Goa Liberation Day: आज ही के दिन आजाद हुआ था गोवा.. पुर्तगालियों को खदेड़ने चलाया गया था 'ऑपरेशन विजय' | Goa Liberation Day

Goa Liberation Day: आज ही के दिन आजाद हुआ था गोवा.. पुर्तगालियों को खदेड़ने चलाया गया था ‘ऑपरेशन विजय’

बातचीत से हल न निकलने के बाद भारत सरकार ने गोवा की आजादी के लिए "ऑपरेशन विजय" का एलान हुआ और 30000 हजार सैनिकों की टुकड़ी को गोवा की आजादी के लिए रवाना किया गया।

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Modified Date: December 19, 2023 / 07:39 AM IST
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Published Date: December 19, 2023 7:39 am IST

पणजी: गोवा को कौन नहीं जानता। यह भारत के दक्षिण में बसा दुनिया का सबसे खूबसूरत राज्य भी है। पणजी इसकी राजधानी है। गोवा की ख़ूबसूरती के किस्से सात समुन्दर पर भी सुनाई पड़ते है। हर साल इस छोटे से राज्य में छुट्टियां मनाने लाखों सैलानी पहुँचते है। भारतीयों के लिए भी पर्यटन के लिहाज से यह सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट माना जाता है। हर भारतीय युवा गोवा जाने और यहां छुट्टियां मनाने की इच्छा रखता है। इसके सुंदर समुद्री तट और शांत वातावरण हर किसी का मन मोह लेता है। गोवा खुद भी एक बेहद शांत राज्य है जिसके आय का स्रोत भी पर्यटन ही है। लेकिन क्या गोवा हमेशा से ही इतना शांत था? और क्या हमेशा से ही भारत के अधीन रहा? आइये जानते है गोवा से जुड़ी रोचक बातें।

दरअसल जिस तरह 400 वर्ष तक पूरे भारत में अंग्रेजो का साम्राज्य रहा इसी तरह गोवा ने अपने इतिहास में गुलामी का एक लंबा दौर देखा है। भारत तो 1947 में आजाद हो गया लेकिन गोवा के साथ ऐसा नहीं था। ब्रिटिश शासन से मुक्ति के दो दशकों के बाद तक गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। यही वजह है कि यहाँ की संस्कृति में भारतीयता के साथ पुर्तगाली संस्कृति का प्रभाव देखें को मिलता है। हालांकि गोवा को अपने अधीन करने भारत को सैन्य कार्रवाई का सहारा लेना पड़ा। इसे गोवा मुक्ति अभियान या ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है। 19 दिसंबर 1961 में भारत को इस ऑपरेशन में सफलता मिली और फिर गोवा भारत के अधीन हो सका।

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इस तरह हुआ गोवा मुक्त

गोवा के लिए आजादी की आवाज भारत की आजादी के साथ ही समैन आती रही। इसकी पहली झलक 18 जून 1946 को राम मनोहर लोहिया द्वारा देखने को मिली जिन्होंने पुर्तगालियों के सामने चुनौती पेश की। गोवा को मुक्त करने और इसे भारत के अधीन करने भारत की सरकार ने कई प्रयास किये। तब देश की बागडोर पंडित नेहरू के हाथों में थी। जवाहर लाल नेहरू ने गोवा की आजादी के लिए कई बार बातचीत की लेकिन पुर्तगाली किसी भी प्रकार से गोवा को आजाद करने के पक्ष में नहीं थे।

बातचीत से हल न निकलने के बाद भारत सरकार ने गोवा की आजादी के लिए “ऑपरेशन विजय” का एलान हुआ और 30000 हजार सैनिकों की टुकड़ी को गोवा की आजादी के लिए रवाना किया गया। इसके बाद पुर्तगाल के 3000 सैनिकों से भारत की ओर से वायु सेना, जल सेना और थल सेना की ओर से चौतरफा हमला किया। इस हमले के 36 घंटे के बाद ही पुर्तगालियों ने बिना शर्त के गोवा पर अधिकार छोड़ने का फैसला किया।

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