जगदलपुर। Tribal youth student organization convention : आदिवासी युवा छात्र संगठन जिला-बस्तर के तत्वावधान में बास्तानार के बड़े किलेपाल में दो दिवासीय आदिवासी युवा छात्र संगठन का महासम्मेलन किया गया। इस महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ के सभी आदिवासी समुदाय के विभिन्न जनजाति के युवा-युवती, छात्र-छात्राओं के आपस में मेलमिलाप कर संघर्ष में नई ऊर्जा पैदा करना था। इसमें सभी युवा मिलकर समाज को और AYSU की विचारधारा को किस तरह से जन-जन तक पहुंचाना है, इस पर चर्चा की गई।
महासम्मेलन की शुरुआत पेनपुरखाओं की सेवा अर्जी के साथ हुआ। आदिवासी युवा छात्र संगठन के सदस्यों की ओर से पारंपरिक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया गया। महासम्मेलन के मुख्य अतिथि राजकुमार रोत ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं आज आपके सामने एक विधायक के तौर पर यहां पर उपस्थित हूं। राजस्थान के 200 विधायकों में से सबसे कम उम्र का युवा विधायक हूं। मैं एक बार अपने 84 विधानसभा क्षेत्र के जनता को धन्यवाद करता हूं कि जिन्होंने मुझे चुनकर इस लायक बनाया कि आज मैं राजस्थान से बस्तर में आकर अपनी बात रख सकू। आज पूरे देश के आदिवासी समुदाय को मिलजुलकर कार्य करने की जरूरत है।
मध्य प्रदेश के विधायक डॉक्टर हीरालाल अलावा ने कहा कि वास्तव में बस्तर को जिस प्रकार से परिभाषित किया गया कि बस्तर नक्सलवाद का गढ़ है। मैं पूरे देश से कहना चाहता हूं बस्तर भारत में एक ऐसा स्थान है, जहां पर आदिवासियों तो जिंदा है ही साथ ही यहां रहने वालों के दिलों में दरियादिली भी जिंदा है। पूरे क्रांतिकारियों की यादों में किसी न किसी कारण से आज किसी ने किसी मुसीबत में है, लेकिन आज इस पवित्रधरा पर युवाओं को आगे आकर कुछ कर गुजरने का जज्बा आज हम युवाओं में है। जयस संगठन सोशल मीडिया से ही तैयार हुआ था, लेकिन आज हमने जयस के मध्यम से सभी को जय आदिवासी बोलना सीखा दिया।
tribal youth student organization convention : साधना उइके ने कहा कि बस्तर की संस्कृति के बारे में सुना था और सोशल मीडिया के माध्यम से देखा था कि गोंडवाना के कोई चोरों की संस्कृति आज भी बस्तर में जिंदा है, लेकिन आज मुझे बहुत खुशी और गौरव है कि मैं आज आप सभी के बीच में यहां पर आकर इस चीज को देख रही हूं। जिन्होंने अपनी संस्कृति रीति रिवाज जो को संजोकर रखा है। हमारे शहरों में आज भी कहीं भी गमले गांव कस्बों से दूर होकर रखा है। अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है और दूसरे दूसरों की संस्कृतियों को धारण कर लिया है। कम से कम 100 में से 95% लोग दूसरों के संस्कृति को अपना चुके है, लेकिन हम जैसे कुछ युवा जो जागरूक होकर इस हमारी संस्कृति को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। AYSU बस्तर जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बघेल ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि युवाओं को अपने रीति नीति, संस्कृति को बचाने के लिए सभी को सामने आकर खड़े होने की जरूरत है।