Cheetah return in MP: कहानी चीता वापसी की! केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर रचा वन्यजीव संरक्षण का इतिहास |

Cheetah return in MP: कहानी चीता वापसी की! केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर रचा वन्यजीव संरक्षण का इतिहास

cheetah return in MP: भारत में चीते की वापसी अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण की ऐतिहासिक पहल है। यह 1950 के दशक में विलुप्त हो गए चीते की आबादी को फिर से स्थापित करने में भारत को मिली ऐतिहासिक सफलता है।

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Modified Date: January 24, 2025 / 09:53 PM IST
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Published Date: January 24, 2025 9:47 pm IST
HIGHLIGHTS
  • भारत में चीते की वापसी अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण की ऐतिहासिक पहल
  • गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीता की वापसी की आकर्षक झांकी

भोपाल: cheetah return in MP, नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में मध्यप्रदेश की आकर्षक झांकी में इस बार कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में हुई चीता की वापसी की झलक दुनिया के सामने प्रदर्शित होगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य सरकार की वन्यजीव संरक्षण के लिये प्रतिबद्धता को दोहराया है।

भारत में चीते की वापसी अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण की ऐतिहासिक पहल है। यह 1950 के दशक में विलुप्त हो गए चीते की आबादी को फिर से स्थापित करने में भारत को मिली ऐतिहासिक सफलता है। अफ्रीका से स्वस्थ चीतों की परिवहन प्रक्रिया भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक मील का पत्थर है।

भारत में 17 सितंबर 2022 को आठ चीतों का पहला समूह आया, जिसमें 5 मादाएं और 3 नर चीते थे। नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में इन्हें स्थानांतरित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन्हें कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की सतत मॉनीटरिंग की। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी 2023 को दूसरा समूह पहुंचा, इनमें 12 चीते (7 नर और 5 मादा) थे। “प्रोजेक्ट चीता” एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि के रूप में हमारे सामने है, जो राष्ट्रीय गौरव की पुनर्स्थापना में योगदान कर रहा है। इसने भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है।

चीते को भारत में फिर से वापस लाने से पहले उनके लिए एक आदर्श रहवास का चयन करने के लिए बहुत सावधानी से योजना बनाई गई। ईरान से एशियाई चीते के अस्तित्व के अभाव को देखते हुए दुनिया भर के प्रसिद्ध संरक्षणवादी, आनुवंशिकीविदों से परामर्श किया गया। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आए उप-प्रजातियों को सबसे उपयुक्त माना गया, जो स्थिर और पर्याप्त आबादी का समर्थन करते हैं।

भारत में चीतों का आगमन

भारतीय वन्यजीव संस्थान ने 2022 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के मार्गदर्शन में एक व्यापक वैज्ञानिक कार्य योजना तैयार की। यह ऐतिहासिक पहल अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जो मांसाहारी प्रजातियों के स्थानांतरण के लिए एक रणनीतिक और पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण को सुनिश्चित करती है।

भारत में चीते की वापसी की पहल सिर्फ एक परियोजना नहीं है, बल्कि उनके मौलिक रहवासों के पुनर्स्थापना का एक वैज्ञानिक प्रोटोटाइप है। यह ग्रासलैंड पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करने और स्थानीय जैव-विविधता का संरक्षण करने की पहल है।

चीते की वापसी की योजना ने ऐतिहासिक जैव पारिस्थितिकी के नाजुक संतुलन को बनाये रखने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया है। इसके लिये उपयुक्त रहवास स्थलों की पहचान करने में मध्य भारत के दस स्थानों का सर्वेक्षण किया गया। इन स्थानों में से मध्यप्रदेश का कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान सबसे उपयुक्त पाया गया। कुल 748 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला कूनो राष्ट्रीय उद्यान न केवल उपयुक्त रहवास है, अपितु यहाँ चीतों के लिए पर्याप्त शिकार भी उपलब्ध हैं। साथ ही यह स्थान मानवीय गतिविधियों से मुक्त है।

