अनोखी परंपरा! कबड्डी खेल में जीत के बाद ‘सुफल मंदिर’ में रखी जाती है शील्ड, देखकर हैरान रह जाएंगे आप

150 Kabaddi shield in temple: इस गांव में 15 बरसों से युवाओं द्वारा ऐसा किया जा रहा है और सुफल मंदिर में अब तक 150 से ज्यादा शील्ड को रखा गया है। यहां मार्ग से गुजरने वाले लोग भी मंदिर की दीवारों में चारों ओर रखे गए शील्ड को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं।

  • Reported By: Rajkumar Sahu

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  • Publish Date - March 26, 2025 / 05:06 PM IST,
    Updated On - March 26, 2025 / 05:09 PM IST
HIGHLIGHTS
  • युवाओं और ग्रामीणों ने अनोखी परम्परा की शुरुआत की
  • सुफल मंदिर में अब तक 150 से ज्यादा शील्ड
  • मंदिर की दीवारों में चारों ओर रखे गए शील्ड

जांजगीर: 150 Kabaddi shield in temple, जांजगीर-चाम्पा के अकलतरा क्षेत्र के परसाही नाला गांव में युवाओं और ग्रामीणों ने अनोखी परम्परा की शुरुआत की है। यहां पीढ़ी दर पीढ़ी कबड्डी खेल खेलने की परंपरा है और जहां भी प्रतियोगिता में परसाही नाला गांव की टीम जाती है, वहां से प्रथम और द्वितीय जीत कर आती है। सबसे खास बात है कि जीत के बाद शील्ड को कबड्डी खेलने वाले युवाओं के द्वारा ग्राम के सुफल देवता को समर्पित किया जाता है और मंदिर में ही शील्ड को रखा जाता है।

बता दें कि इस गांव में 15 बरसों से युवाओं द्वारा ऐसा किया जा रहा है और सुफल मंदिर में अब तक 150 से ज्यादा शील्ड को रखा गया है। यहां मार्ग से गुजरने वाले लोग भी मंदिर की दीवारों में चारों ओर रखे गए शील्ड को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं। यहां के युवा जब भी कबड्डी स्पर्धा में खेलने जाते हैं, तब ग्राम देवता सुफल मंदिर में पहुंचकर आशीर्वाद लेते हैं।

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150 Kabaddi shield in temple, उनका कहना है कि उनके आशीर्वाद से उन्हें जीत मिलती है और जीत के शील्ड को वे लोग सुफल मंदिर में लाकर रख देते हैं। IBC24 संवाददाता राजकुमार साहू ने इस खास परंपरा को लेकर ग्रामीणों से चर्चा की।

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यह अनोखी परंपरा कब शुरू हुई?

यह परंपरा पिछले 15 वर्षों से चली आ रही है, जहां गांव के युवा कबड्डी में जीतने के बाद अपनी शील्ड को सुफल मंदिर में समर्पित करते हैं।

इस परंपरा का महत्व क्या है?

ग्रामीणों का मानना है कि सुफल देवता की कृपा से उन्हें जीत मिलती है, इसलिए वे सम्मानपूर्वक अपनी विजय की शील्ड को मंदिर में रखते हैं।

अब तक कितनी शील्ड मंदिर में रखी जा चुकी हैं?

सुफल मंदिर में अब तक 150 से अधिक विजयी शील्ड रखी जा चुकी हैं, जो मंदिर की दीवारों पर नजर आती हैं।