति मिल जाती है। तथा सम्पूर्ण एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। श्रद्धाभाव से जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मुक्ति को प्राप्त करता है।