पूर्व में किए गए प्रयास

1952 में भारत सरकार ने चीते की दयनीय स्थिति को समझ लिया था और उसे विशेष संरक्षण देने का संकल्प लिया था। इसके बाद 1970 के दशक में ईरान से एशियाई चीते लाने की बातचीत असफल रही। भारत में चीतों की वापसी की कहानी एक घुमावदार कहानी है, जो 1950 के दशक में प्रजातियों के विलुप्त होने तक जाती है।

आधिकारिक प्रयास 1970 के दशक में शुरू हुए, जिसमें ईरान और उसके बाद केन्या से बातचीत शुरू हुई। वर्ष 2009 में, भारत ने अफ्रीकी चीतों के लिए प्रस्ताव रखा। वर्ष 2020 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सीमित संख्या में चीते लाने की अनुमति मिली, ताकि उनकी भारतीय पर्यावरण में रहने की क्षमता का परीक्षण किया जा सके।

विलुप्ति से आबादी की ओर

चीता अपनी आकर्षक छवि के लिए जाना जाता है। इसका नाम “चीता” मूल रूप से संस्कृत से जुड़ा है, जिसका अर्थ है “धब्बेदार।” इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय धर्म ग्रंथ जैसे ऋग्वेद और अथर्ववेद में मिलता है। मध्यभारत की निओलिथिक गुफाओं में इसके चित्र मिलते हैं। वर्ष 1952 में चीता ने भारत को अलविदा कहा। कई कारणों से वे विलुप्त हो गए। शिकार के लिए बड़े पैमाने पर पकड़, पुरस्कार के लिये एवं शौकिया शिकार, आवास का खत्म होना और उनके शिकारों की उपलब्धता समाप्त होना मुख्य कारण बताए गए।

बीसवीं सदी में, संरक्षण उपायों की कमी के कारण चीते की आबादी में गिरावट आई, जिससे इस शानदार जीव की स्थिति और अधिक खराब हो गई। एशिया में चीते ने अपने रहवास के क्षेत्र से बाहर हो जाने का सामना किया, जो भू-मध्यसागरीय और अरबी प्रायद्वीप से लेकर केस्पियन तक फैला था और उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य भारत तक पहुंचता था। जंगली शिकार की कमी, सीधे शिकार और आवास का खत्म होना उनके गायब होने का कारण बने। अब एशियाई चीता, जो “गंभीर रूप से संकटग्रस्त” सूची में है, केवल ईरान में बचा हुआ है।

इस पृष्ठभूमि में भारत ने वन्यजीव संरक्षण इतिहास रचा है। मध्यप्रदेश सरकार वन्यजीव संरक्षण के सर्वोत्तम प्रयासों के साथ इसका ध्यान रख रही है।

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1. कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीता वापसी क्या है?

कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान, मध्यप्रदेश, भारत में चीतों को फिर से स्थापित करने की एक ऐतिहासिक परियोजना है। यह अंतरमहाद्वीपीय वन्यजीव स्थानांतरण के तहत अफ्रीका से चीतों को भारत में लाने का प्रयास है, जिससे विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है।

2. भारत में चीते कब और कैसे विलुप्त हुए?

भारत में चीता 1952 में विलुप्त घोषित कर दिए गए। उनके विलुप्त होने के कारणों में बड़े पैमाने पर शिकार, रहवास का खत्म होना, और शिकारों की उपलब्धता में कमी शामिल थी।

3. चीता वापसी की शुरुआत कब हुई?

इस परियोजना की शुरुआत 17 सितंबर 2022 को हुई, जब नामीबिया से 8 चीते (5 मादा और 3 नर) भारत लाए गए। इसके बाद, 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते (7 नर और 5 मादा) भारत आए।

4. "प्रोजेक्ट चीता" का उद्देश्य क्या है?

"प्रोजेक्ट चीता" का उद्देश्य विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करना, ग्रासलैंड पारिस्थितिकी को पुनर्स्थापित करना, और स्थानीय जैव-विविधता को संरक्षित करना है। यह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।

5. कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान क्यों चुना गया?

748 वर्ग किलोमीटर में फैला कूनो राष्ट्रीय उद्यान चीता के लिए आदर्श है। यहाँ पर्याप्त शिकार और सुरक्षित रहवास उपलब्ध हैं। यह स्थान मानवीय गतिविधियों से मुक्त है, जो चीतों के अस्तित्व के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
 
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