Jhiram Ghati Hamla: जगदलपुर। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश में किसी भी राजनीतिक दल पर सबसे बड़ा हमला झीरम घाटी में किया गया। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले में किए गए हमले में 27 नेताओं सहित कुल 32 लोगों की मौत हुई। इस बड़े नरसंहार के खूनी खेल में माओवादियों ने चुन-चुन कर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या की हत्या के तुरंत बाद इस मामले में कई सवाल उठे। जांच आयोग NIA की जांच के बाद भी नतीजा सिफर रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला और अब 10 साल बीत गए हैं लेकिन इस घटनाक्रम के पीछे की असल वजह का खुलासा नहीं हो सका है।
jhiram ghati naxal attack 10 साल पहले बारूदी विस्फोट में गोलियों की आहट, जंगलों में फैली आग और जगह-जगह चीख-पुकार बस्तर के लिए यह नई बात नहीं थी लेकिन जगह नहीं थी और इस बार माओवादियों का निशाना बिल्कुल अलग था जगह थी झीरम घाटी जहां एक बड़े एंबुश में माओवादियों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की चुन चुन कर हत्या कर दी। कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल उनके बेटे और पूर्व मंत्री विद्याचरण शुक्ल महेंद्र कर्मा उदय मुदलियार सहित कई दिग्गज कई नेताओं ने इस हमले में अपनी जान गवाई वह पुलिस जवान जो इन नेताओं की सुरक्षा में थे उनकी भी बेरहमी से हत्या की गई। कईयों को बंधक बनाया गया और गोलीबारी में कई नेताओं को बुरी तरह चोट लगी। इस बार निशाने पर भी लोग थे जो आम जनता नहीं बल्कि जनता की बुलंद आवाज से छत्तीसगढ़ी नहीं देश में इस तरह के राजनीतिक नरसंहार का यह पहला मामला था।
उस वक्त भी IBC24 ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सबसे पहले ग्राउंड जीरो की तस्वीरें ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेताओं को बाहर सकुशल निकालने में मदद की घायलों को पानी पिलाया और मरहम पट्टी भी की और उस जगह को भी खोजने में मदद की जहां नंद कुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश की हत्या माओवादियों ने की थी महज 48 घंटे के अंदर 25 मई 2013 के इस हमले ने पूरे देश ही नहीं दुनिया की सुर्खियों में छा गया छत्तीसगढ़ सहित देश में सभी राजनीतिक दल माओवादियों के इस बड़े हमले से सदमे में थे घटना का शोर थमा तो फिर सवाल उठा कि आखिर इस राजनैतिक हत्याकांड के पीछे कौन है? किसने इस सुनियोजित षड्यंत्र के तहत नेताओं की इस कदर बेरहम हत्या की ? इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी या यह आम नक्सल घटनाओं का ही हिस्सा ?
jhiram ghati naxal attack माओवादियों की थ्योरी अगर मानें तो इस मामले में माओवादियों ने न केवल घटना की जिम्मेदारी ली बल्कि उन्होंने इस घटना में गलती होने की बात भी कही जिससे यह पता चला कि माओवादी इतना बड़ा नरसंहार नहीं करना चाहते थे लेकिन समय-समय पर उनके बयान भी बदलते रहे इसलिए कई सवाल अनसुलझे रह गए मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अगुवाई में न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की। वहीं पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई एनआईए की जांच रिपोर्ट आने के बाद फिर बवाल हुआ इस बीच तमाम तरह की राजनीतिक अटकलें बाजार में गर्म रहे। आरोप प्रत्यारोप में न केवल कांग्रेस बल्कि कांग्रेस के भीतर के नेताओं और भाजपा के नेताओं के बीच कई तरह के बयान चर्चा में रहे। एनआईए की रिपोर्ट से नाराज कांग्रेसी नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि मामले में भारतीय जनता पार्टी जांच करवाने को तैयार नहीं है और इसी वजह से रोड़े अटका रही है।