नई दिल्ली। Autistic Pride Day 2023 ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चे में जन्म से ही होती है। यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें बच्चे की सोचने, समझने, बोलने की क्षमता सामान्य बच्चों से कम होती है। दुनियाभर में ऑटिज्म के बढ़ते केसों को देखते हुए और इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 18 जून को दुनिया भर में ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है।
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Autistic Pride Day 2023 अस्पेर्गेर सिंड्रोम को ऑटिस्टिक डिसऑडर का सबसे हल्का रूप माना जाता है। इसमें पीड़ित को बहुत कम सोशल और बिहेवियरयल समस्याएं होती हैं। उनकी इंटेलिजेंस क्षमता औसत से ज्यादा होती है। कुछ खास विषयों में इनकी रूचि बहुत अधिक हो सकती है। उनमें संज्ञात्मक विकास और लैंग्वेज स्किल्स सीखने में कम ही परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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परवेसिव डेवलपमेंट डिसऑर्डर सबसे सामान्य प्रकार का ऑटिज्म है। इसमें ऑटिज्म के लक्षण अपेक्षाकृत हल्के किस्म के होते हैं। पर्वेसिव डेवलपमेंट डिसॉर्डर से पीड़ित को सोशल इंटरएक्शन और कम्यूनिकेशन में कुछ कठिनाई होती है लेकिन इनमें ऑटिज्म के गंभीर लक्षण नहीं दिखते हैं।
ऑटिस्टिक डिसऑर्डर को क्लासिक ऑटिज्म भी कहते हैं। इसमें ऑटिज्म के अन्य प्रकारों की तुलना में गंभीर लक्षण नजर आते हैं। इस डिसऑर्डर से प्रभावितों को सामाजिक व्यवहार में और अन्य लोगों से बातचीत करने में ज्यादा कठिनाई होती है। साथ ही असामान्य चीजों में रूचि, असामान्य व्यवहार, बोलते समय अटकना, हकलाना या रुक रुककर बोलने जैसी आदतें भी ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। कुछ मामलों में बौद्धिक क्षमता में भी कमी देखी जाती है।
रैट्स सिंड्रोम ज्यादातर लड़कियों में नजर आता है। इस तरह के ऑटिज्म से प्रभावित लोगों के दिमाग का आकार छोटा होता है, उन्हें चलने में परेशानी आती है और शरीर का विकास असंतुलित ढंग से होता है। उनके हाथों के टेढ़े होने, सांस लेने में दिक्कत और मिर्गी की परेशानी भी होती है।