महाकुंभ नगर: IITian baba in Mahakumbh, सोशल मीडिया पर काफी चर्चित इंजीनियर बाबा अभय सिंह शनिवार को जूना अखाड़े से निष्कासित कर दिए गए। इस मामले में जूना अखाड़े के महंत कर्पूरी जी ने एक मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा है कि “वो कोई साधु नहीं बल्कि आवारा और मवाली था… हमने उसे अखाड़े से भगा दिया… कई बार मीडिया वाले भी सच जाने बिना प्रचारित कर देते हैं” बता दें कि IIT वाले कथित बाबा को लेकर कुछ लोग काफी आलोचना कर रहे हैं। लेकिन असली वजह सामने आने के बाद शायद उनका मन बदल जाए।
कहा जा रहा था कि अखाड़ा ने गुरु के प्रति अपशब्दों के प्रयोग काे संज्ञान लेकर उन्हें निष्कासित कर दिया। उनके अखाड़ा शिविर और उसके आस-पास आने पर रोक लगा दी गई है। अखाड़े का कहना है कि संन्यास में अनुशासन और गुरु के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण है। इसका पालन न करने वाला संन्यासी नहीं बन सकता।
वह अखाड़े का नहीं था। वह मवाली,आवारा आदमी था। वह कोई साधु नहीं था, यूं ही मवाली था। जगह जगह रुकता खाता था। टीवी पर कहीं भी कुछ भी कह देता था। वह बहुत गलत व्यक्ति था। उसे अखाड़े से मारकर भगा दिया हम लोगों ने। वह अखाड़े को बदनाम कर रहा था, वह घूमते हुए अखाड़े में आया था। किसी के माध्यम से नहीं आया था, न किसी का चेला था।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में जूना अखाड़ा IIT बाबा के नाम से वायरल अभय सिंह पर नाराज है। जूना अखाड़े के महंत करणपुरी महाराज के शब्द बता रहे हैं कि अखाड़ा किस कदर IIT बाबा पर आगबबूला है। जूना अखाड़े ने अभय सिंह पर अखाड़े को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें निकाल दिया। महंत के मुताबिक अभय जूना अखाड़े में आते-जाते थे, लेकिन उनकी हरकतों को देखते हुए हमने उन्हें मारकर भगा दिया। महाकुंभ 2025 के दौरान IIT बाबा को लेकर इंटरनेट पर तरह-तरह के वीडियो उपलब्ध हैं। बीते कुछ दिनों से IIT बाबा अलग-अलग मीडिया चैनल्स को इंटरव्यू भी दे रहे हैं और बता रहे हैं कि आखिर उन्होंने मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर अध्यात्म का रास्ता क्यों चुना।
जूना अखाड़े के सचिव महंत डॉ. करणपुरी महाराज ने कहा है कि IIT बाबा कोई साधु नहीं था। IIT वाला बाबा अखाड़े का नहीं था, वो मवाली था। जगह- जगह रुकता और खाता था, कहीं भी टीवी पर कुछ बोलता था। वो बहुत गलत व्यक्ति था, उसे मार कर निकाल दिया। वो अखाड़े को बदनाम कर रहा था।
उन्होंने आगे बताया कि IIT बाबा यहां घूमते हुए आया था, वो किसी के माध्यम से अखाड़े में नहीं आया था। साथ ही वो किसी का शिष्य भी नहीं था। वो गलत कह रहा था किसी का सुना हुआ नाम ले रहा था। सोमेश्वर पूरी को मरे 20 साल हो गए, वो चेला कैसे हो सकता है? वह कब बन गया अखाड़े का इसकी कोई जानकारी नहीं है। वो किसी का नाम सुनकर, इधर-उधर पड़ा रहता था, कहीं इनके टेंट तो कहीं उनके टेंट और खा पीककर भाग जाता था। उन्होंने आगे कहा कि वो बहुत दिन यहां नहीं था, इधर-उधर घूमता था। जब सबको पता चला, उसे आने नहीं दिया गया अपने पास बैठने नहीं दिया गया। भोजन नहीं दिया गया भगा दिया गया। उसे कई दिन पहले ही भगा दिया गया। उससे कोई व्यवहार नहीं रखता ना कोई उसे अपने पास बैठाता।
उन्होंने कहा कि IIT बाबा की इन हरकतों की वजह से अखाड़े में भयंकर आक्रोश है। अखाड़ा उसका ही सम्मान करता है जिसके पास अखाड़े की पहचान है। इस शख्स ने कई दिनों तक लोगों से अपनी सच्चाई छिपाकर रखी है, जो पूरी तरह से गलत है।
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